किसान आंदोलन का 36वां दिन, मोदी के कृषि कानून के खिलाफ केरल विधानसभा के विशेष सत्र में प्रस्ताव पारित
मोदी सरकार के कृषि कानूनों के खिलाफ केरल विधानसभा का विशेष सत्र। Photo Credit - ANI Twitter.
जनज्वार। किसान आंदोलन आज 31 दिसंबर को साल के आखिरी दिन 36वें दिन में प्रवेश कर गया है और कल यह नए साल में प्रवेश कर जाएगा। बुधवार को सरकार से छठे दौर की वार्ता के बाद भी किसान नेताओं ने यह स्पष्ट कर दिया है कि वे नए साल के मौके पर आंदोलन पर डंटे रहेंगे और अपने घरों को अभी नहीं लौटेंगे। उधर, केरल विधानसभा का आज केंद्र के कृषि कानूनों को लेकर विशेष सत्र बुलाया गया है।
कृषि कानूनों के खिलाफ सिंघु बॉर्डर पर किसानों का विरोध प्रदर्शन आज 36वें दिन भी जारी है। #FarmersProtest pic.twitter.com/Oc3oSj6rIi
— ANI_HindiNews (@AHindinews) December 31, 2020
इससे पहले केरल विधानसभा में पारित किए गए प्रस्ताव में कहा गया है कि किसानों के वास्तविक चिंताओं का हल किया जाना चाहिए और केंद्र सरकार को तीनों कृषि कानूनों को वापस लेना चाहिए।
Kerala Assembly passes resolution against the three farm laws brought by the Central Government. The resolution says, 'farmers' genuine concerns should be addressed and the Centre should withdraw all three farm laws.' pic.twitter.com/5fTbmobaAz
— ANI (@ANI) December 31, 2020
केरल विधानसभा के विशेष सत्र में मुख्यमंत्री पी विजयन ने केंद्र के तीन कृषि कानूनों को खारिज करने वाला प्रस्ताव पेश किया। मुख्यमंत्री विजयन ने प्रस्ताव पेश करने के बाद कहा कि किसानों का आंदोलन अभी जारी है जो केरल को गंभीर रूप से प्रभावित करेगा। उन्होंने कहा कि इसमें कोई संदेह नहीं है कि अगर अन्य राज्यों के खाद्य पदार्थाें की आपूर्ति बंद हो जाती है तो केरल भूखा रहेगा। उन्होंने केंद्रीय कानूनों का विरोध किया और उसे खारिज करने की बात कही।
The current situation makes it clear that if this agitation continues, it will seriously affect Kerala. There is no doubt that Kerala will starve if the supply of food items from other states stops: State Chief Minister Pinarayi Vijayan#FarmLaws https://t.co/hZKwowdmsV pic.twitter.com/4I8KkqnON9
— ANI (@ANI) December 31, 2020
वहीं, भाजपा के विधायक ओ राजगोपाल ने केरल विधानसभा में केंद्र के कृषि कानूनों के खिलाफ लाए गए प्रस्ताव का विरोध किया। उन्होंने कहा कि इसी तरह के कृषि कानून का प्रस्ताव कांग्रेस ने अपने चुनावी घोषणा पत्र में किया था। सीपीएम भी इस तरह के कानून की मांग कर चुकी है। अब ये दोनों दल इसका विरोध कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि किसानों को गुमराह नहीं होना चाहिए।
BJP MLA O. Rajagopal opposes the resolution moved by Kerala CM opposing Centre's farm laws
— ANI (@ANI) December 31, 2020
"Similar farm laws were promised by Congress in their poll manifesto. CPI(M) also demanded to bring in such laws. Now,both parties are opposing it. Farmers shouldn't be misguided,"he says. pic.twitter.com/CefsYYTbaf
किसानों की दो मांगें बिजली बिल कानून व पराली जलाने संबंधी मांगें मानी हैं। बुधवार की रात्रि किसान नेता बलकरण सिंह बराड ने कहा था कि सरकार ने बिजली के प्रस्तावित बिल को वापस ले लिया है। पराली के मामले में सरकार ने अध्यादेश जारी किया था, उसे वापस ले लिया है, लेकिन हमारी एमएसपी की मांग और तीन कृषि कानूनों को रद्द करने की मांग पर अब चार जनवरी को सरकार से वार्ता होगी।
सरकार ने बिजली के प्रस्तावित बिल को वापिस ले लिया है। पराली के मामले में सरकार ने अध्यादेश जारी किया था, उसे भी वापिस ले लिया है। MSP और कृषि क़ानूनों पर 4 तारीख को बात होगी: बलकरण सिंह बराड़, ऑल इंडिया किसान सभा पंजाब #FarmersProtests pic.twitter.com/nXNxSRAc8y
— ANI_HindiNews (@AHindinews) December 30, 2020
हम कुछ तो संतुष्ट है। दो मांगों को मान लिया गया है। अगली बैठक में हम MSP और 3 क़ानूनों को लेकर सरकार से बात करेंगे। कल की ट्रैक्टर रैली को हमने स्थगित कर दिया है, लेकिन आंदोलन जारी रहेगा: राकेश टिकैत, भारतीय किसान यूनियन के राष्ट्रीय प्रवक्ता pic.twitter.com/xvHu7Ftfnx
— ANI_HindiNews (@AHindinews) December 30, 2020
वहीं, शुक्रवार की सुबह किसान नेता सुखविंदर सिंह ने कहा कि सरकार को कल कानून और एमएसपी के बारे में बात करना चाहिए, लेकिन उन्होंने बात नहीं की। चार जनवरी को उम्मीद है। उन्होंने कहा कि सरकार अभी मान नहीं रही है, कल भी वो हमें इसके लाभ गिनवा रही थी, इसलिए हम चाहते हैं वो जल्द तीन कानूनों को रद्द करें न कि हमें समझाएं।
सरकार को कल कानून और MSPके बारे में बात करना चाहिए था लेकिन उन्होंने बात नहीं की। 4 जनवरी को उम्मीद है,सरकार अभी मान नहीं रही कल भी वो हमें लाभ गिनवा रही थी इसलिए हम चाहते हैं कि वो जल्दी 3कानून को रद्द करें न कि हमें समझाएं:सिंघु बॉर्डर से सुखविंदर सिंह,किसान मज़दूर संघर्ष कमेटी pic.twitter.com/fzcHYFf3i0
— ANI_HindiNews (@AHindinews) December 31, 2020