छत्तीसगढ़ किसान सभा ने की ग्रामीणों की मजदूरी देने की मांग, रास्ता रोको आंदोलन की घोषणा की
रायपुर। छत्तीसगढ़ किसान सभा ने मरवाही विधानसभा के नागवाही गांव में मजदूरी देने और नहर मरम्मत की मांग करते हुए किसान सभा के लगे बैनर को प्रशासन द्वारा जबरदस्ती उतारने की कड़ी निंदा की है और प्रशासन से पूछा है कि इस बैनर का चुनाव के साथ उसका क्या संबंध है और किस कानून की किस धारा के तहत उसने यह कार्य किया है?
उल्लेखनीय है कि पिछले दिनों ही किसान सभा ने पिछले पांच सालों में भाजपा-कांग्रेस राज के दौरान मनरेगा सहित विभिन्न निर्माण कार्यों में नागवाही पंचायत के 115 ग्रामीणों की 5 लाख रुपयों से अधिक की मजदूरी हड़पे जाने का मामला उजागर किया है। हड़पी गई राशि में शौचालय निर्माण के 30428 रूपये, भूमि समतलीकरण के काम के 33390 रूपये, डबरी निर्माण के 44400 रूपये, नाली निर्माण के 50400 रूपये, पुलिया निर्माण के 50920 रूपये, कुंआ निर्माण के 95552 रूपये तथा प्रधानमंत्री आवास योजना के 131550 रुपये शामिल है।
मजदूरी हड़पने के इस खेल में सरपंच, सचिव और सुंदर गुप्ता, रोहित पनारिया, डी डी पनारिया और कृष्णा कुमार पोट्टाम आदि ठेकेदारों के नाम सामने आए हैं। किसान सभा नेताओं ने आरोप लगाया है कि इस भ्रष्टाचार में इन ठेकेदारों व पंचायत प्रतिनिधियों की कांग्रेस-भाजपा के नेताओं और प्रशासनिक अधिकारियों के साथ सीधी मिलीभगत है।
छत्तीसगढ़ किसान सभा ने इस घटना के फोटो और वीडियो सौंपते हुए चुनाव आयोग से पुलिस प्रशासन के इस रवैये की शिकायत करते हुए कार्यवाही की मांग की है। किसान सभा के राज्य उपाध्यक्ष राकेश चौहान और देवान मार्को ने कहा है कि अपनी मांगों की ओर ध्यान आकर्षित करना और लोगों को संगठित करना नागरिकों का लोकतांत्रिक अधिकार है। इसी प्रकार मतदान करना या न करना भी किसी मतदाता का मौलिक अधिकार है और कोई चुनाव आयोग या चुनाव आचार संहिता मतदाताओं के इस अधिकार का हनन नहीं कर सकती। लेकिन मरवाही प्रशासन के रवैये से लगता है कि वह जबरदस्ती किसी पार्टी के पक्ष में मतदान कराना चाहती है और इसके लिए लोगों को डरा-धमका रही है।
किसान सभा नेताओं ने ग्रामीणों की मजदूरी का शीघ्र भुगतान करने की मांग करते हुए घोषणा की है कि कांग्रेस-भाजपा के कृषि विरोधी, ग्रामीण विरोधी रवैये के खिलाफ 5 नवम्बर को रास्ता रोको आंदोलन किया जाएगा।