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आंदोलन के 7 महीने पूरे होने पर किसानों की ट्रैक्टर रैली, देशभर में मनाएंगे 'कृषि बचाओ, लोकतंत्र बचाओ' दिवस

Janjwar Desk
26 Jun 2021 3:10 AM GMT
आंदोलन के 7 महीने पूरे होने पर किसानों की ट्रैक्टर रैली, देशभर में मनाएंगे कृषि बचाओ, लोकतंत्र बचाओ दिवस
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आज फिर आंदोलनकारी किसान निकालेंगे ट्रैक्टर रैली, आंदोलन को हो गये हैं 7 महीने पूरे (file photo)

26 जून को किसान आंदोलन के सात महीने पूरे होने पर किसानों की ट्रैक्टर रैली, गाजीपुर बॉर्डर पर किसानों का भारी जमावड़ा....

नई दिल्ली। कृषि बिल के खिलाफ किसानों का आंदोलन जारी है। 26 जून को इस आंदोलन के सात महीने पूरे हो रहे हैं, जिसे लेकर किसान ट्रैक्टर रैली निकालने की तैयारी में है। इसके मद्देनजर गाजीपुर बॉर्डर पर किसान जुटने शुरू हो गए हैं। बता दें कि देश के किसान तीन कृषि कानूनों के विरोध में प्रदर्शन कर रहे हैं।

आंदोलन के 7 महीने पूरे होने पर किसान देशभर में 'कृषि बचाओ, लोकतंत्र बचाओ' दिवस मनाएंगे। अपने तय कार्यक्रम के तहत किसान देश के सभी राज्यों के राजभवन पर धरना-प्रदर्शन करेंगे। साथ ही राज्यपाल के माध्यम से राष्ट्रपति के नाम ज्ञापन भी सौंपेंगे।

इससे पहले शुक्रवार को देश के कृषि मंत्री तोमर सिंह ने देश के किसानों से आंदोलन छोड़ देने की अपील की है। उन्होंहने दावा किया है कि देश का बहुत बड़ा हिस्साी कृषि कानूनों के समर्थन में है। साथ ही कहा कि किसान यूनियनों को अगर कृषि कानून के किसी भी प्रावधान पर कोई भी आपत्ति है तो सरकार उनसे बातचीत करने के लिए तैयार है।

किसानों की टैक्ट्रर रैली

किसान आंदोलन के सात महीने पूरे होने पर किसान दिल्ली की सीमाओं पर अपनी मौजूदगी दर्ज कराने की कोशिश कर रहे हैं। इस लेकर ट्रैक्टर रैली निकाली जायेगी। भारतीय किसान यूनियन के राष्ट्रीय प्रेस प्रभारी शमशेर राणा ने बताया कि उत्तर प्रदेश के कुछ जिलों से करीब 500 ट्रैक्टर ट्रॉली में किसान पहुंचे हैं। शनिवार को लगभग एक हजार ट्रैक्टर आने की उम्मीद है। उन्होंने बताया कि यूनियन के राष्ट्रीय प्रवक्ता चौधरी राकेश टिकैत ने एलान किया कि हर 26 तारीख को और हर दसवें दिन किसान ट्रैक्टर रैली लेकर गाजीपुर बॉर्डर पर पहुंचेंगे।

भारतीय किसान यूनियन के प्रवक्ता राकेश टिकैत ने कहा है कि सरकार किसानों को हल्के में ना लें। घर वापसी नहीं करने की बात करते हुए उन्होंने कहा कि जब तक कृषि कानून वापस नहीं लिया जाता है। आंदोलन जारी रहेगा।

ट्रैक्टर रैली के साथ-साथ किसान शनिवार को 'कृषि बचाओ, लोकतंत्र बचाओ' दिवस मनाएंगे। संयुक्त किसान मोर्चा ने शांतिपूर्ण तरीके से धरना-प्रदर्शन करने की बात कही है। इस दौरान राज्यों में किसान प्रदर्शन करेंगे और राज्यपाल के माध्यम से देश के राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद को ज्ञापन सौंपेंगे।

