आंदोलन के 93वें दिन बॉर्डर पर 'युवा किसान दिवस' का आयोजन, बोले कृषि कानूनों को लेकर भ्रम फैला रही सरकार
मुजफ्फरनगर के लिए जुटने लगी है लाखों किसानों-आंदोलनकारियों की भीड़
गाजीपुर बॉर्डर। कृषि कानून के खिलाफ हो रहे किसानों के विरोध प्रदर्शन को तीन महीने से अधिक समय हो चुका है, ऐसे में किसान आंदोलन को तेज करने के लिए लगातार नई रणनीति बनाते हुए दिख रहे है। इन्ही रणनीति के अंतर्गत संयुक्त किसान मोर्चा द्वारा 'युवा किसान दिवस' का आयोजन किया। इसी दिवस के तहत गाजीपुर बॉर्डर पर युवाओं ने मंच को संभाला।
युवाओं के योगदान को मद्देनजर रखते हुए 'युवा किसान दिवस' मनाया गया। वहीं आंदोलन के 93 दिन बॉर्डर पर युवा काफी उत्साहित दिखाई दिए, साथ ही भविष्य में होने वाली महापंचायतों को लेकर भी रणनीति बनाई गई। मंच से युवाओं ने कृषि कानून पर अपनी अपनी बात रख, इन कानूनों के खिलाफ अपना विरोध दर्ज कराया।
बिहार से आए कबीर राजपूत ने आंदोलन मंच से युवा किसानों को संबोधित करते हुए कहा कि, "सरकार द्वारा आवश्यक वस्तु अधिनियम को पूरी तरह से बदल कर पूंजीपतियों के हिसाब से बनाया गया है। सरकार ने इन बिलों को पारित कर यह साबित कर दिया है कि सरकार सिर्फ पूंजीपतियों के हित में कार्य करके किसान मजदूर गरीब व मध्यम वर्ग का उत्पीड़न करने में जुटी है।"
भारतीय किसान यूनियन के युवा अध्यक्ष गौरव टिकैत ने भी मंच से भाषण दिया, उन्होंने कृषि कानून पर बोलते हुए कहा की, "सरकार कृषि कानून पर सिर्फ भ्रम फैला कर ये साबित कर रही है कि ये जो कानून बनाए हैं, ये सही हैं।"
बरेली से कुछ युवाओं ने आकर किसानों का समर्थन किया, वहीं अपने शरीर पर एक तख्ती भी लटकाई जिस पर कृषि विषय पर संदेश लिखे हुए थे।
सरकार और किसान संगठनों के बीच 11 दौर की वार्ता हो चुकी है, लेकिन अभी तक कोई नतीजा नहीं निकल सका है। दूसरी ओर फिर से बातचीत शुरू हो इसके लिए किसान और सरकार दोनों तैयार हैं, लेकिन अभी तक बातचीत की टेबल पर नहीं आ पाए हैं।
दरअसल तीन नए अधिनियमित खेत कानूनों के खिलाफ किसान पिछले साल 26 नवंबर से राष्ट्रीय राजधानी की विभिन्न सीमाओं पर विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं।