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स्वास्थ्य

Cancer Kya Hai: कैंसर (Cancer): लक्षण, कारण, इलाज, उपचार और परहेज

Janjwar Desk
17 March 2022 8:41 AM IST
Jhansi news : कैंसर से लड़ते-लड़ते बेटा हार गया जिंदगी की जंग, अब पिता ने दूसरों की जिंदगी बचाने के लिए लाखों की दवाइयां कीं दान
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Jhansi news : कैंसर से लड़ते-लड़ते बेटा हार गया जिंदगी की जंग, अब पिता ने दूसरों की जिंदगी बचाने के लिए लाखों की दवाइयां कीं दान

Cancer Kya Hai: दुनिया की सबसे खतरनाक बीमारी में से एक है कैंसर। जिसका नाम आते ही मन डर जाता है। अब कैंसर के मामले बढ़ते जा रहे हैं। कहा जाता है कि अगर समय पर कैंसर को पहचान जाए तो काफी हद तक उसका इलाज संभव हो पाता है।

मोना सिंह की रिपोर्ट

Cancer Kya Hai: दुनिया की सबसे खतरनाक बीमारी में से एक है कैंसर। जिसका नाम आते ही मन डर जाता है। अब कैंसर के मामले बढ़ते जा रहे हैं। कहा जाता है कि अगर समय पर कैंसर को पहचान जाए तो काफी हद तक उसका इलाज संभव हो पाता है। लेकिन जितनी देर हो जाती है उससे बचने के आसार उतने ही कम हो जाते हैं। ऐसे में कैंसर से जुड़ी हर छोटी-बड़ी जानकारी को समझना और पहचानना दोनों बेहद जरूरी है। इसलिए आज इस रिपोर्ट में जानेंगे हर जानकारी।

विश्व स्वास्थ्य संगठन यानी WHO की एक रिपोर्ट के अनुसार, प्रत्येक वर्ष दुनिया भर में कैंसर के 10 मिलियन यानी 1 करोड़ नए मामले सामने आते हैं। भारत में 10 में से एक व्यक्ति अपने जीवन में कैंसर से ग्रसित हो सकता है। कैंसर के हर 15 में से एक व्यक्ति की इस बीमारी से मौत हो सकती है। डब्ल्यूएचओ की इस रिपोर्ट में कैंसर से संबंधित कुछ चौंकाने वाले तथ्य सामने आए हैं। जैसे कि भारत में हर साल लगभग 7 लाख 84 हजार 800 लोगों की मौत कैंसर से हो जाती है। भारत में मुख्य रूप से 6 प्रकार के कैंसर ज्यादा होते हैं। इनमें ब्रेस्ट कैंसर, मुंह का कैंसर, सर्वाइकल कैंसर, फेफड़े, पेट और कोलोरेक्टल कैंसर शामिल है।

क्या है कैंसर?

जैसा कि हम जानते हैं कि हमारा शरीर छोटी-छोटी अरबों कोशिकाओं से मिलकर बनता है। स्वस्थ कोशिकाएं शरीर की आवश्यकता के अनुसार बढ़ती और विभाजित होती है। जब इन स्वस्थ कोशिकाओं की उम्र बढ़ती है तो ये क्षतिग्रस्त होने लगती हैं और मरने लगती हैं। और इनकी जगह पर नई कोशिकाएं बन जाती हैं। कैंसर की स्थिति में पुरानी कोशिकाएं मरने की बजाए जीवित रहती हैं और इनके जीवित होने के बावजूद नई कोशिकाओं का निर्माण शुरू हो जाता है। यह नई कोशिकाएं ही अनियंत्रित रूप से विभाजित होकर कैंसर या ट्यूमर का रूप ले लेती हैं। इसका मतलब यह है कि कोशिकाओं के असामान्य विभाजन की वजह से कैंसर की स्थिति निर्मित होती है। कोशिकाओं के अनियंत्रित विभाजन से ट्यूमर बनते हैं।

शरीर में पाए जाने वाले अधिकतर ट्यूमर कैंसर में परिवर्तित हो जाते हैं। हालांकि हर ट्यूमर कैंसर में विकसित नहीं होता। लेकिन अधिकतर कैंसर ट्यूमर के रूप में होते हैं। ब्लड कैंसर में ट्यूमर नहीं होता है। कैंसर शुरुआत में आसपास की कोशिकाओं और कोशिकाओं के समूह में फैलता है। इन कोशिकाओं के समूह को ऊतक या टिशू कहते हैं। इसके बाद कैंसर शरीर के दूसरे भागों में पहुंचकर नए ट्यूमर बनाने लगता है, जिन्हें मेलिग्नेंट टयूमर्स कहते हैं। कैंसर 100 से भी ज्यादा प्रकार के होते हैं। सभी प्रकार के कैंसर के लक्षण और जांच एक दूसरे से अलग होते हैं। कैंसर का इलाज मुख्य रूप से कीमोथेरेपी रेडिएशन और सर्जरी द्वारा किया जाता है।

