Dehradun Crime News : भू-माफियाओं ने किया 100 करोड़ रुपए की भूमि का फर्जीवाड़ा, कंपनी के डायरेक्टर समेत तीन लोग गिरफ्तार
भू-माफियाओं ने किया 100 करोड़ रुपए की भूमि का फर्जीवाड़ा
Dehradun Crime News : सर्वोच्च न्यायालय और सेबी के फर्जी दस्तावेज तैयार कर संगठित भू-माफियाओं ने 100 करोड़ रुपए की भूमि का फर्जीवाड़ा किया है। एसटीएफ ने इस मामले में एक कंपनी के डायरेक्टर समेत तीन लोगों को गिरफ्तार कर लिया है। आरोपियों ने पीजीएफ लिमिटेड की सीज संपत्तियों को अपनी बताकर लोगों को रजिस्ट्रियां की हैं। फर्जीवाड़े के इस मामले में एसटीएफ की जांच के बाद डालनवाला में कुल 11 लोगों के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया गया है।
क्या है पूरा मामला
एसएसपी एसटीएफ अजय सिंह का कहना है कि उन्हें दून में असंगठित भू-माफिया के सक्रिय होने की जानकारी मिली थी। पता चला कि भाऊवाला, धोरणघास, तरला आमवाला, बड़ोवाला और मसूरी में मौजूद संपत्तियों को एक कंपनी एसपीके वर्ल्डकॉम प्राइवेट लिमिटेड बेच रही है। इसके लिए कंपनी के डायरेक्टर पूजा मलिक व संजीव मलिक ने रिटायर्ड न्यायमूर्ति विक्रमजीत सैन व सेबी के अधिकारियों के फर्जी हस्ताक्षर पर कागजात बनाए हैं।
आरोपी धोखाधड़ी के मामले में जा चुके हैं जेल
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार इन फर्जी दस्तावेजों के माध्यम से यह दर्शाया गया है कि सेबी ने इन संपत्ति का मालिकाना हक इस कंपनी को दे दिया है। जब जांच की गई तो मालूम हुआ कि यह लोग पहले भी जमीन संबंधी धोखाधड़ी में जेल जा चुके हैं। यह विभिन्न सरकारी व गैर सरकारी संस्थानों के कर्मचारियों से सांठगांठ कर दस्तावेज तैयार कराते हैं। वहीं इस मामले में देहरादून और आसपास के कुल 8 लोग एसटीएफ के सामने आए हैं।
11 लोगों के खिलाफ मुकदमा
इन 8 लोगों से बातचीत के बाद जांच में 11 लोगों के खिलाफ मुकदमा डालनवाला में दर्ज किया गया। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार जब संजीव मलिक को यह पता चला कि उसके खिलाफ जांच चल रही है तो वह लुधियाना भाग गया। वहां से एसटीएफ के इंस्पेक्टर अबुल कलाम और उनकी टीम ने संजीव मलिक समेत उसके दो साथियों शुभम और टिंकू को गिरफ्तार कर लिया। बता दें कि आरोपी संजीव मलिक डिफेंस कॉलोनी का निवासी है, आरोपी शुभम केहरी गांव प्रेमनगर का निवासी है और आरोपी टिंकू अकबर पथरी, अमरोहा उत्तर प्रदेश का रहने वाला है।
सीबीआई को सौंपी गई थी जांच
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार पीजीएफ और पीएसीएल कंपनी ने देशभर के लोगों से धन दोगुना करने का लालच देकर रुपए जमा कराए थे। इनसे इन दोनों कंपनियों ने अरबों रुपए की संपत्ति खरीदीं। लोगों को लालच दिया गया था कि वह इन संपत्तियों के मालिक हैं लेकिन बाद में ना तो लोगों को पैसा मिला और ना ही संपत्तियां। जिसके बाद इस मामले की जांच को सीबीआई को सौंपी गई|
इस मामले में सीबीआई ने जांच की। सीबीआई की जांच के बाद उच्चतम न्यायालय के आदेशानुसार देशभर में विभिन्न स्थानों पर करोड़ों रुपए की अचल संपत्ति को सीज किया गया। इन संपत्तियों में 348 संपत्तियां पीडीएफ और 14000 संपत्ति पीएसीएल की थी। जिसके बाद इन संपत्तियों के निस्तारण के लिए सेबी सुप्रीम कोर्ट के सेवानिवृत्त न्यायाधीश को शामिल करते हुए समिति बनाई गई। आरोपी संजीव मलिक ने इन जमीनों को नीलामी में खरीदना दर्शाया था, जिसमें लिखा था कि यह समिति ही इन संपत्तियों की नीलामी कर रही है।
एसटीएफ ने सेबी से पत्राचार किया
इस मामले के मुख्य आरोपी संजीव मलिक ने अपने नाम जमीनों को दर्शाने के लिए सुप्रीम कोर्ट की समिति के खातों में फर्जी लेनदेन भी दिखाया। इसमें लगता था कि यह जमीन उसने सच में नीलामी में खरीदी है। जिसके बाद सेबी के फर्जी प्रमाणपत्र भी बना लिए गए। आरोपी संजीव मलिक करीब 160 बीघा की जमीन को अपने नाम पर बता कर बेच रहा था। बता दें कि इस 160 बीघा की जमीन की अनुमानित लागत करीब 100 करोड़ से ज्यादा है।
जिसके बाद एसटीएफ ने सेबी से पत्राचार किया तो पता चला कि संजीव मलिक व पूजा मलिक द्वारा जो सेबी व सुप्रीम कोर्ट के एग्रीमेंट दिखाए गए हैं, वह पूरी तरह से फर्जी हैं। यह बात सामने आई कि सेबी ने इस तरह के ना तो कोई प्रमाण पत्र जारी किए हैं और ना ही इस कंपनी को जमीन नीलाम की है।