किसान आंदोलन : गाजीपुर बाॅर्डर पर एक और किसान ने की आत्महत्या, मरने वालों की संख्या 54 हुई
70 वर्षीय सरदार कश्मीर सिंह का शव व सुसाइड नोट।
जनज्वार। पिछले सवा महीने से जारी किसान आंदोलन में शनिवार को एक और किसान की जान जाने की खबर है। भारतीय किसान यूनियन के अनुसार, गाजीपुर बाॅर्डर पर एक किसान ने आत्महत्या कर ली। आंदोलनरत किसान 70 वर्षीय सरदार कश्मीर सिंह आत्महत्या करके अपनी जान दे दी। वे बिलासपुर, रामपुर के रहने वाले थे। किसान ने बाथरूम में फांसी लगाकर आत्महत्या की है और एक सुसाइड नोट लिखा है। इसमें उन्होंने अपना अंतिम संस्कार गाजीपुर बाॅर्डर पर करने की ही बात कही है।
गाजीपुर बॉर्डर पर एक किसान ने आत्महत्या कर जीवन त्याग दिया आंदोलनरत सरदार कश्मीर सिंह जी बिलासपुर, रामपुर के रहने वाले थे, शहादत पर आंदोलन की भूमि से विनम्र श्रद्धांजलि।#FarmersProtests #KisanAandolan @myogiadityanath @narendramodi @ANI @PTI_News pic.twitter.com/R2vsSoGVQu
— Bhartiya kisan Union (@OfficialBKU) January 2, 2021
समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव ने किसान की आत्महत्या पर गहरा दुख प्रकट किया है। उन्होंने लिखा है कि नव वर्ष के पहले दिन ही किसान आंदोलन में गाजीपुर बाॅर्डर पर एक किसान की शहादत की खबर विचलित करने वाली है। घने कोहरे व ठंड में किसान लगातार अपने जीवन का बलिदान कर रहे हैं लेकिन सत्ताधारी हृदयहीन बने बैठे हैं। भाजपा जैसा सत्ता का इतना दंभ व इतनी निष्ठुरता अबतक कभी नहीं देखी गयी।
नव वर्ष के पहले दिन ही किसान आंदोलन में ग़ाज़ीपुर बार्डर पर एक किसान की शहादत की ख़बर विचलित करनेवाली है। घने कोहरे व ठंड में किसान लगातार अपने जीवन का बलिदान कर रहे हैं लेकिन सत्ताधारी हृदयहीन बने बैठे हैं।
— Akhilesh Yadav (@yadavakhilesh) January 2, 2021
भाजपा जैसा सत्ता का इतना दंभ व इतनी निष्ठुरता अब तक कभी नहीं देखी गयी।
किसान आंदोलन का आज दो जनवरी को 38वां दिन हैं और अबतक 54 किसानों की इस आंदोलन के दौरान विभिन्न कारणों से मौत हो चुकी है।बीबीसी की एक रिपोर्ट में पंजाब सरकार के आधिकारिक आंकड़ों के हवाले से इससे पहले 53 किसानों की मौत का उल्लेख था। 20 किसानों की जान पंजाब में और 33 की जान दिल्ली की विभिन्न सीमाओं पर आंदोलन के दौरान गयी। दिल्ली की सीमा पर एक और जान जाने से यह 33 का आंकड़ा बढ कर अब 34 हो गया है।
उधर, चार जनवरी को सरकार से किसान नेताओं की होने वाली बैठक से पहले किसानों संघों ने स्पष्ट तौर पर कहा है कि अभी मूल मुद्दों पर बात बाकी है, जो कृषि कानूनों की वापसी और एमएसपी को वैधानिक दर्जा देने की मांग है। इस बीच किसानों ने आंदोलन के अगले चरण के लिए पूरे जनवरी महीने के लिए रणनीति तय की है।
किसान संघों ने तय किया है कि चार जनवरी की वार्ता विफल रही तो 23 जनवरी को सुभाष चंद्र बोस की जयंती तक व्यापक आंदोलन चलाया जाएगा। इसके तहत छह जनवरी को केएमपी हाइवे पर ट्रैक्टर मार्च, सात से 20 जनवरी तक किसान जागृति अभियान, 18 जनवरी तक महिला किसान दिवस, 23 जनवरी को सुभाष जयंती पर किसान चेतना दिवस का आयोजन किया जाएगा।
संयुक्त किसान मोर्चा की सात सदस्यीय समन्वय समिति की आज दो बजे एक अहम प्रेस कान्फ्रेंस होगी जिसमें किसान नेता बड़ी घोषणाएं कर सकते हैं। किसान नेताओं ने उस दावे को खारिज किया है कि 50 प्रतिशत मुद्दे हल कर दिए गए हैं।