'असंसदीय' शब्दों को लेकर बैकफुट पर सरकार, लोकसभा स्पीकर ओम बिरला बोले - किसी भी शब्द पर प्रतिबंध नहीं
‘असंसदीय’ शब्दों को लेकर बैकफुट पर सरकार, लोकसभा स्पीकर ओम बिरला बोले - किसी भी शब्द पर प्रतिबंध नहीं
नई दिल्ली। एक दिन पहले असंसदीय शब्दों ( Unparliamentary words ) को प्रतिबंधित करने की खबर सामने आने के बार विपक्षी दलों ने इसका जोरदार विरोध किया था। टीएमसी सांसदों ने इसका सबसे ज्यादा मुखर होकर विरोध किया था। गुरुवार को तो विपक्ष ने इस पर एक तरह से हंगामा ही खड़ा कर दिया था। अब संसद ( Parliament ) में असंसदीय शब्दों पर बैन के बीच लोकसभा स्पीकर ओम बिरला ( Lok Sabha Speaker Om Birla ) का इसको लेकर बड़ा बयान दिया है।
अब इस मसले को थामते हुए लोकसभा स्पीकर ओम बिरला ( Om Birla ) ने कहा है किसी भी शब्द पर प्रतिबंध ( No word banned ) नहीं लगाया गया है। उन्होंने कहा इस मामले में विपक्ष को गलतफहमी में नहीं रहना चाहिए और न ही ऐसी गलतफहमियां फैलानी चाहिए। हमने किसी भी शब्द पर बैन नहीं लगाया है लेकिन उन शब्दों को हटा दिया है जिसको लेकर आपत्तियां थीं।
स्पीकर ओम बिड़ला ( Om Birla ) ने बताया कि इसके पहले असंसदीय शब्दों को लेकर एक किताब लिखी जाती थी लेकिन अब सरकार ने कागजों की बर्बादी से बचने के लिए इसको इंटरनेट पर अपलोड कर दिया है। किसी भी शब्द पर प्रतिबंध नहीं लगाया गया है जिन शब्दों पर आपत्तियां थी उन्हें हटा दिया गया है। साथ ही उन्होंने बताया कि हमने उन शब्दों का संकलन भी जारी किया है।
ओम बिरला ने सवालिया लहजे में हंगामा मचाने वाले विपक्ष से पूछा है कि क्या आप लोगों ने 1,100 पन्नों की इस डिक्शनरी को पढ़ा है? बिड़ला ने कहा कि अगर वो गलतफहमियां नहीं फैलाते तो यह 1954, 1986, 1992, 1999, 2004, 2009, 2010 में जारी की गई ये किताब 2010 से हर साल प्रकाशित हो रही है। जिन शब्दों को हटा दिया गया है वो शब्द सिर्फ विपक्ष ने ही नहीं उपयोग किए थे वो शब्द सत्ताधारी पार्टी के सांसदों ने भी उपयोग किए थे। केवल विपक्ष के इस्तेमाल किए गए शब्दों को किताब से हटाया गया हो ऐसा नहीं है।
ये हैं असंसदीय शब्द
जुमलाजीवी, बाल बुद्धि, कोविड स्प्रेडर और स्नूपगेट, शर्मिंदा, दुर्व्यवहार, विश्वासघात, ड्रामा, पाखंड और अक्षम जैसे रोजमर्रा के उपयोग होने वाले शब्दों को लोकसभा सचिवालय ने बुधवार को असंसदीय सूची में डाल दिया। विपक्ष ने इस कदम का कड़ा विरोध करते हुए कहा कि इससे सरकार की आलोचना करने की उनकी क्षमता बाधित होगी। इस किताब से अराजकतावादी, शकुनि, तानाशाही, तानाशाह, जयचंद, विनाश पुरुष, खालिस्तानी और खून से खेती जैसे शब्दों को को भी वाद-विवाद के दौरान या अन्यथा इस्तेमाल करने पर हटा दिया जाएगा।
अब स्पीकर के खिलाफ आरोप को असंसदीय माना जाएगा
लोकसभा सचिवालय की सूची में एक चेतावनी शामिल है कि कुछ शब्दों को संसदीय कार्यवाही के दौरान बोली जाने वाली अन्य अभिव्यक्तियों के संयोजन के साथ पढ़े जाने तक असंसदीय नहीं माना जा सकता है। बुकलेट में यह भी कहा गया है कि अध्यक्ष के खिलाफ दोनों सदनों में अंग्रेजी या हिंदी में किए गए किसी भी आरोप को असंसदीय माना जाएगा और संसद के रिकॉर्ड से हटा दिया जाएगा। इनमें से अधिकतर शब्दों को यूपीए सरकार के दौरान भी असंसदीय माना जाता था। किताब केवल शब्दों का संकलन है। सुझाव या आदेश नहीं।