Begin typing your search above and press return to search.
राष्ट्रीय

Delhi Riots 2020 : 'अब्बू की हार्ट अटैक से मौत - बहन का टूटा निकाह...' UAPA के आरोपों को झेल रहे लोगों के परिवारों की आपबीती

Janjwar Desk
16 April 2022 7:45 AM GMT
Delhi Riots 2020 : लोगों ने हमें आतंकवादी बना दिया... UAPA के आरोपों को झेल रहे लोगों के परिवारों की आपबीती
x

Delhi Riots 2020 : 'लोगों ने हमें आतंकवादी बना दिया...' UAPA के आरोपों को झेल रहे लोगों के परिवारों की आपबीती

Delhi Riots 2020 : दिल्ली दंगों के मामले में जेल गए मोहम्मद सलीम खान की बेटी सायमा खान बतायी हैं- अब्बू की गिरफ्तारी के बाद जीना दुश्वार है, उनका मुकदमा लड़ने के लिए हमें ऐसे कई कानून और अधिकार जानने पड़े जो पहले पता नहीं थे....

Delhi Riots 2020 : राजधानी दिल्ली के अलग-अलग इलाकों में हुए भीषण दंगों के सिलसिले में जिन लोगों को कठोर यूएपीए कानून के तहत गिरफ्तार किया गया था अब उनके परिवार के लोगों की जिंदगी पूरी तरह से बदल गयी है। यूएपीए के आरोपों को झेल रहे लोगों के परिवारों ने शुक्रवार को जुमे के लिए साथ बैठकर इफ्तार किया। इस इफ्तार को एसआईओ यानि स्टूडेंट्स इस्लामिक ऑर्गेनाइजेशन ऑफ इंडिया द्वारा आयोजित किया गया था। इसमें आसिफ इकबाल (Asif Iqbal) और सफूरा जरगर (Safoora Zargar) भी शामिल हुईं जो यूएपीए (UAPA) के मामलों में फिलहाल जमानत पर बाहर हैं।

बता दें कि नागरिकता संसोधित कानून के पक्ष और विपक्ष को लेकर चल रहे प्रदर्शन के बीच 24 फरवरी 2020 को उत्तर पूर्वी दिल्ली में दंगे (North East Delhi Riots 2020) भड़क गए थे और हालात काबू से बाहर हो गए थे। तब के अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प (Donald Trump) भी भारत दौरे पर थे। हालांकि उन्होंने इन दंगों को लेकर एक शब्द भी नहीं कहा था। इन दंगों में कम से कम 53 लोग मारे गए जबकि 200 लोग घायल हुए थे। इन दंगों के मामले में आसिफ इकबाल तन्हा को भी गिरफ्तार किया गया था। तन्हा अपने परिवार पर आयी मुश्किलों के बारे में बताते हैं- मेरी गिरफ्तारी के वक्त मेरे अम्मी-अब्बू झारखंड में थे। जब पुलिस ने मेरे परिवार को गिरफ्तारी के बारे में बताया तो मेरे अब्बू को दिल का दौरा पड़ गया। मेरी गिरफ्तारी के कारण मेरी बहन का निकाह टूट गया।

एनडीटीवी की रिपोर्ट के मुताबिक तन्हा ने कहा कि इन मुकदमों की सुनवाई जल्दी होनी चाहिए। हमारे मुकदमे के लिए विशेष अदालत होने के बावजूद इसमें इतनी देरी क्यों हो रही है? न्यायपालिका, सरकार और पुलिस को इसका जवाब देना चाहिए।

उन्होंने कहा कि न्यायपालिका को उन्हें जेल से छोड़ने में तेरह महीने से ज्यादा का वक्त लग गया। उन्होंने आगे कहा- निचली अदालत में छह महीने से ज्यादा और उच्च न्यायालय में तीन महीने से ज्यादा का समय लगा। खालिद सैफी की जमानत याचिका छह महीने से ज्यादा वक्त के बाद खारिज हो गई। उन्होंने यह पहले क्यों नहीं किया?

तन्हा ने आगे कहा कि ऐसे तमाम पत्रकार, राजनेता और कार्यकर्ता हैं जो सरकार की गलत नीतियों के खिलाफ बोल रहे हैं। अपना विचार रखने वालों और सरकार की कुछ नीतियों के खिलाफ बोलने वालों के खिलाफ यूएपीए लगा देते हैं, पहले टाडा हुआ करता था। अपने मामले में फैसले का हवाला देते हुए उन्होंने कहा कि अदालतों ने खुद ही कहा है कि विरोध प्रदर्शन करना न तो कोई गुनाह है और न ही यह कोई आतंकवादी गतिविधि है।

दिल्ली दंगों के मामले में जेल गए मोहम्मद सलीम खान की बेटी सायमा खान बतायी हैं- अब्बू की गिरफ्तारी के बाद जीना दुश्वार है। उनका मुकदमा लड़ने के लिए हमें ऐसे कई कानून और अधिकार जानने पड़े जो पहले पता नहीं थे। अब्बू को यूएपीए के तहत गिरफ्तार किया गया था, इस कारण कुछ लोगों ने हमें आतंकवादी बना दिया।

Next Story

विविध