संयुक्त मोर्चा ने राष्ट्रपति को लिखी चिट्ठी

आंदोलन कर रहे किसानों ने अपनी मांगों को लेकर देश के राष्ट्रपति को पत्र लिखा है। पत्र में कृषि बिल को असंवैधानिक बताया गया है। साथ ही सात महीनों से जारी आंदोलन और सरकार के रवैये पर सवाल उठाते हुए कहा है कि ये 46 साल पहले थोपी गयी इमरजेंसी की याद दिलाता है। पत्र में लिखा है कि खेती के तीनों कानून असंवैधानिक हैं क्योंकि केंद्र सरकार को कृषि मंडी के बारे में कानून बनाने का अधिकार ही नहीं है। यह कानून अलोकतांत्रिक भी हैं। और कानून बनाने से पहले किसानों से कोई राय मशवरा नहीं किया गया। इन कानूनों को संसदीय समितियों के पास भेज कर जरूरी चर्चा नहीं हुई। और तो और इन्हें पास करते वक्त राज्यसभा में वोटिंग तक नहीं करवाई गई। हमने उम्मीद की थी कि बाबासाहेब द्वारा बनाए संविधान के पहले सिपाही होने के नाते आप ऐसे असंवैधानिक, अलोकतांत्रिक और किसान विरोधी कानूनों पर हस्ताक्षर करने से इनकार कर देंगे। लेकिन आपने ऐसा नहीं किया।' पत्र में कहा गया कि 26 जून को अपने मोर्चे के सात महीने पूरे होने पर खेती बचाने और इमरजेंसी दिवस पर लोकतंत्र बचाने की दोहरी चुनौती को सामने रखते हुए हर प्रदेश से हम यह रोषपत्र आप तक पहुंचा रहे हैं।

कृषि मंत्री ने की आंदोलन छोड़ने की अपील

किसानों की ट्रैक्टर रैली से एक दिन पहले 25 जून को केंद्रीय कृषि मंत्री ने किसानों से आंदोलन खत्म करने की अपील की है। उन्होंने कहा कि किसान यूनियनों को अपना आंदोलन खत्मो करना चाहिए। सरकार ने उनके साथ 11 दौर की बातचीत की है। नए कृषि कानून देश के किसानों के हित में हैं। सरकार ने न्यू नतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) बढ़ाने की दिशा में काम किया है। वह एमएसपी पर और खरीद की तरफ बढ़ रही है। साथ ही उन्हों ने दावा किया है कि देश का बहुत बड़ा हिस्सा कृषि कानूनों के समर्थन में है।

इधर भारतीय किसान यूनियन के राष्ट्रीय अध्यक्ष नरेश टिकैत ने मेरठ से दिल्ली के गाजीपुर बॉर्डर के लिए किसान ट्रैक्टर रैली की शुरुआत करते हुए कहा कि किसान कृषि कानूनों को लेकर अपनी मांग माने जाने तक 'घर वापसी' नहीं करेंगे। किसान अब 2022 के यूपी विधानसभा चुनाव में भी सोच-समझ कर फैसला लेंगे।

किसान ट्रैक्टर यात्रा के दिल्ली के गाजीपुर बॉर्डर रवाना होने से पहले किसानों को संबोधित करते हुए टिकैत ने कहा कि किसान अपनी मांगे माने जाने तक घर वापसी को तैयार नही हैं। कृषि कानूनों की वापसी के लिए किसानों ने करो या मरो का संकल्प लिया है। आगे कहा कि आंदोलन जारी रहेगा और गाजीपुर बॉर्डर पर 26 जून को होने वाली किसान महापंचायत में आगे की रणनीति बनाई जाएगी।

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