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संस्कृति

Char Dham Yatra में जान गंवा रहे श्रद्धालु तो दुबई के दौरे पर पर्यटन मंत्री, PMO से जवाबतलबी के बाद सरकार हुई सक्रिय

Janjwar Desk
11 May 2022 7:37 AM GMT
Char Dham Yatra में जान गंवा रहे श्रद्धालु तो दुबई के दौरे पर पर्यटन मंत्री, PMO से जवाबतलबी के बाद सरकार हुई सक्रिय
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Char Dham Yatra में जान गंवा रहे श्रद्धालु तो दुबई के दौरे पर पर्यटन मंत्री, PMO से जवाबतलबी के बाद सरकार हुई सक्रिय

Char Dham Yatra : यात्रियों की मौतों को लेकर उत्तराखंड सरकार की व्यवस्था व स्वास्थ्य सेवाओं को लेकर सवाल खड़े होने शुरू हो गए हैं....

सलीम मलिक की रिपोर्ट

Char Dham Yatra : उत्तराखंड में चारधाम यात्रा (Char Dham Yatra) शुरू हुए एक सप्ताह भी नहीं गुजरा कि चारधाम यात्रा के दौरान स्वास्थ्य सुविधाओं पर भी सवाल उठने लगे हैं। यात्रा शुरू होने से लेकर अब तक 23 लोगों की अलग-अलग वजह से यात्रा के दौरान मौत हो चुकी है। ज्यादातर लोग हाई ब्लड प्रेशर, डायबिटीज व अन्य बीमारियों से ग्रसित थे तो एक यात्री की खाई से गिरकर मौत हुई है। विद्रूप यह भी है कि ऐसे नाजुक समय में प्रदेश के पर्यटन मंत्री सतपाल महाराज दुबई दौरे पर हैं।

यात्रियों की मौतों को लेकर राज्य सरकार की व्यवस्था व स्वास्थ्य सेवाओं को लेकर सवाल खड़े होने शुरू हो गए हैं। स्थिति की गंभीरता इसी से समझी जा सकती है कि चारधाम में हो रही श्रद्धालुओं की मौत के मामले में पीएमओ ने हस्तक्षेप करते हुए रिपोर्ट तलब कर ली है। स्वास्थ्य महकमा मौतों के कारणों को लेकर रिपोर्ट तैयार करने में जुट गया है तो नींद से जागे स्वास्थ्य विभाग ने भी मंगलवार को एक बैठक में व्यवस्थाओं की समीक्षा करते हुए यात्रा को लेकर एडवाइजरी भी जारी की गई है।

बता दें कि उत्तराखंड में गंगोत्री और यमुनोत्री धाम के कपाट अक्षय तृतीय के दिन तीन मई को खुले थे। इसके साथ ही चारधाम यात्रा (Char Dham Yatra 2022) का शुभारंभ हो गया था। छह मई को केदारनाथ धाम और आठ मई को बदरीनाथ धाम के कपाट खुलने के साथ ही यात्रा परवान में चढ़ने लगी। हजारों लोग हर दिन धामों की तरफ रुख कर रहे हैं। लेकिन देखने में आ रहा है कि धार्मिक यात्रा को लोग पर्यटन यात्रा के रूप में ज्यादा ले रहे हैं। वरिष्ठ पत्रकार त्रिलोचन भट्ट के अनुसार लोग किसी फिल्म के पहले दिन के पहले शो की तरह रेलमपेल कर व्यवस्थाओं से खिलवाड़ कर रहे हैं।

दुखद बात यह है कि गंगोत्री (Gangotri) और यमुनोत्री (Yamunotri) में अब तक चौदह, केदारनाथ (Kedarnath) में सात और बदरीनाथ (Badrinath) धाम में एक श्रद्धालु की मौत हो चुकी है। इसके अलावा एक तीर्थ यात्री की केदारनाथ में खाई में गिरने से मौत हुई। यह सभी मौतें मैदान से एकाएक पहाड़ (ऊंचाई पर ऑक्सीजन की कमी) पर आने के कारण शरीर द्वारा ऑक्सीजन का दबाव न झेलने के कारण हार्ट अटैक जैसी वजहों से हुई हैं।