कैंसर के क्या हैं लक्षण

जिस तरह से कैंसर अलग-अलग प्रकार के होते हैं, उसी तरह से उनके लक्षण भी अलग-अलग होते हैं। कुछ लक्षण ऐसे हैं कि जिनसे कैंसर के शुरुआती लक्षणों के बारे में संकेत मिल सकते हैं। और ऐसे संकेत मिलते ही तुरंत जांच और बेहतर इलाज कराना जरूरी हो जाता है। इन लक्षणों के बारे में सभी को जानना चाहिए। ताकि समय रहते हम इसे पहचान जाएं।

ऐसे पहचानें कैंसर के लक्षण

1 अचानक वजन कम होना

अगर बिना किसी कारण के अपने आप बहुत जल्दी जल्दी वजन कम होने लगे तो यह कैंसर के शुरुआती लक्षणों में से एक हो सकता है। मुख्य रूप से पेनक्रियाज, पेट और लंग कैंसर से पीड़ित लोगों में वजन कम होने की समस्या होती है।

2. बहुत ज्यादा थकान

ज्यादा शारीरिक मेहनत किए बगैर भी जरूरत से ज्यादा थकान महसूस होना। ये कैंसर के महत्वपूर्ण लक्षण में से एक है। यह लक्षण ल्यूकेमिया और कोलन कैंसर होने पर ज्यादा नजर आता है।

3. गांठ का पड़ना

त्वचा या शरीर के किसी भी अंग में गांठ का महसूस होना। इसकी पहचान छूकर की जा सकती है। सामान्यतः स्तन कैंसर, लिंफ नोड सॉफ्ट टिश्यू और अंडकोष के कैंसर की शुरुआत गांठ का पता चलने से होती है।

4. त्वचा में बदलाव

त्वचा का नेचुरल रंग बदलकर पीला, काला या लाल होने लगे तो ये चेतवानी है। जरूरत से ज्यादा मस्से नजर आने लगे, घाव होने पर ठीक होने में अधिक समय लगने लगे तो इस बात को नजरअंदाज नहीं करना चाहिए। यह त्वचा के कैंसर और दूसरी प्रकार के कैंसर का संकेत हो सकता है।

5. सिर में काफी तेज दर्द होना

तेज सिर दर्द होना मालिगनेंट ब्रेन ट्यूमर होने का संकेत हो सकता है। पीठ दर्द कोलोरेक्टल, पेनक्रिएटिक या ओवेरियन कैंसर (डिंब ग्रंथि) के कैंसर होने का संकेत है। हड्डियों में दर्द होना बोन कैंसर, टेस्टिकुलर कैंसर का संकेत हो सकता है।

6. ब्लैडर और बॉवेल फंक्शन में बदलाव

पेशाब करते समय दर्द के साथ खून का आना एक तरह से प्रोस्टेट कैंसर के शुरुआती लक्षण हैं। हमेशा कब्ज, दस्त, मल में खून आना कोलोरेक्टल कैंसर के संकेत हैं।

7. लिम्फ नोड में सूजन

लिम्फ शरीर में मूवमेंट के लिए होते हैं। खासतौर पर बांह, गर्दन, दोनों पैरों के मोड़ के आसपास ज्यादा मात्रा में होते हैं। लेकिन यही लिम्फ नोड्स एक जगह एकत्र होकर आकार में बढ़ने लगते हैं और वहां सूजन हो जाए तो सतर्क होने की जरूरत है। असल में ऐसे सूजन या गांठ 3-4 हफ्तों तक रहे तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें क्योंकि ये कैंसर के संकेत भी हो सकते हैं।

8. एनीमिया

लंबे समय तक खून की कमी होने से लाल रक्त कणिकाओं (RBC) की मात्रा में बहुत कमी हो जाती है। यह हेमेटोलॉजिकल कैंसर के शुरुआती लक्षण हैं।

कैंसर के कारण

कैंसर मुख्य रूप से खराब लाइफस्टाइल की वजह से होता है। लेकिन इसके कई और कारण भी हो सकते हैं। कैंसर अनुवांशिकी भी हो सकता है। इसके अलावा तनाव, धूम्रपान शराब का सेवन, कम फाइबर वाला भोजन करना, हानिकारक केमिकल और रेडिएशन के संपर्क में आने से भी कैंसर होने का खतरा बना रहता है।

