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'बिकाऊ हैं गोल्ड, सिल्वर और ब्रांज मेडल,' ब्लैक बेल्ट कराटे चैंपियन ने अपने घर के बाहर चस्पा किया नोटिस

Janjwar Desk
22 Aug 2021 4:18 PM GMT
बिकाऊ हैं गोल्ड, सिल्वर और ब्रांज मेडल, ब्लैक बेल्ट कराटे चैंपियन ने अपने घर के बाहर चस्पा किया नोटिस
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घर के बाहर चस्पा नोटिस में हरिओम शुक्ला ने लिखा है- गोल्ड, सिल्वर और कांस्य मेडल बिकाऊ हैं जो भी लोग खरीदने के इच्छुक हों वह मेरे से संपर्क कर मेडल खरीद सकते हैं....

जनज्वार। सरकार की उदासीनता भी न जाने कितने खिलाड़ियों के भविष्य को बर्बाद कर जाती है। उत्तर प्रदेश के मथुरा जिले में कराटे चैंपियन हरिओम शुक्ला इन दिनों आर्थिक तंगी जूझ रहे हैं। जिसके चलते उन्होंने अपने घर के बाहर एक नोटिस चस्पा कर दिया है। इसमें उन्होंने अपने मेडलों को बेचने की बात कही है। जानकारी के मुताबिक हरिओम शुक्ला एक चाय की दुकान में काम करते हैं लेकिन महंगाई के चलते इससे उनके परिवार का पेट नहीं पल पा रहा है।

हरिओम शुक्ला मथुरा के कोसी खुर्द के रहने वाले हैं। बीते कई सालों से वह यमुना पार ईसापुर पानी की टंकी स्थित रहकर अपने परिवार का पालन पोषण कररहे हैं। लेकिन हरिओम शुक्ला के ऊपर मुसीबतों का पहाड़ सा टूट पड़ा है और उनके परिवार के सदस्य दाने दाने को मोहताज हैं। ब्लैक बेल्ट चैंपियन हरिओम शुक्ला देश-दुनिया में भारत का नाम रोशन कर चुके हैं लेकिन अब कोई उनको अपने ही देश में पूछने वाला नहीं है।

उन्होंने कराटे में गोल्ड, सिल्वर और ब्रांज ऐसे सैकड़ों मेडल जीते हैं। लेकिन इन मेडलों के बावजूद उसे अपने घर परिवार का पेट पालने की चिंता सता रही है। उसने अपने घर के दरवाजे पर एक नोटिस चस्पा किया है। इसमें उन्होंने लिखा है- परिवार की आर्थिक स्थिति दिन-ब-दिन नीचे होती जा रही है। इस वजह से वह अपने मेडल बेचकर परिवार का पालन पोषण करेगा। नोटिस में लिखा है- गोल्ड, सिल्वर और कांस्य मेडल बिकाऊ हैं जो भी लोग खरीदने के इच्छुक हों वह मेरे से संपर्क कर मेडल खरीद सकते हैं।


नोटिस को लेकर जब उनसे पूछा गया तो उन्होंने कहा कि वह परिवार के पालन-पोषण के लिए पैसे नहीं जुटा पा रहे हैं। मेडल बेचकर परिवार का पालन पोषण कर लूंगा। उन्होंने यह भी कहा कि व्यक्ति कराटे खेलता है और किसी वजह से वह पदक नहीं ले पाया है तो वह मेरे पास आकर मेरे मेडल खरीद सकता है। जो मेडल वह चाहता है। वह मेडल मैं उसे बेचदूंगा और फिर वह अनुभव कर सकता है कि वह मेडल जीतकर आया है। उन्हें बेचकर मैं अपने परिवार को दो वक्त का खाना दे सकता हूं।

हरिओम शुक्ला के पिता दीनदयाल शुक्ला ने बताया कि विदेशों तक खेल कर आया, लेकिन इन मेडलों का कोई फायदा आज तक हमें नहीं मिला है। सरकार की तरफ से कुछ ऐसा नहीं किया गया जिससे हमारा पालन-पोषण किया जा सके। विदेशों तक खेल कर आया ढेरों मेडल जीते, लेकिन मेडल किसी काम के नहीं हैं। इससे तो अच्छा है मेडलों को बेचकर हम अपना जीवन यापन कर लेंगे।

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