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ऑस्ट्रेलियाई अखबार का गलवान हिंसा पर बड़ा खुलासा, बर्फीली नदी में बह गए थे चीनी सेना के 38 जवान

Janjwar Desk
3 Feb 2022 8:30 AM IST
ऑस्ट्रेलियाई अखबार का गलवान हिंसा पर बड़ा खुलासा, बर्फीली नदी में बह गए थे चीनी सेना के 38 जवान
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ऑस्ट्रेलियाई अखबार का दावा : गलवान हिंसा में चीनी सेना के 20 जवानों की मौत हुई थी।

Galvan violence : गलवान हिंसा के दौरान चीनी सेना के 38 सिपाहियों की मौत हुई थी। जबकि चीन ने करीब एक साल बाद अंतरराष्ट्रीय मीडिया में अपने मारे गए सैनिकों की संख्या केवल 4 बताई थी।

Galvan violence : पूर्वी लद्दाख की गलवान घाटी (Galwan Valley violence) में जून 2020 में भारतीय और चीनी सिपाहियों के बीच की हिंसक झड़प ( India-China Border Dispute ) को लेकर ऑस्ट्रेलियाई अखबार द क्लैक्सन ( Australian newspaper The Klaxon ) ने बड़ा खुलासा किया है। अखबार ने दावा किया है कि गलवान हिंसा के दौरान चीनी सेना के 38 सिपाहियों की मौत हुई थी। जबकि चीन ने करीब एक साल बाद अंतरराष्ट्रीय मीडिया में अपने मारे गए सैनिकों की संख्या केवल 4 बताई थी।

द क्लैक्सन ने गलवान डिकोडेड में किया इस बात का दावा

ऑस्ट्रेलियाई अखबार द क्लैक्सन ने गलवान हिंसा मामले की जांच के लिए इंडिपेंडेंट सोशल मीडिया रिसर्चर्स की टीम तैयार की थी। इस टीम ने 'गलवान डिकोडेड' शीर्षक से एक रिपोर्ट जारी की है। एंथनी क्लान की अगुआई वाली स्पेशल रिपोर्ट में बताया गया है कि चीन की पीपुल्स लिबरेशन आर्मी ( PLA ) के कई सिपाही उस रात गलवान नदी में बह गए थे।

चीन ने कभी नहीं बताई सही संख्या

द क्लैक्स की रिपोर्ट के मुताबिक घटना के बाद चीन ने इस झड़प के तथ्यों में हेर फेर करने के लिए दो अलग-अलग घटनाओं को आपस में जोड़ दिया था। चीन ने कभी भी गलवान में मारे गए सैनिकों की सही संख्या नहीं बताई। पिछले साल उसने झड़प में मारे गए 4 सैनिकों को मेडल देने की घोषणा जरूर की थी। शोधकर्ताओं ने बताया कि 15 और 16 जून 2020 की रात में जीरो डिग्री तापमान में बहने वाली गलवान नदी में कई PLA सैनिक डूब कर मर गए थे। ऑस्ट्रेलियाई अखबार सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म वीबो के कई यूजर्स के ब्लॉग के आधार पर यह दावा किया है। अखबार ने बताया है कि गलवान हिंसा में 38 चीनी सैनिक नदी में बह गए थे। बाद में चीनी अधिकारियों में इन सभी सोशल मीडिया पोस्ट को हटा दिया था। इन 38 लोगों में जूनियर सार्जेंट वांग झुओरान भी शामिल थे, जिन्हें चीन ने मेडल देने की घोषणा की है।

दरअसल, 15 और 16 जून, 2020 की रात हिंसक झड़प एक अस्थाई पुल पर शुरू हुई थी। भारतीय और चीनी सैनिकों के बीच मई, 2020 की शुरुआत में तिब्बत में पैंगोंग झील के पास भी झड़प हुई थी। चीन का सरकारी मीडिया इस झड़प और उसके बाद की घटनाओं को कवर करने में पूरी तरह से फेल रहा था। उसने बहुत सारे तथ्यों को छुपा लिया था और दुनिया को जो बताया वह ज्यादातर मनगढ़ंत कहानियां थीं।

Galvam Violence : बता दें कि अप्रैल-मई 2020 में चीन ने पूर्वी लद्दाख के सामने वाले इलाकों में एक्सरसाइज के बहाने पीएलए के सैनिकों को जमा किया और कई जगह पर घुसपैठ की घटनाओं को अंजाम दिया। भारत सरकार ने चीन को जवाब देने के लिए इस इलाके में लगभग उसी के बराबर संख्या में सैनिकों को तैनात कर दिया। चीनी सैनिकों की इस हरकत से हालात इतने खराब हो गए कि 4 दशकों से ज्यादा वक्त बाद एलएसी पर गोलियां चलीं। इसी दौरान 15 जून को गलवान घाटी में चीनी सेना के साथ हुई झड़प में 20 भारतीय सैनिक शहीद हो गए थे।

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