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Covid Surge in India: फिर सिर उठा रहा है कोविड, सरकार को बदलनी होगी प्राइवेट टीकाकरण की नीति

Janjwar Desk
4 Jun 2022 11:08 AM IST
Covid Surge in India: फिर सिर उठा रहा है कोविड, सरकार को बदलनी होगी प्राइवेट टीकाकरण की नीति
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Covid Surge in India: फिर सिर उठा रहा है कोविड, सरकार को बदलनी होगी प्राइवेट टीकाकरण की नीति

Covid Surge in India: करीब 84 दिन से सुस्त पड़ा कोविड वायरस देश में फिर सिर उठा रहा है। शुक्रवार को भारत में 4 हजार से ज्यादा मामले सामने आए। 10 लोगों की जान चली गई।

Covid Surge in India: करीब 84 दिन से सुस्त पड़ा कोविड वायरस देश में फिर सिर उठा रहा है। शुक्रवार को भारत में 4 हजार से ज्यादा मामले सामने आए। 10 लोगों की जान चली गई। सरकार को मजबूरन पांच राज्यों- केरल, तमिलनाडु, तेलंगाना, कर्नाटक और महाराष्ट्र को पत्र लिखकर कोविड संक्रमण की टेस्टिंग, ट्रैकिंग पर जोर देने के लिए कहना पड़ा है।

देश में शनिवार को भी कोविड के 3962 मामले सामने आए हैं और 26 लोगों की जान गई है। अभी भी 12% आबादी ऐसी है, जिसे बूस्टर तो छोड़िए, कोविड के दोनों में से कोई भी टीका नहीं लग पाया है। 140 करोड़ के देश में यह बहुत बड़ी आबादी है, जो इस समय सबसे ज्यादा असुरक्षित है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भारत में 31 दिसंबर 2021 तक सभी को टीके की दोनों खुराक उपलब्ध कराने का वादा किया था, जो 6 महीने गुजरने के बाद भी अभी तक पूरा नहीं हो सका है। इस बीच, केंद्र सरकार ने 8 अप्रैल से 18 साल की उम्र के सभी वयस्कों को निजी अस्पतालों में 780 से 1410 रुपए में कोविड का बूस्टर या प्रीकॉशन डोज़ लगाने के आदेश दिए हैं। यानी सरकार ने कोविड के मुफ्त टीकाकरण से पिंड छुड़ा लिया है।

लोग प्रायवेट में बूस्टर लगवाने नहीं जा रहे हैं

स्वास्थ्य मंत्रालय के आंकड़े बताते हैं कि देश में अप्रैल से 18-59 साल के वयस्कों को अभी तक केवल 23.31 लाख लोगों ने ही निजी अस्पतालों से अपने खर्च पर प्रीकॉशन डोज या बूस्टर लगवाया है। असल में मुफ्त टीकाकरण से केंद्र सरकार के हाथ खींचने के बाद लोगों का उत्साह भी कम हो गया है। पिछले तीन माह से कोविड के मामले 1% से कम होने पर लोगों ने मान लिया कि कोविड का खतरा नहीं रह गया है। भोपाल के एक निजी अस्पताल में टीकाकरण करने वाली नीति बताती हैं कि सभी पात्र लोगों के पास एसएमएस तो पहुंच रहे हैं, लेकिन वे अस्पताल का रुख नहीं कर रहे हैं।

सरकार की गलतियों की लंबी फेहरिस्त

दरअसल, कोविड संबंधी नीतियों को लेकर केंद्र सरकार का जोर प्रचार पर ज्यादा और वैज्ञानिक तथ्यों और तर्कों पर कम रहा है। केवल कोविड से देश में हुई मौतों के आंकड़े छिपाने का ही नहीं, बल्कि कोविशील्ड की दो खुराक में तीन महीने का अंतर और दूसरी खुराक के बाद बूस्टर में 9 महीने का लंबा अंतर लोगों को टीकाकरण से दूर करने में एक महत्वपूर्ण पहलू रहा है। अकेले महाराष्ट्र का उदाहरण लें, जहां फिलहाल कोविड के सबसे ज्यादा मामले देखे जा रहे हैं तो पता चलेगा कि राज्य की 10% से ज्यादा आबादी अभी भी टीके से महरूम है। करीब पौने 4 लाख टीके एक्सपायर होने के कगार पर हैं। इसलिए राज्य सरकार हर घर दस्तक देकर टीका लगा रही है।

टीके को बाजार पर छोड़ना कितना सही

कोविड महामारी के दोनों लहरों में कोवैक्सीन और कोविशील्ड ने कारगर तरीके से लोगों की जीवन रक्षा की है। केंद्र सरकार ने दोनों ही टीके लोगों को मुफ्त उपलब्ध कराए। उसी का नतीजा है कि देश कोविड की महामारी से कुछ हद तक बाहर आ पाया है। लेकिन उसके बाद सरकार ने सभी टीकों को बाजार के हवाले कर दिया। नतीजा यह हुआ कि इस समय बाजार में देशी और विदेशी दोनों तरह के टीके अलग-अलग कीमतों पर उपलब्ध है। पहले सरकारी टीके लगवा चुके लोग कन्फ्यूज हैं कि आगे कौन सा टीका लगवाएं? केंद्र सरकार के स्वास्थ्य मंत्रालय की ओर से इस बात की कोई जानकारी नहीं दी गई है कि बाजार में उपलब्ध कौन सा टीका कितना असरदार है। यह भी लोगों के प्रीकॉशन डोज से दूर होने का बड़ा कारण है।

दिल्ली सरकार ने लोगों को मुफ्त बूस्टर डोज लगवाने का इंतजाम किया है। लेकिन बजट की किल्लत से जूझ रहीं बाकी राज्य सरकारें ऐसा कोई जोखिम उठाने की स्थिति में नहीं हैं। यहां तक कि टेस्टिंग, ट्रैकिंग और ट्रीटमेंट में भी कोताही बरती जा रही है। कोविड सुरक्षा के प्रोटोकॉल अब लगभग गायब ही हो चुके हैं।

इन हालात में सरकार की निजी वैक्सीन की नीति लंबे समय तक नहीं चलेगी। खासकर अगर कोविड के आंकड़े 10 हजार के पार हुए और लोगों की प्रीकॉशन डोज के प्रति बेरुखी का यही आलम रहा तो देर-सबेर सरकार को अपनी नीति में बदलवाव कर मुफ्त में बूस्टर डोज भी देना पड़ेगा।

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