Goa Assembly Election 2022 : अब गोवा में होगा खेला, ममता बनर्जी किसका बिगड़ेंगी खेल?
सीएम ममता बनर्जी और अभिनेत्री नफीसा अली।
Goa Assembly Election 2022 : उत्तर प्रदेश, पंजाब, उत्तराखंड, के साथ 2022 में गोवा में भी विधानसभा चुनाव होगा। इस बात को ध्यान में रखते हुए पश्चिम बंगाल में 'खेला' करने के बाद अब सीएम ममता बनर्जी ( CM Mamata Banerjee ) एक और खेला करने गोवा पहुंच गई हैं, लेकिन गोवा में बीजेपी ( BJP ) को मात देने के लिए उन्हें कांग्रेस और आम आदमी पार्टी ( AAP ) को भी आगे बढ़ने से रोकना होगा। क्या ममता बनर्जी ऐसा कर पाएंगी?
गठबंधन पर जोर, कांग्रेस में शोर
शुक्रवार को उन्होंने टेनिस खिलाड़ी और ओलंपिक मेडल विजेता लिएंडर पेस और अभिनेत्री नफीसा अली को टीएमसी ( TMC ) में शामिल कर इस बात के संकेत दे दिए हैं कि बीजेपी के लिए सत्ता में वापसी करना आसान सौदा नहीं होगा। गोवा के पूर्व सीएम और कांग्रेस ( Congress TMC) के दिग्गज नेता लुइजिन्हो फलेरियो टीएमसी पहले ही शामिल हो चुके हैं। फलेरियों की वजह से टीएमसी नेता वहां पर अभी से खुद को कांग्रेस का एक विकल्प बताने लगे हैं। हालांकि, ममता बनर्जी गोवा विधानसभा चुनाव ( Goa Assembly Election 2022 ) में गठबंधन वाली राजनीति पर जोर दे सकती हैं। सीएम ममता बनर्जी ( Mamata Banerjee ) लगातार कह रही हैं कि बीजेपी को हराने के लिए तमाम पार्टियों का एकजुट होना जरूरी है।
BJP की मुराद होगी पूरी
अहम सवाल यह है कि क्या ममता बनर्जी ( Mamata Banerjee ) सियासी तौर पर गोवा में ऐसा कर पाएंगी। वर्तमान में गोवा में मुख्य विपक्षी पार्टी कांग्रेस है। दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल की पार्टी आप विधानसभा चुनाव की तैयारी में पहले से ही जुटी है। यानि विपक्षी पार्टियों का एक मंच पर आना संभव नहीं है। इसके बावजूद, ममता बनर्जी टीएमसी को आगे बढ़ाने के लिए बीजेपी को सत्ता से बाहर करने के लिए हुंकार भरना, किसी सियासी दुस्साहस से कम नहीं है। ऐसा इसलिए कि गोवा तीनों पार्टियों के मैदान में होने से विपक्षी एकता को झटका लगेगा, जिसका असर कांग्रेस, टीएमसी और आप नेताओं पर पड़ना भी तय है। बीजेपी तो चाहती है कि पीएम बनने का सपना देखने वाली सभी पार्टियां गोवा में चुनाव लड़े।
टीएमसी पर नहीं रहा भरोसा
कांग्रेस विपक्षी पार्टियों को झटका इसलिए कि, पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने टीएमसी के मैदान खुला छोड़ दिया था। इसकी कांग्रेस की सोच बीजेपी को हराने की थी। ऐसा हुआ भी दो पार्टियों के बीच प्रत्यक्ष मुकाबला होने की वजह से टीएमसी ने ऐतिहासिक जीत दर्ज की थी। लेकिन उसके बाद ममता बनर्जी ने विपक्षी एकता के नाम पर कांग्रेस को भाव नहीं दे रही हैं। बल्कि कांग्रेस की राह में रोड़ा बनती जा रही है। इस बात को राहुल गांधी भी भांप गए हैं। इसके अलावा, अरविंद केजरीवाल की सियासी महत्वाकांक्षा भी बड़ी है। यानि गोवा में सियासी खेला होना तय है। ऐसा ममता बनर्जी खुद को केंद्रीय स्तर का नेता बनाने की कोशिश कर रहीं हैं।
इन बातों को जानते हुए भी ममता बनर्जी के लिए गोवा के चुनाव को काफी अहम है। मानकर चल रही हैं। यही कारण है कि वो बंगाल में मजबूती से उभरने के बाद अब वहां पर टीएमसी को मजबूत करने में जुट गई हैं। ममता का पूरा प्रयास है कि बंगाल के बाहर भी उनकी पार्टी टीएमसी का एक अस्तित्व, मजबूत वोट बैंक हो। कहा जा रहा है कि गोवा के कई और नेता आगामी महीनों में टीएमसी का दामन थाम सकते हैं। इसके अलावा ममता बनर्जी की नजर त्रिपुरा पर भी है। त्रिपुरा में बंगाली भाषा बोलने वाली आबादी काफी ज्यादा है, ऐसे में ममता को पूरी उम्मीद है कि इस राज्य में भी उनकी पार्टी शानदार प्रदर्शन कर सकती है।
TMC ने की बीजेपी से डील
टीएमसी के इस रुख का सीधा असर यह हुआ है कि कांग्रेस ने उन पर गंभीर आरोप लगाने शुरू कर दिए हैं। अब कांग्रेस के कुछ नेता ममता बनर्जी को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का मिडिलमैन बताने लगे हैं। हाल ही में कांग्रेस नेता और सांसद अधीर रंजन चौधरी ने कहा कि टीएमसी गोवा और त्रिपुरा में अपने प्रत्याशी उतारने जा रही है। इसका मकसद कांग्रेस का विरोध करना है, ताकि बीजेपी को फायदा हो सके। अधीर रंजन की नजर में सीएम ममता पीएम मोदी की मिडिलमैन हैं। उन्होंने बीजेपी के साथ डील की है कि दिल्ली आपकी है और कोलकाता हमारा।