Devasthanam Board: उत्तराखंड सरकार ने भंग किया देवस्थानम बोर्ड, मुख्यमंत्री धामी ने किया ऐलान
(उत्तराखंड की पुष्कर सिंह धामी सरकार ने वापस लिया चार धाम देवस्थानम बोर्ड विधेयक)
Devasthanam Board: उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी (Pushkar Singh Dhami) ने देवस्थानम बोर्ड को भंग करने की आधिकारिक घोषणा की है। मुख्यमंत्री धामी ने कहा कि हमारी सरकार ने चार धाम देवस्थानम प्रबंधन बोर्ड विधेयक (Char Dham Devasthanam Board Bill) को वापस लेने का फैसला लिया है।
धामी ने अपने आधिकारिक ट्विटर हैंडल से भी जानकारी देते हुए लिखा, 'आप सभी की भावनाओं, तीर्थपुरोहितों, हक-हकूकधारियों के सम्मान एवं चारधाम से जुड़े सभी लोगों के हितों को ध्यान में रखते हुए श्री मनोहर कांत ध्यानी जी की अध्यक्षता में गठित उच्च स्तरीय कमेटी की रिपोर्ट के आधार पर सरकार ने देवस्थानम बोर्ड अधिनियम वापस लेने का फैसला किया है।'
आप सभी की भावनाओं, तीर्थपुरोहितों, हक-हकूकधारियों के सम्मान एवं चारधाम से जुड़े सभी लोगों के हितों को ध्यान में रखते हुए श्री मनोहर कांत ध्यानी जी की अध्यक्षता में गठित उच्च स्तरीय कमेटी की रिपोर्ट के आधार पर सरकार ने देवस्थानम बोर्ड अधिनियम वापस लेने का फैसला किया है। pic.twitter.com/eUH3Tf1go1
— Pushkar Singh Dhami (@pushkardhami) November 30, 2021
गौरतलब है कि पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत की सरकार में देवस्थानम बोर्ड एक्ट बनाया गया था। इसके बाद दो साल पहले देवस्थानम बोर्ड की स्थापना की गई थी। यह बोर्ड चार धामों बद्रीनाथ, केदारनाथ, गंगोत्री और यमुनोत्री से जुड़े 51 मंदिरों की देखरेख करता है। इस बोर्ड का विरोध पुरोहित लंबे समय से कर रहे थे। उनका कहना था कि इस बोर्ड ने मंदिरों पर उनके परंपरागत अधिकार को खत्म कर दिया है।
अगले साल उत्तराखंड में विधानसभा चुनाव होने हैं। ऐसे में इस मुद्दे को लेकर जमकर सियासत भी हो रही थी। इससे पहले ही पूर्व मुख्यमंत्री व कांग्रेस के चुनाव प्रभारी हरीश रावत यह घोषणा कर चुके थे कि कांग्रेस की सरकार बनने पर देवस्थानम बोर्ड को खत्म कर दिया जाएगा। धामी सरकार पर भी इसका बड़ा दबाव था।
उत्तराखंड चारधाम देवस्थानम प्रबंधन विधेयक को 27 नवंबर 2019 को मंजूरी दी गई थी। इसके बाद यह विधेयक 5 दिसंबर 2019 को सदन ममें पारित हुआ। 14 जनवरी 2020 को देवस्थानम विधेयक को राजभवन ने मंजूरी दी। फिर 24 फरवरी 2020 को देवस्थानम बोर्ड में मुख्य कार्यकारी अधिकारी नियुक्त किया गया। इसके बाद 24 फरवरी से ही तीर्थ पुरोहितों ने धरना प्रदर्शन शुरू कर दिया था।
नाराज पुरोहितों ने सामूहिक रूप से भाजपा की सदस्यता छोड़ने की चेतावनी देते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को अपने खून से लिखे पत्र भेजकर भी देवस्थानम बोर्ड एक्ट को रद्द करने की गुहार लगाई थी।