उत्तराखंड के वरिष्ठ पत्रकार गुनानंद जखमौला जहां एक तरफ राज्य सरकार की व्यवस्था से खिन्न हैं तो इस अव्यवस्था के लिए काफी हद तक श्रद्धालुओं की जल्दबाजी को जिम्मेदार ठहराते हुए कहते हैं कि चारधाम यात्रा छह माह तक चलेगी। इसलिए सब एक साथ न आएं। श्रद्धालुओं को चेतावनी देते हुए गुणानंद का कहना है कि यह सरकार महाझूठी है। इंतजाम जीरो हैं। श्रद्धालु अपने रिस्क पर ही आएं और खुद तय करें, चारधाम दर्शन करने हैं या वैकुंठ धाम के ? एक सप्ताह पहले चारधाम यात्रा (Char Dham Yatra) शुरू हुई।अब तक हार्टअटैक और सांस की समस्या से 20 तीर्थयात्रियों की मौत हो चुकी है। चारों धामों में हजारों लोग उमड़ रहे हैं जो कि वहां की क्षमता से कई गुना अधिक है। वहां रहने-खाने की किल्लत है। शौचालय की भी। सबसे बड़ी बात, मैदान के सभी लोगों को जल्दी है। चार-पांच दिन में ही कम से कम दो धाम देख लेना चाहते हैं।

समस्या के मुख्य बिंदु को चिन्हित करते हुए जाखमौला का कहना है कि दिल्ली एनसीआर में तापमान 42 डिग्री से अधिक है। दिल्ली समुद्रतय से 100 फुट भी ऊपर नहीं है। वहां से आया तीर्थयात्री अचानक ही दस या बारह हजार फीट की ऊंचाई पर पहुंचता है तो उसे तापमान महज 2 डिग्री मिलता है। ऊपर से बेहिसाब ऊंचाई। युवाओं शरीर तो एडजस्ट कर भी ले। लेकिन उनके साथ के बुजुर्ग अपने को वातावरण के अनुकूल नहीं ढाल पाते। आगे मध्यमवर्गीय चरित्र पर टिप्पणी करते हुए उनका कहना है कि दूसरी तरफ बेटे की चिन्ता है कि चार-पांच दिन में ही तीर्थयात्रा पूरी करा कर दिल्ली लौटना है। यानी वक्त की कमी। ऐसे में वह मां-बाप को घसीटता हुआ बदरीनाथ- केदारनाथ या गंगोत्री-यमुनोत्री धाम ले जा रहा है। ऐसे में बुजुर्गों का शरीर हिमालय के अनुकूल नहीं होता। ऊंचाई बढ़ने पर आक्सीजन कम होती है तो उन्हें सांस लेने में दिक्कत हो जाती है। सरकारी इंतजाम जीरो हैं। डाक्टर नही है तो इलाज भी नहीं। कहीं-कहीं हैं भी पता चलता है कि दवाएं नहीं। ऐसे में उनकी तबीयत बिगड़ने की अधिक आशंका रहती है। आखिर ऐसी तीर्थयात्रा का क्या लाभ? जब मानसिक सुकून ही न मिले? उल्टे बुजुर्गों की जान चली जाए।

पहाड़ के चरित्र से अवगत कराते हुए जखमौला कहते हैं कि पर्वतारोही भी कुछ दिन बेस कैंप में इंतजार करते हैं। कैंप वन तक जाते हैं फिर लौट आते हैं। फिर दूसरे दिन दोबारा जाते हैं। लेकिन मैदानों से तीर्थयात्री सोनप्रयाग से अचानक ही या चापर से 11 हजार फीट से अधिक केदारनाथ धाम पहुंचेंगे तो आक्सीजन और सांस की समस्या तो आएगी ही ?

धाम में हजारों लोग पहुंच रहे हैं। वहां सरकारी इंतजाम न के बराबर हैं। सरकार दावा करती है कि सारे इंतजाम हैं। लेकिन इंतजाम जीरो हैं। इसलिए मीडिया में चारधाम (Char Dham Yatra) के विज्ञापन भी जारी नहीं किये जा रहे हैं कि अनहोनी हो गयी तो सरकार पर दोष लगेगा। तीर्थयात्रियों की सीमित संख्या करने से हिन्दू वोट बैंक पर असर पड़ेगा। सीएम धामी को किसी भी हाल में उपचुनाव जीतना है।

श्रद्धालुओं की रेलमपेल पर उनका कहना है कि थोड़ा सब्र कर लो। चारधाम यात्रा पूरे छह महीने चलेगी। कल खत्म नहीं होने जा रही है। धामों में बेहिसाब भीड़ मत करिए। धाम में दर्शन करने हैं या वैकुंठ धाम जाना है। आप खुद ही तय करें। सरकार के भरोसे बिल्कुल न रहे।

