कोरोना सरकारी आदेशों पर नहीं चलता, बचाव से ही अपने और परिवार की सुरक्षा संभव
(कोरोना की रोकथाम के लिए हाईकोर्ट में याचिकाओं पर सुनवाई के दौरान उत्तराखंड के सचिव स्वास्थ्य अमित नेगी ने कोर्ट को बताया कि प्रदेश में रेमडेसिवर पर्याप्त मात्रा में हैं, राज्य को इसकी 1,73,000 शीशियां केंद्र से मिली हैं।)
हिमांशु जोशी की टिप्पणी
जनज्वार। हाईकोर्ट ने उत्तराखंड के सचिव स्वास्थ्य अमित नेगी को कोरोना से हुई मौतों का ऑडिट कर 21/06/21 तक रिपोर्ट जमा करने का आदेश दिया। न्यूज़बाइट्स हिंदी की एक ख़बर के अनुसार बिहार सरकार के ऐसे ही ऑडिट में राज्य में कोरोना वायरस के कारण हुई मौतों में लगभग 73 प्रतिशत वृद्धि हुई है और इन्हें लगभग 5,400 से बढ़ाकर 9,400 कर दिया गया है।
दूसरी लहर की धुंधली यादें
खुद संक्रमित होने के डर संग अपनों की मौत का पल-पल डर, प्लाज़मा और रेमडेसिवर के लिए सोशल मीडिया पर भीख मांगते कोरोना संक्रमित मरीज़ के परिजन, ब्लैक फंगज़ जैसी खतरनाक महामारी से जूझते मरीज़ की ह्रदय विचलित कर देने वाली धुंधली की हुई तस्वीरें, कुछ दिनों पहले हमारी यही ज़िंदगी थी।
जनता का ध्यान इस मौत के तांडव हटाने के लिए समय-समय पर हिन्दू-मुस्लिम, भारत-पाकिस्तान-चीन, पेट्रोल-डीज़ल दामों की घुट्टी पिला दी जाती है और इनका जल्द असर भी दिखता है। जनता को यह याद नही रहता कि प्लाज़्मा, ऑक्सीजन कन्संट्रेटर जरूरतमंदों तक पहुंचाने के लिए कल तक राम-रहीम साथ थे।
2021, कुम्भ, कोरोना और उत्तराखंड
उत्तराखंड के वर्तमान हालातों पर 'समुदायों के लिए सामाजिक विकास' संस्था के अनूप नौटियाल ट्वीट करते हुए कहते हैं कि जब टेस्ट कम हो जाते हैं तो समाज को संदेश जाता है कि कोविड कम या खत्म हो गया है। इसका सीधा असर जन मानस के कोविड व्यवहार पर पड़ता और दिखता है। उत्तराखंड सरकार को अगले छह-सात महीने के लिये कोविड को लेकर सुपर अलर्ट और सुपर ऐक्टिव मोड मे रहने की नितांत आवश्यकता है।
जब टेस्ट कम हो जाते हैं तो समाज को संदेश जाता है की कोविड कम या खत्म हो गया है। इसका सीधा असर जन मानस के कोविड बिहेवियर पर पडता और दिखता है। #उत्तराखंड सरकार को अगले 6/7 महीने के लिये कोविड को लेकर सुपर अलेर्ट और सुपर ऐक्टिव मोड मे रहने की नितांत आवश्यकता है।
— Anoop Nautiyal (@Anoopnautiyal1) June 10, 2021
साल की शुरुआत में उत्तराखंड की भाजपाई सरकार के पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने कुम्भ आने वालों को साथ में आरटीपीसीआर निगेटिव रिपोर्ट लाना अनिवार्य किया था, पर बीच में ही उन्हें कुर्सी छोड़नी पड़ी और राज्य के नए मुखिया तीरथ सिंह रावत ने सत्ता संभालते ही इस पाबंदी को हटा दिया।
बाद में हाईकोर्ट ने एक जनहित याचिका पर विचार करते हुए निगेटिव रिपोर्ट लाना फिर से अनिवार्य कर दिया था। अब कुम्भ के बाद एक नई ख़बर सामने आ रही है, कई समाचार पत्रों की रिपोर्ट के अनुसार कुम्भ के दौरान प्रदेश में देश का सबसे बड़ा कोविड घोटाला हुआ था। पंजाब निवासी एक व्यक्ति ने कभी कोरोना जांच न कराने के बावजूद अपने फोन पर कोरोना जांच का लिंक मिलने पर उसकी पड़ताल करी और इसके पीछे हरियाणा की एक एजेंसी का नाम सामने आया। घोटाला क्यों किया जाता है सबको पता है पर हाईकोर्ट की नाक के नीचे इतनी बड़ी धांधली घोटालेबाज़ों के बढ़े हुए हौसलें दिखाती है।
मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत ने कहा, 'मैंने मार्च में पदभार संभाला था। यह प्रकरण मेरे से पहले का है। मामला संज्ञान में आते ही मैंने जांच के आदेश दिए है। जिससे कि दूध का दूध और पानी का पानी हो जाए। दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी।'
वहीं पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने कहा कि यह एक गंभीर प्रकरण है। इस मामले में मानव जीवन के साथ खिलवाड़ किया गया है। एसआईटी की जांच बैठाना एक शानदार फैसला है। आरोपियों को सख्त सजा मिलनी चाहिए।
कोरोना संक्रमण के रोकथाम के लिए सामने आया हाईकोर्ट
कोरोना की रोकथाम के लिए हाईकोर्ट में याचिकाओं पर सुनवाई के दौरान उत्तराखंड के सचिव स्वास्थ्य अमित नेगी ने कोर्ट को बताया कि प्रदेश में रेमडेसिवर पर्याप्त मात्रा में हैं, राज्य को इसकी 1,73,000 शीशियां केंद्र से मिली हैं।
कोर्ट ने अमित नेगी से कोरोना के 'डेल्टा म्यूटेंट' के लिए सरकार द्वारा बनाई गई रणनीति की जानकारी मांगी, साथ ही उनसे तीसरी लहर में बच्चों पर पड़ने वाले असर को रोकने के लिए बनाई रणनीति बताने के लिए भी कहा है।
नेगी ने अपनी याचिका में कोर्ट का ध्यान पौढ़ी गढ़वाल जिले की ओर खींचा और नोडल ऑफिसर द्वारा प्राप्त हुए जिले के विभिन्न अस्पतालों के आंकड़े दिए गए, जिनके अनुसार जिला अस्पतालों के कोविड हेल्थ सेंटरों में दस वेंटिलेटर हैं, उनमें कोई भी चलती स्थिति में नहीं है। आंकड़ों से पता चलता है कि जिले के अस्पतालों में आईसीयू के केवल चार बेड हैं।
नवनीश नेगी द्वारा बताया गया कि सरकार द्वारा जारी आंकड़ों में भी अंतर्विरोध है, इसके लिए उन्होंने कोटद्वार का उदाहरण देते हुए बताया कि नोडल अधिकारी के अनुसार कोविड हेल्थ सेंटर में एक भी आईसीयू बेड नही है और सरकार द्वारा जारी स्टेट बुलेटिन में उसी अस्पताल में छह आईसीयू बेड दिखाए जा रहे हैं।
नवनीश नेगी द्वारा कोर्ट को बताया गया कि प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र पौढ़ी गढ़वाल में पानी की सप्लाई नहीं है, जबकि यह केंद्र तैंतीस गांवों की जरूरत है।
दुष्यंत मैनाली ने अपनी याचिका में सवाल उठाया कि केन्द्र ने 06/05/2021 को एसओपी जारी करी थी कि टीकाकरण पर हर राज्य को 'डिस्ट्रिक्ट टास्क फ़ोर्स' बनानी होगी। इसका कार्य होगा कि जिन लोगों के पास टीकाकरण पंजीकरण के लिए अनिवार्य सात आईडी नही है उन्हें पहचान कर टीका लगाया जा सके। राज्य ने यह अब तक नही बनाई है जिससे खानाबदोश, सड़क किनारे रहने वाले बेघर लोग, वृद्धा आश्रम में रहने वाले लोग टीके से लाभान्वित नही हुए हैं। अतः उन्होंने राज्य सरकार से टास्क फ़ोर्स के जल्दी गठित करने की मांग की।
अभिजय नेगी ने अपनी याचिका में सवाल उठाए कि कोविड अस्पताल कोरोना रोग से ग्रसित रोगियों के सिवाय अन्य गम्भीर रोगों से ग्रस्त रोगियों का इलाज नही कर रहे हैं, अतः सरकार को निर्देश दिए जाएं कि अन्य गम्भीर रोगों से ग्रस्त रोगियों को भी अच्छे इलाज की सुविधा मिले।
