12वीं की बोर्ड परीक्षाओं के असमंजस के कारण बच्चों में भारी तनाव, कुछ राज्य एग्जाम के पक्ष में नहीं
जनज्वार ब्यूरो, नई दिल्ली। भारत के केंद्रीय मंत्रियों ने CBSE 12 वीं बोर्ड परीक्षा व प्रवेश परीक्षाओं के आयोजन को लेकर 23 मई को राज्य और केंद्र शासित प्रदेशों के साथ एक उच्च स्तरीय मीटिंग की थी। मीटिंग में 4 केंद्रीय मंत्री, राज्यों के शिक्षा मंत्री, शिक्षा मंत्रालय के सचिवों ने भाग लिया था। बैठक की अध्यक्षता रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने की थी। मीटिंग के बाद मंत्री राजनाथ सिंह ने सभी राज्य और केंद्र शासित प्रदेशों से 25 मई तक शिक्षा मंत्रालय को सुझाव देने का अनुरोध किया था। उन्होंने कहा- मंत्रालय उन सभी सुझावों पर विचार करेगा और जल्द ही अंतिम निर्णय लेगा। उन्होंने यह भी दोहराया कि सरकार की प्राथमिकता सभी परीक्षाओं को सुरक्षित वातावरण में आयोजित कराना है।
मीटिंग के बारे में प्रेस कॉन्फ्रेंस को संबोधित करते हुए दिल्ली सरकार में शिक्षा मंत्री और दिल्ली के उप मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने बताया कि दिल्ली सरकार 12वीं बोर्ड की परीक्षा कराने के पक्ष में नहीं है। सिसोदिया के अनुसार यह परीक्षा आयोजित करने का सही समय नहीं है, उन्होंने कहा हमें परीक्षा आयोजित करने की परंपरा का पालन करने के लिए ही नहीं पढ़ना चाहिए। हमारा सुझाव है कि कक्षा 12 के छात्रों का मूल्यांकन आंतरिक मूल्यांकन में प्रदर्शन के आधार पर किया जाना चाहि। यदि कोई छात्र दिये गये अंकों से संतुष्ट नहीं है तो बाद में उन्हें परीक्षा में बैठने की अनुमति दी जानी चाहिए।
झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने भी 12वीं बोर्ड की परीक्षा न कराने के पक्ष में अपनी बात रखी थी। उन्होंने कहा- यदि हित-धारकों से प्राप्त सुझावों पर विचार किया जाये तो परीक्षा स्थगित करने पर ही सहमति है। क्योंकि अगर परीक्षा आयोजित की जाती है तो सामाजिक दूरी बनाए रखना संभव नहीं होगा और बच्चे संक्रमित हो सकते हैं।
महाराष्ट्र भी परीक्षा का आयोजन न करने के विकल्प पर विचार कर रहा है। महाराष्ट्र की शिक्षा मंत्री वर्षा गायकवाड़ के अनुसार वह एग्जाम ना कराने के रास्ते और संभावित विकल्प पर विचार कर रही हैं।
आपको बता दें कि सीबीएसई बोर्ड की परीक्षा निरस्त करने की मांग को लेकर सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका भी दायर की गई है।
छात्र कर रहे हैं परीक्षा निरस्त करने की मांग
इस बीच 12वीं बोर्ड के छात्र सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर कक्षा 12 की परीक्षा रद्द करने की मांग लगातार कर रहे हैं। छात्र व अभिभावक दोनों ट्विटर पर ट्वीट कर परीक्षा का आयोजन न करने की बात कर रहे हैं। पेरेंट्स एसोसिएशन ने भी परीक्षा रद्द करने की मांग की है। छात्रों के अनुसार परीक्षा आयोजन से छात्रों को कोरोना संक्रमण का खतरा तो है ही साथ ही वर्तमान परिस्थितियों में छात्र मानसिक रूप से भी परीक्षा के लिए तैयार नहीं है।
