Climate change : ग्रीन एनर्जी के लिए निर्णायक फैसला, कोयला बहुत जल्द होगा इतिहास का हिस्सा
5 वर्षों में प्रदूषण के कारण 4.5 करोड़ लोगों की समय से पहले मौत, तापमान बढ़ोतरी से मरने वालों में सबसे ज्यादा खेतिहर मजदूर
जनज्वार ब्यूरो। यूनाइटेड किंगडम के नेतृत्व में दुनिया के दो दर्जन देशों और अन्य संस्थानों ने ग्लोबल कोल टू क्लीन पावर ट्रांजिशन स्टेटमेंट पर हस्ताक्षर कर घरेलू और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर नई कोयला बिजली उत्पादन में सभी निवेशों को समाप्त करने के लिए प्रतिबद्धता दिखाई है। ग्लोबल वार्मिंग ( Global warming ) और क्लाइमेट चेंज ( Climate change ) के परिप्रेक्ष्य में इसे बहुत बड़ा कदम माना जा रहा है। हाल ही संपन्न जलवायु शिखर सम्मेलन COP26 के अध्यक्ष आलोक शर्मा ने इस पहल पर अपनी प्रतिक्रिय देते हुए कहा, "आज, मुझे लगता है कि हम कह सकते हैं कि कोयले का अंत निकट है।"
क्लाइमेट चेंज : ई3जी में जीवाश्म ईंधन अनुसंधान प्रबंधक लियो रॉबर्ट्स कहते हैं, "ग्लासगो में पिछले कुछ दिनों के दौरान कोयले से विमुखता में तेजी आई है। नई साझेदारियों और निवेश की वजह से कोयला को इतिहास बनाने वाले प्रतिबद्ध देशों को सम्बल मिला है। यह कोयला जलाने वाले देशों को सबसे अधिक प्रदूषणकारी जीवाश्म ईंधन से मुंह मोड़ने और स्वच्छ ऊर्जा संक्रमण को लागू करने में मदद करने के साथ नई तकनीकी उपकरणों से लैस करेगा।
कोयले का अंत होने वाला है
उन्होंने कहा कि गुरुवार को गई घोषणाओं की गहराई पर गौर करें तो इससे यह इशारा मिलता है कि कोयले से पीछा छुड़ाने का सिलसिला तेजी से रफ्तार पकड़ रहा है। अनेक देश कोयले से चलने वाली नई परियोजनाओं पर निवेश बंद करने का निर्णायक विकल्प चुन रहे हैं। कई देशों ने तो अपने-अपने कोयला बिजलीघरों को आवश्यक रूप से बंद करने की प्रक्रिया भी शुरू कर दी है। संयुक्त रूप से ये घोषणाएं यह जाहिर करती है कि कोयला युग ( Coal Era ) का अंत अब नजदीक आ रहा है। कोयले को इतिहास के कूड़ेदान में ले जाने वाली कन्वेयर बेल्ट आगे बढ़ रही है। वैश्विक तापमान में वृद्धि को डेढ़ डिग्री सेल्सियस तक सीमित रखने के लक्ष्य के अनुरूप इसे और तेज करने की आवश्यकता है।
2040 तक कोयलामुक्त होगा संपूर्ण विश्व
"सीओपी26 सम्मेलन के बाद वैश्विक स्तर पर कोयले को हमेशा से पीछा छुड़ाने की गति उत्साहजनक है। ऐसा लगने लगा है कि इस रफ्तार को और आगे बढ़ाने के लिए स्वच्छ ऊर्जा के लिए जरूरी साधन सभी देशों को तेजी से उपलब्ध कराने की आवश्यकता है। ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि सभी देश 2030 तक ओईसीडी देशों को कोयला मुक्त और शेष दुनिया को 2040 तक कोयले से स्वच्छ बनाने के लिए आत्मविश्वास से आगे बढ़ सकें।
