Begin typing your search above and press return to search.
दिल्ली

फिर 'मोदी सरकार मुर्दाबाद' के नारों से गूंजा सिंघु बॉर्डर, 7वें दिन भी डटे हैं आंदोलनकारी किसान

Janjwar Desk
2 Dec 2020 6:50 PM IST
फिर मोदी सरकार मुर्दाबाद के नारों से गूंजा सिंघु बॉर्डर, 7वें दिन भी डटे हैं आंदोलनकारी किसान
x
32 से अधिक कृषि यूनियनों से जुड़े हजारों किसान पिछले सात दिनों से सिंघु और टीकरी बॉर्डर पर डटे हुए हैं, सिंघु बॉर्डर हरियाणा के सोनीपत जिले से दिल्ली को जोड़ता है, जबकि टिकरी बॉर्डर हरियाणा के झज्जर जिले के बहादुरगढ़ को दिल्ली से जोड़ता है....

नई दिल्ली। केंद्र और किसानों के बीच एक दिन पहले हुई वार्ता अनिर्णायक रही। किसान बुधवार को सातवें दिन भी सिंघु बॉर्डर पर डटे हुए हैं। किसानों ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार के खिलाफ नारेबाजी की। किसान-मजदूर एकता मंच से जुड़े किसानों के एक समूह ने दिल्ली-अंबाला मार्ग स्थित सिंघु बॉर्डर पर केंद्र सरकार के खिलाफ नारेबाजी की। 26 नवंबर के बाद बुधवार को यह ऐसा पहला मौका था, जब किसानों ने इस तरह की नारेबाजी की।

किसान हरे, नीले, गुलाबी, पीले और सफेद रंग की पगड़ी पहने दिखाई दिए, जो उनके कृषि यूनियन के झंडे के रंगों से मिलती है। इन किसानों में सबसे अधिक पंजाब से हैं, जबकि कुछ किसान हरियाणा से भी हैं। किसानों ने 'मोदी सरकार मुदार्बाद' और 'किसान मजदूर एकता जिंदाबाद' जैसे नारे लगाए।

32 से अधिक कृषि यूनियनों से जुड़े हजारों किसान पिछले सात दिनों से सिंघु और टीकरी बॉर्डर पर डटे हुए हैं। सिंघु बॉर्डर हरियाणा के सोनीपत जिले से दिल्ली को जोड़ता है, जबकि टिकरी बॉर्डर हरियाणा के झज्जर जिले के बहादुरगढ़ को दिल्ली से जोड़ता है। इसके अलावा सैकड़ों किसानों ने दिल्ली-गाजियाबाद पर गाजीपुर बॉर्डर और दिल्ली-नोएडा पर चीला सीमा बिंदुओं को अवरुद्ध कर दिया है।

मंगलवार को सरकार और किसानों के बीच तीन दौर की वार्ता हुई, जिसका कोई परिणाम नहीं निकल सका। इसके बाद बुधवार को जोरदार नारेबाजी देखी गई। किसान केंद्र की ओर से पारित किए गए तीन कृषि कानूनों को वापस लेने की मांग कर रहे हैं, जबकि सरकार इसके लिए तैयार नहीं है।

किसान नेताओं ने मुद्दों को हल करने के लिए केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर और पीयूष गोयल की ओर से एक समिति बनाने की पेशकश को ठुकरा दिया है। उनका कहना है कि कानून बनाने से पहले समिति बनाई जानी चाहिए थी और उसमें किसी किसान प्रतिनिधि को शामिल किया जाना चाहिए था।

Next Story

विविध