Jammu-Kashmir में कांग्रेस को बड़ा झटका, गुलाम नबी आजाद ने प्रचार समिति के पद से दिया इस्तीफा
Jammu-kashmir : भाजपाइयों की भाषा में बोले गुलाम नबी आजाद, भूल जाओ धारा 370, अब स्पेशल स्टेटस नहीं आने वाला है वापस
Jammu-Kashmir : केंद्रशासित प्रदेश जम्मू-कश्मीर ( Jammu-Kashmir ) में कांग्रेस को बड़ा झटका लगा हैं। साथ ही पार्टी की अंदरुनी कलह भी सामने आ गई है। पूर्व केंद्रीय मंत्री गुलाम नबी आजाद ( Gulam Nabi Azad ) ने जम्मू-कश्मीर कांग्रेस की प्रचार समिति के अध्यक्ष पद से इस्तीफा दे दिया है। मंगलवार को ही उन्हें इस पद पर नियुक्त किया गया था। इतना ही नहीं, उन्होंने जम्मू-कश्मीर में पार्टी की राजनीतिक मामलों की समिति के सदस्यता से भी त्यागपत्र दे दिया है। उन्होंने इस्तीफे के कारणों को लेकर अभी साफ तौर पर कुछ भी नहीं कहा है।
जम्मू-कश्मीर ( Jammu-Kashmir ) में कांग्रेस ने बड़ा सियासी परिवर्तन करते हुए अपने संगठन में कई नए चेहरों को जगह दी थी। कुछ अनुभवी नेताओं को भी साथ लाने का काम किया गया था। इसी कड़ी में पार्टी ने गुलाम नबी आजाद को प्रचार समिति का अध्यक्ष बना दिया था। फिर भी कुछ ऐसा हुआ कि चंद घंटों बाद ही गुलाम नबी आजाद ( Gulam Nabi Azad ) ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया। उनका ये इस्तीफा उस समय आया है जब उनके करीबी माने जाने वाले वकार रसूल वानी को पार्टी ने मंगलवार को अपनी जम्मू-कश्मीर इकाई का नया अध्यक्ष नियुक्त किया है।
ये है पार्टी से नाराजगी की वजह
गुलाम नबी आजाद ( Gulam Nabi Azad ) ने पहले तो कोई कारण स्पष्ट नहीं किया लेकिन बाद में स्वास्थ्य कारणों का हवाला देते हुए इस्तीफे की बात कही। दूसरी तरफ जम्मू से कांग्रेस ( Congress ) नेता अश्विनी हांडा ने अलग ही कहानी बयां कर दी है। हांडा के मुताबिक कांग्रेस पार्टी ने जम्मू-कश्मीर के लिए जिस प्रचार कमेटी का गठन किया है, उसमें जमीनी नेताओं को छोड़ दिया गया है। उनके साथ न्याय नहीं हुआ है। इस बारे में वे कहते हैं कि कांग्रेस द्वारा बनाई गई नई प्रचार कमेटी ने जमीनी नेताओं की आकांक्षाओं को नजरअंदाज कर दिया है। उनके साथ बड़ा अन्याय किया गया है। इसी वजह से गुलाम नबी आजाद ने भी अपने पद से इस्तीफा दे दिया। वे भी इस नई कमेटी से संतुष्ट नहीं थे।
गुलाम नबी ( Gulam Nabi Azad ) के इस्तीफे से साफ है कि कांग्रेस में अंदरखाने सबकुछ ठीक नहीं चल रहा है। वैसे भी गुलाम नबी आजाद के कुछ मुद्दों को लेकर पार्टी के साथ जो मतभेद चल रहे है उसे देखते हुए अगर अश्विनी हांडा का ये दावा सही मान लिया जाए तो ये कांग्रेस के अंदर बगावत के नए सुर बुलंद कर सकता है।