वहीं एम्बर के ग्लोबल लीड डेवी जोंस ने कहा, "आज की प्रतिबद्धताओं से सभी महाद्वीपों को कोयले को चरणबद्ध तरीके से समाप्त करने की अपनी यात्रा में मदद मिलेगी। ताजा मुहिम काफी अहम है। वैश्विक तापमान में वृद्धि को 1.5 डिग्री सेल्सियस तक सीमित रखने की योजना को पूरा करने में कोयला उत्पादन पर रोक सबसे प्रभावी कदम साबित हो सकता है।
यूरोपीय देश पोलैंड कोयला मुक्त बनाने में मदद करेंगे। यूरोप में यह कोयले का आखिरी बड़ा गढ़ है। अफ्रीकी महादेशों में दक्षिण अफ्रीका और मोरक्को 95% कोयला उत्पादन के लिए जिम्मेदार है। इसलिए यह अफ्रीका को कोयला मुक्त बनने की ओर ले जाएगा। एशिया में वियतनाम ने पहली बार कोयले को चरणबद्ध तरीके से समाप्त करने को लेकर अपनी प्रतिबद्धता जताई है। चीन, भारत और अमेरिका कोयलामुक्त विश्व की घोषणा के प्रति अपनी प्रतिबद्धता पहले ही जता चुके हैं।
अर्थव्यवस्था से समझौता करने की जरूरत नहीं
अफ्रीका के एफसीडीओ मंत्री विकी फोर्ड ने कहा कि स्वच्छ ऊर्जा की ओर न्यायोचित और समावेशी रूपांतरण ब्रिटेन और अफ्रीका के लिए फायदे का सौदा है। कोयले को चरणबद्ध तरीके से खत्म करना ब्रिटेन के सीओपी प्रेसीडेंसी का एक केंद्रीय उद्देश्य है और यह विकासशील दुनिया में सैकड़ों हजार हरित रोजगार पैदा करते हुए स्वच्छ और हरित भविष्य का मार्ग प्रशस्त करेगा। द अफ्रीका रीजनल क्लाइमेट एंड नेचर प्रोग्राम पूरे अफ्रीका में हरित बिजली नेटवर्क का समर्थन करेगा, जिससे 4 मिलियन से अधिक लोग लाभान्वित होंगे और ट्रांसफ़ॉर्मिंग एनर्जी एक्सेस प्लेटफ़ॉर्म विकासशील दुनियाभर में 25 मिलियन अधिक लोगों में ऊर्जा का उपयोग को बढ़ावा मिलेगा।
दुनिया की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्थाओं में से एक ब्रिटेन पहले से ही स्वच्छ ऊर्जा प्रतिबद्धताओं को पूरा कर रहा है। ब्रिटेन वर्ष 2024 तक कोयला बिजली को पूरी तरह से समाप्त करने के लिए प्रतिबद्ध है। वह 2035 तक एक डीकार्बोनाइज्ड पावर सिस्टम के साथ अक्षय ऊर्जा उत्पादन की दिशा में आगे बढ़ रहा है। यह इस बात को दर्शाता है कि जलवायु परिवर्तन से बढ़ती अर्थव्यवस्था की कीमत पर निपटने की जरूरत नहीं है।
1990 से 2019 के बीच ब्रिटेन की अर्थव्यवस्था में 78 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। वहीं कार्बन उत्सर्जन में 44 प्रतिशत की गिरावट आई है। यह जी7 देशों में शामिल किसी मुल्क में सबसे तेजी से आयी गिरावट है। ब्रिटेन में कोयले से बनने वाली बिजली अब 2 प्रतिशत से भी कम है जो एक दशक पहले करीब 40 प्रतिशत थी। वहीं, इसमें अच्छे वेतन वाली सैकड़ों हजारों नौकरियों और वर्ष 2030 तक 90 अरब पाउंड तक के निजी निवेश के बारे में भी बताया गया है।