7 दिनों से एक बॉर्डर से दूसरे बॉर्डर हाथों में मशाल लिए पैदल चल रहे बुजुर्ग किसान
गाजीपुर बॉर्डर। कृषि कानून (Farm Laws) के खिलाफ किसान तीन महीनों से सड़कों पर हैं, एक तरफ दिल्ली की सीमाओं पर किसान (Farmers) डेरा डाले हुए हैं, तो वहीं कुछ बुजुर्ग किसान कानून के खिलाफ विरोध दर्ज कराने के लिए एक बॉर्डर से दूसरे बॉर्डर तक हाथों में मशाल लिए सड़कों पर उतर आए हैं। 80 वर्षीय बुजुर्ग राजपाल और उनके अन्य साथी हाथों में मशाल लेकर एक बॉर्डर से दूसरे बॉर्डर पहुंच रहे हैं, बीते 7 दिनों में ये सभी 4 बॉर्डर पर पहुंच अपना विरोध दर्ज करा चुके हैं।
ढांसा बॉर्डर से 7 दिन पहले रवाना हुए बुजुर्ग किसान पहले टिकरी बॉर्डर पहुंचे और फिर वहां से सिंघु बॉर्डर और शुक्रवार को ये सभी किसान गाजीपुर बॉर्डर पहुंचे, हाथों में मशाल लिए सभी किसानों ने एक ही सुर में कहा कि, "जब तक सरकार कानून वापस नहीं लेती, हम इसी तरह एक बॉर्डर से दूसरे बॉर्डर चलतें रहेंगे।"
हालांकि गाजीपुर बॉर्डर के बाद ये सभी पलवल बॉर्डर की ओर रवाना हो गए। 80 वर्षीय बुजुर्ग राजपाल ने बताया, "हरियाणा के अलग अलग गांव के निवासी हैं और सरकार के कानूनों का विरोध करते हैं।"
उन्होंने आगे बताया कि, "उनकी तीन पुश्तें इन कानूनों के खिलाफ बॉर्डर पर बैठी हुई हैं। पोते ढांसा बॉर्डर पर आंदोलन में बैठे तो वहीं वह और उनका बेटा मशाल यात्रा लेकर निकले हुए हैं।"
मशाल पैदल यात्रा में राजपाल की उम्र सबसे ज्यादा है, चेहरे पर झुर्रियां और कमर झुकी हुई, लेकिन हौसला इतना बरकरार है कि मानों कोई नौजवान मशाल यात्रा लेकर निकला हुआ है। मशाल पैदल यात्रा में योगेंद्र शास्त्री, हंसराज, राजपाल, राजकुमार, गुरविंदर सिंह, राजबीर और अन्य आदि बुजुर्ग शामिल हैं।
दरअसल तीन नए अधिनियमित खेत कानूनों के खिलाफ किसान पिछले साल 26 नवंबर से राष्ट्रीय राजधानी की विभिन्न सीमाओं पर विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं।
किसान उत्पाद व्यापार और वाणिज्य (संवर्धन और सुविधा) अधिनियम 2020, मूल्य आश्वासन और कृषि सेवा अधिनियम 2020 और आवश्यक वस्तु (संशोधन) अधिनियम 2020 पर किसान सशक्तिकरण और संरक्षण समझौता हेतु सरकार का विरोध कर रहे हैं।