बजट से नाखुश राकेश टिकैत बोले - सरकार कहती है रिकॉर्ड खरीद करेंगे, क्या निकालूं इसका मतलब?
भारतीय किसान यूनियन के नेता राकेश टिकैत खेती किसानी पर मोदी सरकार के रवैये से नाराज हैं।
नई दिल्ली। भारतीय किसान यूनियन के नेता राकेश टिकैत ( Rakesh Tikait ) खेती किसानी को लेकर मोदी सरकार ( Modi Government ) के रवैये से नाराज हैं। इस बात का संकेत उन्होंने वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण द्वारा मंगलवार को बजट ( Budget ) पेश करने के तुरंत बाद दे दिया था। आज यानि बुधवार को उन्होंने ताजा बयान में कहा है कि केंद्र सरकार कहती है कि एमएसपी ( MSP ) पर रिकॉर्ड खरीद करेंगे। मैं, पूछता हूं कि इसका क्या मतलब निकालूं। सरकार साफ साफ बात करे। एमएसपी कानून पर घुमा फिराकर बात न करे।
उन्होंने एबीपी न्यूज कॉन्क्लेव में कहा कि सरकार बताए कि उसने पिछले साल कितने की खरीद की थी। सरकार न्यूनतम समर्थन मूल्य ( MSP Law ) पर गारंटी कानून क्यों नहीं बनाती है। गारंटी कानून को लेकर कुछ नहीं कहा। सरकार को यह समझने की जरूरत है कि देश का किसान खेत का वैज्ञानिक है। उसे खेती किसानी का हिसाब न समझाए। सरकार को चाहिए कि वो गन्ने का डिजिटल भुगतान करे।
इसके अलावा उन्होंने कहा कि एक साल से ज्यादा समय हो गया। सरकार एमएसपी कानून व अन्य मुद्दों पर बात क्यों नहीं करती। हम तो सरकार से किसी भी वक्त बात करने के लिए तैयार हैं। हम तो सरकार से किसी भी वक्त बात करने को तैयार हैं। सरकार है कि वो बात ही नहीं करती।
लेट से भुगतान होने पर ब्याज का पैसा नहीं मिलता
इससे पहले राकेश टिकैत ( Rakesh Tikait ) ने कहा था कि एमएसपी ( MSP Law ) गारंटी कानून बनाने की बाद ही खेत पर काम करने वाले किसानों को फायदा होगा। उन्होंने कहना है कि गन्ना कानून में अगर 14 दिनों में भुगतान नहीं होता है तो ब्याज का प्रावधान है, लेकिन पैसा नहीं मिलता है। यूपी में भाजपा सरकार की आलोचना करते हुए कहा कि वहां पर पांच साल से भाजपा की सरकार है, लेकिन मार्च से भुगतान नहीं किया गया है।
यही वजह है कि राकेश टिकैत सरकार के रवैये में बदलाव न होने पर बार—बार केंद्र सरकार को किसान आंदोलन ( Kisan Andolan ) फिर से शुरू करने की चेतावनी दे रहे हैं। बता दें कि सिंधु और टीकरी बॉर्डर पर आंदोलन की शुरुआत 27 नवंबर, 2020 को हुई थी और किसान संगठनों ने वापसी का ऐलान 9 दिसंबर 2021 को किया था। एक साल से ज्यादा समय तक चले किसान आंदोलन के दौरान करीब 700 किसानों की अलग-अलग वजहों से मौत भी हुई थी।