दिल्ली:क्वारन्टीन सेंटर में ड्यूटी कर रहे डॉक्टर की कोरोना से हुई मौत, सरकार से अबतक नहीं मिली मदद

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जनज्वार। कोरोना काल में डॉक्टरों को फ्रंटलाइन वॉरियर कहा जा रहा है। इन्हें सरकार कोरोना योद्धा कहते नहीं थक रही। दूसरी तरफ इनके किसी संकट में पड़ने या फिर मौत हो जाने पर क्या स्थिति हो रही है, यह कोरोना संक्रमण का शिकार होकर मृत हुए दिल्ली के डॉ जावेद की पत्नी डॉ हिना बता रहीं हैं।
डॉ जावेद अली ने रूस की स्टेट यूनिवर्सिटी से एमबीबीएस की डिग्री हासिल की थी। वर्ष 2011 में उन्होंने नेशनल हेल्थ मिशन में नौकरी शुरू की और फ़िलहाल संविदा पर कार्यरत थे। उन्होंने विगत मार्च महीने से लेकर जून महीने तक विभिन्न क्वारन्टीन सेंटरों पर ड्यूटी की थी।
डॉ जावेद कोरोना संक्रमण फैलने से पहले दक्षिणी दिल्ली के संगम विहार स्थित डिस्पेंसरी में तैनात थे। उन्होंने मार्च से लेकर चार महीनों के बीच राधास्वामी कोविड केयर सेंटर, दक्षिणी दिल्ली के छतरपुर क्वारन्टीन सेंटर और दिल्ली के ही पुष्प विहार सीरो सर्विलांस सेंटर पर ड्यूटी की थी। इसी दौरान जून में वे कोरोना पॉजिटिव पाए गए थे। कोरोना संक्रमण से तीन हफ्तों तक जूझने के बाद गत सोमवार को एम्स ट्रॉमा सेंटर में उनकी मौत हो गई।
डॉ अली अपने पीछे पत्नी डॉ हिना और दो बच्चों को छोड़कर गए हैं। डॉ हिना ने मीडिया से कहा 'वह एक समर्पित डॉक्टर थे और उन्होंने मार्च से कोई छुट्टी नहीं ली थी। यहां तक कि वह ईद पर भी ड्यूटी पर थे।' डॉ हिना ने बताया कि मुझे और बच्चों को उनका अंतिम दर्शन भी नहीं करने दिया गया। वे दस दिनों से वेंटिलेटर पर थे।
डॉ अली मूल रूप से उत्तर प्रदेश के चंदौली जिले के निवासी थे। उनके कलीग डॉ धीरज कहते हैं 'वे 24 जून को पॉजिटिव पाए गए थे। 26 जून को उन्होंने सांस में तकलीफ की शिकायत की थी। उसके बाद उन्हें एक निजी हॉस्पिटल में भर्ती कराया गया, पर उनकी हालत बिगड़ने लगी। इसके बाद उन्हें लोकनायक जयप्रकाश हॉस्पिटल में भर्ती कराया गया। स्थिति में सुधार न होने पर एम्स के ट्रॉमा सेंटर में भर्ती कराया गया था।'
डॉ जावेद की पत्नी डॉ हिना को अभी सरकार की तरफ से किसी भी तरह की आर्थिक सहायता नहीं मिल पाई है। वे सवाल उठातीं हैं कि लोगों का इलाज करना हमारी जिम्मेदारी है, पर हमारी सुरक्षा का क्या? अब हमारे बच्चों की शिक्षा में कौन हमारी मदद करेगा? सरकार को स्वास्थ्यकर्मियों और उनके परिजनों की सुरक्षा सुनिश्चित करनी चाहिए।
नेशनल हेल्थ मिशन की अध्यक्ष डॉ अलका चौधरी ने मृत डॉक्टर के परिजनों को आर्थिक सहायता दिलाने की पहल शुरू की है। उन्होंने सरकार को लिखे पत्र में नेशनल हेल्थ मिशन के डॉक्टरों, चिकित्साकर्मियों और संबंधित सभी स्टाफ को मेडिकल सुविधा दिए जाने की मांग की है।