अभिजय ने कोर्ट को बताया कि चंडीगढ़ सरकार कोरोना काल में एक पोर्टल बना नागरिक समाज की मदद ले रही है, जिसमें लोग स्वयंसेवक के तौर पर अपनी सेवा दे रहे हैं। ऐसी ही पोर्टल उत्तराखंड में भी बने क्योंकि कोरोना की तीसरी लहर में इसकी जरूरत पड़ सकती है।
हाईकोर्ट ने इन याचिकाओं पर उत्तराखंड राज्य सरकार को आदेश दिया कि केंद्र के साथ सामंजस्य स्थापित कर लिपोसोमोल जैसे ड्रग्स निरन्तरता के साथ मुफ्त उपलब्ध कराने चाहिए।
स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय को निर्देशित किया गया कि जनता और निजी अस्पतालों को कोरोना इलाज़ में खर्च की अंतिम सीमा बतानी होगी। कोई अस्पताल इससे ज्यादा पैसे नही ले सकता,यह आदेश जारी करें और जो ज्यादा ले उसके खिलाफ़ राज्य सरकार कार्रवाई करे।
राज्य सरकार को जिला अस्पतालों में आईसीयू और वेंटिलेटर बढ़ाने के आदेश देने के साथ ही 06/05/2021 में केंद्र द्वारा जारी एसओपी के पालन करने के निर्देश भी दिए गए।
स्वास्थ्य विभाग को काम करने वाले वेंटिलेटर और अन्य जीवन रक्षक उपकरणों का ऑडिट करने का निर्देश दिया गया। इसके साथ ही हाईकोर्ट द्वारा सरकार को पंचायत स्तर पर आइसोलेशन केंद्र बनाने, चंडीगढ़ की तर्ज़ पर पोर्टल और कोरोना की जगह अन्य गम्भीर बीमारियों से ग्रस्त मरीज़ों के लिए भी अस्पताल शुरू करने के आदेश दिए गए।
कोर्ट ने उत्तराखंड के सचिव स्वास्थ्य अमित नेगी को कोरोना से हुई मौतों का ऑडिट कर 21/06/21 तक रिपोर्ट जमा करने का आदेश दिया।
न्यूज़बाइट्स हिंदी की एक ख़बर के अनुसार बिहार सरकार के ऐसे ही ऑडिट में राज्य में कोरोना वायरस के कारण हुई मौतों में लगभग 73 प्रतिशत वृद्धि हुई है और इन्हें लगभग 5,400 से बढ़ाकर 9,400 कर दिया गया है।
सिस्टम, हम और कोरोना
इस समय उत्तराखंड सरकार राज्य में कोरोना से होने वाली मौतों का ऑडिट करा रही है और इसके लिए एक कमेटी भी गठित हुई है। समाचार एजेंसी एएनआई के अनुसार इस कमेटी ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि राज्य में कोरोना से 50 प्रतिशत हुई मौतों में संक्रमितों ने वायरस से संक्रमित होने पर अस्पताल में भर्ती होने में 4-5 दिन की देरी करते हुए अस्पताल में भर्ती होने के 48 घंटे के अंदर ही दम तोड़ दिया।
अमर उजाला की ख़बर के अनुसार डेथ ऑडिट के दौरान प्रदेश की राजधानी देहरादून में बहुत से निजी अस्पताल कोरोना के दौरान हुई मौतों का राज खोलने को तैयार नहीं हैं। इस पर नाराजगी जताते हुए जिलाधिकारी डॉ. आशीष कुमार श्रीवास्तव ने ऐसे अस्पतालों के खिलाफ सख्त कार्रवाई के निर्देश दिए हैं।
हमें कोरोना की गम्भीरता को जानने के लिए मीडिया की खबरों और सरकार के आदेशों पर निर्भर रहना पड़ता है। मीडिया में कोरोना मरीज़ों की मौतों की खबरें जान हमें डर लगने लगता है और मास्क नाक पर चढ़ जाता है तो वहीं सरकार द्वारा लॉकडाउन लगाने पर पता चलता है कि कोरोना बढ़ रहा है। ये दोनों न हो तो मास्क धीरे-धीरे नाक पर लटके नज़र आते हैं और फिर गायब ही हो जाते हैं।
जरूरत इस बात की है कि हमें अब अनलॉक होते लॉकडाउन के बीच हमें यह नहीं भूलना चाहिए कि कोरोना सरकारी आदेशों पर नहीं चलता, उससे बचाव कर ही हम अपनी और अपने परिवार की सुरक्षा कर सकते हैं।