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Girl's Marriage Legal Age : लड़कियों की शादी की उम्र 18 से 21 करने के लिए जो 31 सदस्यीय समिति की गयी गठित, उसमें सिर्फ एक महिला शामिल

Janjwar Desk
2 Jan 2022 2:47 PM GMT
Girls Marriage Legal Age : लड़कियों की शादी की उम्र 18 से 21 करने के लिए जो 31 सदस्यीय समिति की गयी गठित, उसमें सिर्फ एक महिला शामिल
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Girl's Marriage Legal Age : लड़कियों की शादी की वैध उम्र 18 से बढ़ाकर 21 करने के प्रावधान वाले ऐतिहासिक विधेयक के परीक्षण के लिए बनी संसद की एक समिति में भी पुरुष सांसदों का ही वर्चस्व है...

Girl's Marriage Legal Age : लड़कियों की शादी की वैध उम्र 18 से बढ़ाकर 21 करने के प्रावधान वाले ऐतिहासिक विधेयक के परीक्षण के लिए बनी संसद की एक समिति में भी पुरुष सांसदों का ही वर्चस्व है। 31 सदस्यीय समिति में केवल एक ही महिला सांसद को शामिल किया गया है। सरकार द्वारा लैंगिक समानता व महिला अधिकारों की लंबी चौड़ी बातों की सचाई यह है कि पुरुषों को प्रधानता की सोच बदल नहीं पा रही है। शायद यही कारण है कि महिलाओं से संबंधित मामलों पर भी विचार व फैसला अधिकतर पुरुषों द्वारा ही किया जाता है।

विधेयक को महिला व बाल विकास मंत्रालय ने किया तैयार

मीडिया में छपी खबरों के अनुसार बाल विवाह निषेध (संशोधन) (The Prohibition of Child Marriage (Amendment) Bill) विधेयक, जिसका समाज विशेषकर महिलाओं पर व्यापक प्रभाव पड़ेगा, संसद के शीतकालीन सत्र में लोकसभा में पेश कर दिया गया है। जिसके बाद इसे विचार के लिए शिक्षा, महिला, बच्चे, युवा और खेल मामलों की संसदीय स्थायी समिति को भेजा गया है। बता दें कि इस विधेयक को महिला व बाल विकास मंत्रालय ने तैयार किया है। इसमें लड़कियों की शादी की वैधानिक उम्र 18 से बढ़ाकर 21 साल करने का प्रस्ताव है।

समिति में केवल एक महिला सांसद

बता दें कि विधेयक को विचार के लिए वरिष्ठ भाजपा नेता विनय सहस्रबुद्धे की अध्यक्षता वाली संसदीय स्थाई समिति को भेजा गया है। राज्यसभा की वेबसाइट पर उपलब्ध इस समिति के सदस्यों की सूची के अनुसार 31 सदस्यीय समिति में केवल एक महिला सांसद तृणमूल कांग्रेस की सुष्मिता देव शामिल हैं|

अमर उजाला में छपी खबर के अनुसार इस बारे में चर्चा के लिए जब संपर्क किया गया तो सुष्मिता देव ने कहा कि यदि समिति और महिला सांसद होतीं तो बेहतर होता। देव ने कहा कि वह चाहती हैं कि इसमें और महिला सांसद हों, फिर भी हम यह सुनिश्चित करेंगे कि सभी हितसमूहों को सुना जाए।

सुप्रिया सुले का विचार

इसी तरह के विचार राकांपा सांसद सुप्रिया सुले ने भी सामने रखे है| बता दें कि सुप्रिया सुले संसद में महिलाओं से संबंधित मुद्दे उठाती रही हैं। साथ ही उन्होंने भी कहा कि समिति में ज्यादा महिला सांसद होने चाहिए, क्योंकि वह महिलाओं संबंधी मुद्दों पर विचार करेगी। सुप्रिया सुले का कहना है कि समिति के अध्यक्ष को यह अधिकार है कि वह समिति के समक्ष लोगों को बुला सकते हैं। व्यापक व समावेशी विचार विमर्श के लिए वह अन्य महिला सांसदों को आमंत्रित कर सकते हैं।

बता दें कि विभागों से संबंधित स्थायी समितियां स्थाई होती हैं जबकि संयुक्त व प्रवर समितियां विधेयकों व प्रासंगिक मुद्दों पर विचार के लिए समय समय पर गठित की जाती हैं। मीडिया रिपोर्टस के अनुसार इन समितियों का गठन लोकसभा व राज्यसभा द्वारा किया जाता है। शिक्षा, महिला, बच्चों, युवा व खेल मामलों की स्थायी समिति का संचालन राज्यसभा द्वारा किया जाता है। लोकसभा द्वारा गठित समितियों में उसी सदन के ज्यादा सदस्य होते हैं जबकि राज्यसभा द्वारा गठित समितियों में उसके सदस्य ज्यादा होते हैं।

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