Begin typing your search above and press return to search.
राष्ट्रीय

चिन्मयानंद को मिली थी बेल, लेकिन वकील सुधा भारद्वाज को स्वास्थ्य ग्राउंड पर नहीं मिली जमानत

Janjwar Desk
26 Sept 2020 11:12 AM IST
चिन्मयानंद को मिली थी बेल, लेकिन वकील सुधा भारद्वाज को स्वास्थ्य ग्राउंड पर नहीं मिली जमानत
x

सुधा भारद्वाज  (File photo)

इससे पहले उनकी जमानत याचिका को नेशनल इन्वेस्टिगेशन एजेंसी की विशेष अदालत द्वारा खारिज किया गया था, मुंबई उच्च न्यायालय ने भी उसी फैसले को सुरक्षित रखा, इसके बाद उनके द्वारा सर्वोच्च न्यायालय में मुंबई हाई कोर्ट के 28 अगस्त के आदेश को चुनौती दी गयी थी...

जनज्वारभीमा कोरेगांव केस में छत्तीसगढ़ की सामाजिक कार्यकर्ता व वकील सुधा भारद्वाज को स्वास्थ्य के आधार पर दायर अंतरिम बेल याचिका पर सर्वोच्च न्यायालय से राहत नहीं मिली। सर्वोच्च न्यायालय ने कहा है कि आप मेरिट के आधार पर जमानत याचिका दायर करें।

इससे पहले उनकी जमानत याचिका को नेशनल इन्वेस्टिगेशन एजेंसी की विशेष अदालत द्वारा खारिज किया गया था। मुंबई उच्च न्यायालय ने भी उसी फैसले को सुरक्षित रखा। इसके बाद उनके द्वारा सर्वोच्च न्यायालय में मुंबई हाई कोर्ट के 28 अगस्त के आदेश को चुनौती दी गयी थी।

हालांकि कोर्ट साक्ष्यों आदि से सन्तुष्ट हो तो स्वास्थ्य आधार पर जमानत दी जाती है और पिछले फरवरी माह में चिन्मयानंद को स्वास्थ्य कारणों के आधार पर जमानत मिली थी। सुधा भारद्वाज के मामले में उनकी मेडिकल रिपोर्ट उनके स्वास्थ्य कारणों का आधार प्रमाणित करने में सक्षम नही हुई, उनकी शुगर भी सामान्य थी।

मामले की सुनवाई कर रहे जस्टिस यूयू ललित ने कहा कि आपने मेडिकल आधार पर संपर्क क्यों किया है? शुगर लेवल ठीक है। हम चिकित्सा आधार पर इस जमानत पर आपके साथ नहीं हैं। आप मेरिट के आधार पर जमानत की अर्जी क्यों नहीं देते? इसके बाद सुधा की वकील वृंदा ग्रोवर ने याचिका को वापस ले लिया।

एल्गार परिषद मामले की आरोपी प्रोफेसर सुधा भारद्वाज ने स्वास्थ्य कारणों से जमानत की अपील की थी। अदालत ने राज्य सरकार के दायर हलफनामे पर विचार किया, जिसमें 21 अगस्त की नवीनतम चिकित्सा रिपोर्ट शामिल थी। रिपोर्ट में उनका स्वास्थ्य सामान्य बताया गया है। जस्टिस यू यू ललित और जस्टिस अजय रस्तोगी की पीठ ने भारद्वाज की 21 अगस्त की अंतिम मेडिकल रिपोर्ट का उल्लेख किया, जिसे बॉम्बे हाईकोर्ट के निर्देश पर तैयार किया गया था।

इससे पहले अधिवक्ता वृंदा ग्रोवर ने वादी सुधा भारद्वाज का पक्ष अदालत में रखा। उन्‍होंने कहा कि नेशनल इन्वेस्टिगेशन एजेंसी की विशेष अदालत द्वारा सर्वोच्च न्यायालय के 23 मार्च को दिए गए कैदियों संबंधी उस आदेश को नजरअंदाज किया गया, जिसमें कहा गया था कि इस तरह के कैदियों को छूट मिलनी चाहिए।

अधिवक्ता ग्रोवर ने यह भी तर्क रखा कि सुधा भारद्वाज एक कानून को मानने वाली नागरिक हैं। बेल के दौरान उनसे कोई खतरा नहीं पैदा होता है। यह बात ध्यान में रखनी चाहिए कि पिछले वर्ष वे अपने पिता के अंतिम संस्कार में बेंगलुरु भी भेजी गयी थीं।

सुधा भारद्वाज के परिजनों का कहना है कि वे उनके स्वास्थ्य के प्रति चिंता रखते हुए चाहते हैं कि उनके स्वास्थ्य संबंधी स्थिति का पूरा और विस्तृत चेकअप किया जाए। साथ ही मेडिकल परीक्षण के समय अस्पताल में उनके परिवार के एक व्यक्ति के उपस्थित रहने की इजाजत मिले।

Next Story

विविध