बोर्ड परीक्षाओं के असमंजस को लेकर छात्र भारी तनाव से गुजर रहे हैं। दिल्ली डीपीएस के 12वीं के छात्र तनुज अग्रवाल कहते हैं, 'लगातार हमारी परीक्षाओं को लेकर सरकार ने कन्फ्यूज किया हुआ है। सरकार को एक ही बार में निर्णय ले लेना चाहिए कि परीक्षायें आयोजित करनी हैं या नहीं। एक तरफ बीमारी के कारण तनाव है और उस पर सरकार ने हमारा भविष्य अधर में लटका कर रख दिया हैं।'
मयूर पब्लिक स्कूल में पढ़ने वाली शेषाद्रि कहती हैं, 'मार्च से लेकर मई होने को आया है। कभी कहा जाता है अब परीक्षा होगी, कभी कहा जाता है इन्हें टाल दिया जायेगा। सरकार को जो भी निर्णय लेना हो ले, इस तरह हमारा तनाव न बढ़ाये। हमारी जिंदगी कोरोना और परीक्षा के तनाव में लटकी हुयी है। पता नहीं अब और क्या होगा।'
कांग्रेस नेता प्रियंका गांधी ने भी परीक्षा रद्द किये जाने के संबंध में ट्वीट किया है, 'सीबीएसई की 12वीं कक्षा में पढ़ रहे छात्रों ने कोविड-19 महामारी की दूसरी लहर के दौरान इन परीक्षाएं को लेकर अपनी चिंताएं जताई हैं। उनका स्वास्थ्य एवं सुरक्षा मायने रखता है। हम सीख क्यों नहीं ले रहे हैं? बंद कमरों में एकत्रित होने से कोविड-19 फैलेगा और इस लहर ने दिखाया है कि बच्चे नए स्वरूप के लिहाज से कमजोर हैं।'
Students studying for the CBSE 12th grade examinations have been sharing their concerns about these exams being held during the second wave of Covid - 19 pandemic.
— Priyanka Gandhi Vadra (@priyankagandhi) May 23, 2021
Their health and safety MATTERS.
Why are we not learning our lessons?
Gatherings in closed.. 1/4 pic.twitter.com/eHoS1U29LG
परीक्षा कराने के संबंध में राष्ट्रीय बोर्ड ने दो सुझाव दिए हैं। पहले सुझाव के अनुरूप सीबीएसई के 174 विषयों में से 19 प्रमुख विषयों की परीक्षा मौजूदा प्रारूप में परीक्षा केंद्रों पर आयोजित की जाए और वाकी विषयों के अंकों की गणना प्रमुख विषयों में प्रदर्शन के आधार पर की जाये। प्रत्येक परीक्षा 1:30 घण्टे की होगी। परीक्षा में बहुविकल्पीय व लघु उत्तरीय प्रश्न होंगे। पहले सुझाव के अनुरूप परीक्षा आयोजन प्रक्रिया से रिजल्ट आने तक की प्रक्रिया में 3 माह का समय लग जायेगा।
दूसरे सुझाव के तहत परीक्षा के आयोजन में छात्र अपने ही स्कूल में परीक्षा देंगे। इसमें छात्रों को भाषा के एक विषय व 3 ऐच्छिक विषयों की परीक्षा देनी होगी। एक प्रश्न पत्र 3 की बजाय 1:30 घण्टे का होगा। सभी प्रश्न ऑब्जेक्टिव व लघु उत्तरीय होंगे। इस प्रक्रिया में 45 दिन के अंदर संपूर्ण परीक्षा प्रक्रिया खत्म हो जाएगी।
उत्तराखंड, आंध्र प्रदेश, अरुणाचल प्रदेश, सिक्किम, गुजरात, उत्तर प्रदेश, जम्मू कश्मीर, हिमाचल प्रदेश, चंडीगढ़, असम, तमिलनाडु ने परीक्षा को संक्षिप्त रूप में संपन्न कराए जाने वाले पहले फार्मूले का समर्थन किया है।
कुछ राज्यों केरल, असम, दिल्ली, महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश, हरियाणा, मेघालय ने केंद्र सरकार से परीक्षा से पहले छात्रों व अध्यापकों का प्राथमिकता के आधार पर टीकाकरण किये जाने की मांग की है।