Begin typing your search above and press return to search.
जनज्वार विशेष

Fake Naxal Encounter : 'नक्सली नहीं था मेरा भाई, पुलिस भर्ती की कर रहा था तैयारी,' डीआरजी बल के ही जवान ने लगाया फर्जी मुठभेड़ का आरोप

Janjwar Desk
26 Jan 2022 3:57 PM IST
Fake Naxal Encounter : नक्सली नहीं था मेरा भाई, पुलिस भर्ती की कर रहा था तैयारी, डीआरजी बल के ही जवान ने लगाया फर्जी मुठभेड़ का आरोप
x

(पुलिस पर फर्जी नक्सली मुठभेड़ का आरोप। प्रतीकात्मक तस्वीर)

Fake Naxal Encounter : डीआरजी बल के ही एक जवान रेनूराम नुरेटी ने आरोप लगाते हुए कहा कि उनका भाई नक्सली नहीं था, उसने हाल ही में पुलिस बल में भर्ती के लिए आवेदन भी किया था, वह उसकी तैयारी में लगा था...

मनीष भट्ट की रिपोर्ट

Fake Naxal Encounter : छत्तीसगढ़ के नारायणपुर जिले (Narayanpur) के भरंडा गांव में बीते 23 जनवरी को एक कथित नक्सली मुठभेड़ (Naxal Encpounter) में एक युवक की मौत का दावा पुलिस द्वारा किया गया था। मारे गए युवक की पहचान मानू राम नुरेटी के रूप में हुई है जो पहले से ही बदनामशुदा डीआरजी बल (DRG Force) के ही एक जवान रेनूराम नुरेटी का भाई है। रेनूराम ने मुठभेड़ को फर्जी करार देते हुए कहा है कि उनका भाई तो पुलिस में भर्ती होने की तैयारी कर रहा था।

पत्रकारों से बातचीत में उन्होंने कहा, "मेरा भाई नक्सली नहीं था। उसने हाल ही में पुलिस बल (Chhattisgarh Police) में भर्ती के लिए आवेदन भी किया था। वह उसकी तैयारी में लगा था। मैं अपने वरिष्ठ अधिकारियों से बात करूंगा कि वे मेरे भाई को नक्सली क्यों बना रहे हैं।"

उल्लेखनीय है कि इस कथित मुठभेड़ की जानकारी देते हुए नारायणपुर के अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक नीरज चंद्राकर (Additional Superintendent of Police Neeraj Chandrakar) ने मीडियाकर्मियों को बताया था, "रात करीब 1:30 बजे भरंडा गांव के पास डीआरजी फोर्स की टीम सर्चिंग पर निकली हुई थी। मुख्य मार्ग की पुलिया के पास 10 से 15 नक्सलियों ने सर्चिंग टीम पर जबरदस्त फायरिंग की। करीब दस से पंद्रह मिनट चली फायरिंग में डीआरजी की टीम ने भी जवाबी फायरिंग की।"

(मुठभेड़ में मारे गए मानूराम द्वारा पुलिस भर्ती के लिए दिए गए आवेदन की पावती)

उन्होंने आगे यह भी जोड़ा, "फायरिंग बंद होने के बाद सुबह-सुबह जब क्षेत्र में वापस सर्चिंग शुरू की तो एक शव मिला, जिसके पास से एक भरी हुई बंदूक और नक्सली सामग्री भी मिली, जिसमें एक तीन किलो का कुकर बम, तार, नक्सली साहित्य और कुछ बैनर-पोस्टर भी मिले हैं।'

वहीं, इस कथित मुठभेड़ में अपनी जान गंवाने वाले मानू राम की पत्नी ने कहा है, "मेरे पति एक किसान थे। उनके पास कभी कोई हथियार नहीं था। रविवार रात करीब 10 बजे मेरे पति पक्षियों के शिकार के लिए एक गुलेल के साथ घर से बाहर गए थे। उन्होंने मेरा स्वेटर और चप्पल भी पहना हुआ था, लेकिन पुलिस ने फर्जी मुठभेड़ में उन्हें मार दिया।"

उल्लेखनीय है कि छत्तीसगढ़ का बस्तर संभाग फर्जी मुठभेड़ों में नक्सलवादी करार दिया जाकर आदिवासियों की हत्या को लेकर बदनाम है। जून 2012 में सरकेगुडा में सात नाबालिग सहित 17 आदिवासियों की हत्या के आरोप सुरक्षा बलों पर लगाए गए थे। इसी तरह मई 2013 में एड़समेटा में तीन नाबालिग सहित आठ आदिवासियों को फर्जी मुठभेड़ में मारे जाने को लेकर प्रकरण न्यायालय में विचाराधीन है। ऐसे ही बुरगम (2016), तिम्मापुर (2017) और गमपुर (2019) की मुठभेड़ों में भी स्थानीय नागरिकों ने सुरक्षा बलों की विश्वसनीयता पर सवाल उठाए हैं।

(मुठभेड़ स्थल से बरामद सामग्री की पुलिस द्वारा जारी फोटो)

हालात यहां तक बिगड़ चले है कि वर्ष 2012 में सीबीआई दल पर पुलिस द्वारा हमला कर दिया गया था। इसके पीछे विवादास्पद रह चुके दक्षिण भारतीय आईपीएस की भूमिका होने के आरोप भी लगे थे। सीबीआई ने ही अक्टूबर 2016 में सर्वोच्च न्यायालय में यह स्वीकार किया था कि सुरक्षा बलों ने तीन गावो (ताड़मेटला, मोरपल्ली और तिम्मापुर) के कई आदिवासी घरों में आग लगाई थी। स्थानीय नागरिकों का कहना है कि तब यही विवादित आईपीएस पुलिस अधीक्षक के पद पर था। मगर, पहले रमन सिंह और अब भूपेश बघेल का नज़दीकी होने के चलते उसका कोई नुकसान नहीं हुआ।

हालांकि मानु राम के फर्जी मुठभेड़ में मारे जाने के आरोप का भी नारायणपुर पुलिस ने जवाब दिया है। मृतक के परिजनों द्वारा लगाए गए आरोपों को सिरे से खारिज करते हुए अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक नीरज चंद्राकर ने कहा, "मुठभेड़ के फर्जी होने का आरोप पूरी तरह निराधार है। भले ही मारे गए नक्सली का भाई डीआरजी का जवान है मगर पहले वह भी एक नक्सली संगठन में था। मानूराम ने शायद अपने भाई को यह नहीं बताया था कि वह नक्सली है। मुठभेड़ के दौरान वहां मानूराम अन्य नक्सलियों के साथ मौजूद था।"

बहरहाल, एड़समेटा हत्याकांड के लिए गठित अग्रवाल आयोग द्वारा उसे फर्जी करार दिए और सिलेगर को लेकर धरना दे रहे आदिवासियों की मांग और उनके नेताओं की गिररफ्तारी से पहले ही घिरी भूपेश बघेल सरकार के लिए यह नया आरोप बंदूकों के साए में खौफ की जिंदगी जीते आदिवासियों का एक ऐसा नवा छत्तीसगढ़ है जिसके बारे में उन्हें खुद बताना होगा कि वे इसे गढ़ेंगे अथवा नहीं।

Next Story

विविध