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DAP fertilizer Crisis : कानून हाथ में लेने को मजबूर हो रहे हरियाणा के किसान

Janjwar Desk
23 Oct 2021 10:43 AM GMT
DAP fertilizer Crisis : कानून हाथ में लेने को मजबूर हो रहे हरियाणा के किसान
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हरियाणा में डीएपी खाद क्राइसिस से किसान परेशान।

DAP fertilizer Crisis : गेहूं बुवाई में डीएपी खादकी कमी की वजह से किसान मारे मारे घूम रहे हैं। स्थिति यह है कि पुलिस की निगरानी में खाद बांटा जा रहा है। खट्टर सरकार किसानों को डीएपी खाद उपलब्ध कराने में नाकामयाब साबित हो रही है।

DAP fertilizer Crisis : हरियाणा में डीएपी खाद की कमी की वजह से किसान कानून हाथ में लेने को मजबूर हो रहे हैं। वहीं मनोहर लाल खट्टर और दुष्यंत चौटाला की सरकार किसानों को समय पर डीएपी खाद उपलब्ध कराने में अभी तक नाकाम रही है। किसानों का कहना है कि यदि समय पर खाद नहीं मिला तो गेहूं समेत सब्जियों की बुवाई में देरी हो जाएगी, जिससे उन्हें आर्थिक नुकसान उठाना पड़ेगा।

युवा किसान मोर्चा के प्रवक्ता रणदीप सिंह ने बताया कि कई जगह तो रात में ही किसान खाद के लिए लाइन में लग रहे हैं। इसके बाद भी उन्हें खाद नहीं मिल रहा है। खाद की सप्लाई नियमित न होने की वजह से प्रदेश में किसानों में अफरा तफरी की स्थिति बनी हुई है। मंडी अटेली में खाद की किल्लत से परेशान किसानों ने एक डिपो पर धावा बोल कर खाद छीन लिया था। इस घटना के बाद कई किसानों के खिलाफ मामला दर्ज किया गया है।

खाद के बिना गेहूं की बिजाई संभव नहीं

करणदीप सिंह ने बताया कि डीएपी खाद के बिना गेहूं की बिजाई हो नहीं सकती। क्योंकि यदि खाद बिना गेहूं की बिजाई कर दी तो भी उत्पादन बुरी तरह से प्रभावित हो जाएगा। इसलिए किसान खाद को लेकर मारा मारा घूम रहा है। इस वक्त हरियाणा में धान कटाई का सीजन चल रहा है। किसान धान कटाई के एक दम बाद गेहूं की बिजाई करते हैं। क्योंकि धान की नमी से गेहूं के खेत में सिंचाई की जरूरत नहीं पड़ती। यदि बिजाई में देरी हो जाती है तो खेत सूख सकता है। फिर किसान को सिंचाई करने के बाद ही गेहूं की बिजाई करनी होती है। क्योंकि पर्याप्त नमी के बिना गेहूं उग नहीं सकता।

किसानों की चिंता से सरकार बेपरवाह

कांग्रेस नेत्री एवं पूर्व मंत्री किरण चौधरी ने कहा कि खाद की कमी से किसान बदहाल हो रहा है। कृषि मंत्री बार-बार कह रहे हैं कि खाद की कोई कमी नहीं है, लेकिन स्थिति इसके बिल्कुल विपरीत है। किसानों को सुबह से लेकर शाम तक सरकारी खरीद केंद्रों के बाहर खाद के लिए इंतजार करना पड़ता है। बावजूद इसके या तो उन्हें खाद मिलता है या फिर मिलता है केवल दो बैग। उन्होंने कहा कि जब सरकार को पता था कि बिजाई के सीजन पर खाद ( DAP fertilizer ) की जरूरत है तो पहले से ही खाद का इंतजाम करना चाहिए था। इससे साबित होता है कि सरकार को किसानों की कोई सुध नहीं है। सरकार केवल जनता को गुमराह करने में जुटी है।

खाद की कमी, सरकार के खिलाफ दुष्प्रचार

सीएम मनोहर लाल ने बताया कि कालाबाजारी करने वालों ने अफवाह फैलाई की प्रदेश में डीएपी खाद की किल्लत है, जबकि प्रदेश में खाद की पर्याप्त मात्रा है। अब डीएपी का स्टॉक 32 हजार मीट्रिक टन रह गया है। बढ़ती मांग को देखते हुए हरियाणा सरकार ने केंद्र को 31 अक्टूबर तक 16 और रैक यानि 41 हजार एमटी खाद की मांग भेजी है।

अक्टूबर माह में प्रदेश की अनुमानित मांग 58 हजार मीट्रिक टन थी, इसके मुकाबले 20 दिन में ही 51 हजार मीट्रिक टन डीएपी आ चुका है। पहले से मौजूद 53 हजार एमटी खाद को मिलाकर कुल एक लाख एमटी से अधिक स्टॉक में से 71 हजार मीट्रिक टन की बिक्री हो चुकी है। अब डीएपी का स्टॉक 32 हजार मीट्रिक टन रह गया है। प्रदेश में 12 लाख हेक्टेयर में धान की बिजाई की गई थी। इसमें से आधे के अधिक रकबे में धान की कटाई चुकी है, जबकि शेष में बासमती किस्म की धान खड़ी है।

समय से पहले डीएपी की मांग ज्यादा

दक्षिण हरियाणा के रेवाड़ी, महेंद्रगढ़, भिवानी, चरखी दादरी, हिसार समेत अन्य जिलों में जरूर सरसों बिजाई चल रही है। अब हर जिले में डीएपी की मांग बढ़ गई है। रबी के सीजन में डीएपी की कुल लागत 3 लाख एमटी के करीब होती है, लेकिन इस बार समय से पहले डीएपी अधिक मांग आपूर्ति पर भारी पड़ रही है।

आंकड़ों से न खेले सरकार

इनेलो नेता पूर्व विधायक अभय सिंह चौटाला ने कहा कि सरकार खाद के आंकड़े खेलना बंद करे। स्थिति देखें। इस वक्त प्रदेश में खाद की भारी किल्लत है। किसानों को महंगे दाम पर खाद ब्लैक में खरीदना पड़ रहा है। भाजपा सरकार हर समस्या के लिए लोगों को जिम्मेदार ठहरा कर अपनी जिम्मेदारी से पल्ला झाड़ लेती है। अब खाद की किल्लत पर किसानों को जिम्मेदार ठहराया जा रहा है कि वह खाद की जमाखोरी कर हैं। सवाल यह है कि किसान खाद का करेगा, क्या वह तो अपनी जरूरत का खाद ही लेगा। जब प्रदेश सरकार को पता है कि हर बार गेहूं बुवाई में कितना खाद चाहिए तो उसका इंतजाम पहले से क्यों नहीं किया गया?

जरूरी कदम उठाने की जरूरत

इस सवाल का जवाब देने की बजाय सरकार कभी किसान तो कभी विपक्ष को जिम्मेदार ठहरा रही है। हकीकत यह है कि सरकार किसानों को समय पर खाद उपलब्ध कराने में नाकामयाब साबित हो रही है। सरकार समय रहते खाद की उपलब्धता तो लेकर कोई नीति नहीं बना पाई। सरकार को जो योजना पहले बनानी चाहिए थी वह तैयार नहीं की। इसका खामियाजा अब किसानों को भुगतना पड़ रहा है। अभय सिंह चौटाला ने कहा कि सरकार किसानों को खाद उपलब्ध कराने की दिशा में उचित कदम उठाए।

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