दूसरी तरफ जोशीमठ निवासी अतुल सती ने अपने सोशल मीडिया एकाउंट पर कार पार्किंग का एक फोटो शेयर करते हुए लिखा है कि सोनप्रयाग की इस पार्किंग का फोटो देखने से ही डर सा लग रहा है। 2013 की आपदा में ऐसी ही पार्किंग गोविंदघाट में बह गई थी। जिसमें सैकड़ों गाड़ियों का पता नहीं चला। कितने ही लोग गाड़ी समेत चले गए। वहाँ भी नदी के किनारे ही थी । भीड़ अभी यह है तो आगे क्या होगा ? इतना दबाब कब तक झेल पाएगा हिमालय पता नहीं ?

जारी की गई एडवाइजरी

चारधाम में 20 यात्रियों की मौत के बाद स्वास्थ्य महकमा भी अब नींद से जागा है। अब यात्रा के दौरान स्वास्थ्य संबंधी दिशा निर्देश जारी किए गए हैं। इसमें कहा गया है कि उत्तराखंड में समस्त तीर्थस्थल उच्च हिमालयी क्षेत्र में स्थित हैं। इनकी ऊंचाई समुद्र तल से 2700 मीटर से भी अधिक है। इन स्थानों पर श्रद्धालु अत्यधिक सर्दी, कम आद्रता, अत्यधिक अल्ट्रा वॉयलेट रेडिएशन, कम हवा का दबाव, कम ऑक्सीजन से प्रभावित हो सकते हैं।

ऐसे में यात्री स्वास्थ्य परीक्षण के उपरांत ही यात्रा के लिए प्रस्थान करें, पूर्व से बीमार व्यक्ति अपने चिकित्सक का परामर्श पर्चा एवं चिकित्सक का संपर्क नम्बर, एवं चिकित्सक द्वारा लिखी गई दवाईयां अपने साथ रखें, अतिवृद्ध एवं बीमार व्यक्तियों एवं पूर्व में कोविड से ग्रसित व्यक्तियों के लिए यात्रा पर ना जाना या कुछ समय के लिए स्थगित करना उचित होगा, तीर्थस्थल पर पहुँचने से पूर्व मार्ग में एक दिन का विश्राम करना उचित होगा, गर्म एवं ऊनी वस्त्र साथ में अवश्य रखें, हदय रोग, श्वास रोग, मधुमेह, उच्च रक्तचाप से ग्रस्त रोगी ऊंचाई वाले क्षेत्रों में जाते समय विशेष सावधानी बरतें।सिर दर्द होना, चक्कर आना, घबराहट का होना, दिल की धड़कन तेज होना, उल्टी आना, हाथ-पांव व होठों का नीला पड़ना, थकान होना, सांस फूलना, खॉसी होना अथवा अन्य लक्षण होने पर तत्काल निकटतम स्वास्थ्य केंद्र पहुंचे एवं 104 हैल्पलाईन नम्बर पर संपर्क करें।

स्वास्थ्य संबंधी दिशा निर्देश के मुताबिक धूम्रपान व अन्य मादक पदार्थों के सेवन से परहेज करें, सन स्क्रीन एसपीएफ 50 का उपयोग अपनी त्वचा को तेज धूप से बचाने के लिए करें, युवी किरणों से अपनी आंखों के बचाव के लिए सन ग्लासेस का उपयोग करें, यात्रा के दौरान पानी पीते रहें और भूखे पेट ना रहें, लम्बी पैदल यात्रा के दौरान बीच-बीच में विश्राम करें, ऊंचाई वाले क्षेत्रों में व्यायाम से बचें, किसी भी स्वास्थ्य सम्बन्धी जानकारी के लिए 104 एवं एम्बुलेंस के लिए 108 हैल्पलाईन नम्बर सम्पर्क करें।

एडवाइजरी के साथ ही सरकार ने चारधाम यात्रा में श्रद्धालुओं के भारी संख्या में आने के कारण सरकार ने प्रत्येक धाम में प्रतिदिन की पंजीकरण क्षमता एक-एक हजार बढ़ाने का निर्णय लिया है। अभी तक बदरीनाथ में 15000, केदारनाथ में 12000, गंगोत्री में 7000 और यमुनोत्री में 4000 यात्रियों का प्रतिदिन पंजीकरण कराने के व्यवस्था है। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने तीर्थ यात्रियों से यात्रा से पहले अनिवार्य रूप से पंजीकरण कराने की अपील की है।

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