तंबाकू या सिगरेट का सेवन करने से इसमें मौजूद निकोटिन शरीर के किसी भी अंग में कैंसर का कारण बन सकता है। इसमें सामान्यतः मुंह का कैंसर, फेफड़ों का कैंसर ,आंतों का कैंसर, अग्नाशय का कैंसर होने का खतरा होता है। ब्रेस्ट कैंसर और नॉनपॉलिपोसिस कोलोरेक्टल कैंसर अनुवांशिक कैंसर है, जो माता-पिता के जींस द्वारा बच्चों में जाते हैं। कुछ हानिकारक केमिकल जिनसे कैंसर पैदा होता है। उन्हें कार्सिनोजेंस भी कहते हैं। जैसे एस्बेस्टस, बेंजीन और आर्सेनिक, निकेल या केमिकल के संपर्क में आने से फेफड़ों के कैंसर होने का खतरा बढ़ जाता है। खेती में प्रयोग होने वाले कीटनाशक और उर्वरक भी कार्सिनोजेन की श्रेणी में आते हैं।

जैसे हम अक्सर समोसे या कुछ फ्राई कर बेचने वालों को देखते हैं कि एक ही तेल को कई बार गर्म करते हैं या फिर कई दिनों तक इस्तेमाल करते हैं। कई बार हम घर में भी एक ही तेल को छानने के लिए कई बार प्रयोग करते हैं। ऐसा करने से दो बार से ज्यादा बार तेल गर्म करने से वो कार्सिनोजेनिक हो जाता है। मतलब, उससे भी कैंसर का खतरा होता है। इसी तरह कारखानों से निकलने वाला दूषित पानी और धुआं भी कार्सिनोजेन की श्रेणी में ही आता है। कुछ वायरस की वजह से भी कैंसर पैदा होता है। लीवर कैंसर हेपेटाइटिस बी और हेपेटाइटिस सी वायरस की वजह से होता है। जबकि सर्वाइकल कैंसर ह्यूमन पैपिलोमा वायरस की वजह से होता है।

कैंसर की जांच

मरीज के शारीरिक परीक्षण और मेडिकल हिस्ट्री के साथ ही उसके यूरिन, ब्लड,और स्टूल की जांच भी की जाती है। इसके बाद कैंसर की संभावना होने पर एक कंप्यूटर टोमोग्राफी, एमआरआई अल्ट्रासाउंड, फाइबर ऑप्टिक एंडोस्कोपी से कैंसर के बारे में पता किया जाता है। इन जांचों के साथ ही बायोप्सी के जरिए आसानी से कैंसर का पता किया जा सकता है। बायोप्सी में फाइबर ऑप्टिक एंडोस्कोपी द्वारा संदिग्ध स्थान से टिश्यू लेकर उसकी जांच की जाती है। जिससे यह पता चलता है कि मरीज को कैंसर है या नहीं है।

कैंसर का इलाज

1- सर्जरी के जरिए

यदि कैंसर शरीर के दूसरे अंगों में नहीं फैला है, तो सर्जरी कैंसर को हटाने का सबसे अच्छा उपाय है। इसमें डॉक्टर कैंसर प्रभावित अंग से ट्यूमर और उसके आसपास के टिश्यू को हटा देते हैं।

2-कीमोथेरेपी

दवाइयों के जरिए कैंसर कोशिकाओं को खत्म किया जाता है। इसके साइड इफेक्ट के रूप में वजन कम होना और बाल झड़ना प्रमुख है। दवाइयां मुंह से यानी ओरल और इंजेक्शन के माध्यम से भी दी जाती हैं।

3- रेडिएशन

इसमें हाई एनर्जी वेव का इस्तेमाल करके कैंसर कोशिकाओं को खत्म किया जाता है।

4- इम्यूनोथेरेपी व हार्मोन थेरेपी

इम्यूनोथेरेपी में शरीर की इम्युनिटी या प्रतिरक्षा को मजबूत बनाया जाता है। वहीं, हार्मोन थेरेपी मुख्य रूप से स्तन कैंसर (ब्रेस्ट कैंसर) और प्रोस्टेट कैंसर में प्रभावी होता है।

कैंसर से बचने के लिए परहेज

मरीज को पर्याप्त मात्रा में तरल पदार्थों का सेवन करना चाहिए। आजकल फलों और सब्जियों में काफी मात्रा में रसायन और पेस्टिसाइड्स का इस्तेमाल किया जा रहा है। ऐसे में शुरू से ही ऑर्गेनिक फल और सब्जियों का इस्तेमाल बेहद जरूरी है। तली-भूनी मसालेदार चीजों से बचना चाहिए। और दिन में कई बार थोड़ा-थोड़ा करके खाना खाना चाहिए जिससे पचने में आसानी हो। फलों और हरी सब्जियों का सेवन पर्याप्त मात्रा में करना चाहिए। खाने में शुद्ध तेल का इस्तेमाल करें और एक ही तेल को कई बार गर्म करके इस्तेमाल नहीं करें।

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