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81 संशोधनों के प्रस्ताव के बाद सरकार ने वापस लिया पर्सनल डाटा प्रोटेक्शन बिल, लोगों ने बताया था जनता के खिलाफ

Janjwar Desk
3 Aug 2022 1:03 PM GMT
81 संशोधनों के प्रस्ताव के बाद सरकार ने वापस लिया पर्सनल डाटा प्रोटेक्शन बिल, लोगों ने बताया था जनता के खिलाफ
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केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार ने आज बड़ा कदम उठाते हुए साल 2019 में पेश किया गया बिल पर्सनल डाटा प्रोटेक्शन बिल वापस ले लिया है. जानिए क्या था पर्सनल डाटा प्रोटेक्शन बिल और क्यों सरकार ने लिया वापस.

Personal Data Protection Bill: केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार ने बुधावार को बड़ा कदम उठाते हुए पर्सनल डाटा डेटा प्रोटेक्शन बिल वापस ले लिया है. इसकी जगह पर सरकार अब नया बिल लाने की तैयारी कर रही है. मोदी सरकार यह बिल साल 2019 में लेकर आई थी. तत्कालीन इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्री रविशंकर प्रसाद ने 11 दिसंबर 2019 को यह बिल पेश किया था.

बता दें कि लोकसभा की 3 अगस्त 2022 की सप्लीमेंट्री बिजनेस लिस्ट में वापिस लिए जाने वाले बिल में पर्सनल डेटा प्रोटेक्शन बिल का भी नाम था. हालांकि सरकार की तरफ से इस बिल को वापस लेने की कोई वजह नहीं बताई गई है लेकिन कहा यह जा रहा है कि रिपोर्ट को ध्यान में रखते हुए एक कानूनी ढांचे पर काम किया जा रहा है. इसलिए, हालात को देखते हुए पर्सनल डाटा प्रोटेक्शन बिल-2019 को वापस लेने और एक नया बिल लाने का प्रस्ताव है, जो कानूनी ढंग से कई और मायनों में फिट बैठता है.

अगले सत्र में आ सकता है नया बिल

बताया यह भी जा रहा है कि एक संयुक्त संसदीय कमेटी की तरफ से इस बिल में 81 बदलाव के सुझाव दिए गए थे. जिसके बाद केंद्र सरकार ने संसद के मॉनसून सेशन में बुधवार को यह बिल वापस ले लिया. कमेटी की तरफ से दिए गए बदलाव के सुझावों को नजर में रखते हुए सरकार अब नए बिल पर काम कर रही है. जिसमें सोशल मीडिया कंपनियों और डेटा एक्टिविस्ट्स के साथ नए सिरे से बातचीत भी की जाएगी. अब कयास लगाए जा रहे हैं कि इसी से जुड़ा एक व्यापक बिल संसद के अगले सत्र में पेश किया जा सकता है.

क्यों लाया गया था पर्सनल डाटा प्रोटेक्शन बिल?

2017 में, सुप्रीम कोर्ट ने व्यक्तिगत डेटा को मौलिक अधिकार घोषित किया था और सरकार को एक विधेयक लाने का निर्देश दिया जो व्यक्तियों के व्यक्तिगत डेटा की सुरक्षा करता है. इसके बाद 2018 में, सुप्रीम कोर्ट के पूर्व न्यायाधीश बीएन श्रीकृष्ण की अध्यक्षता वाली एक बेंच ने डेटा संरक्षण विधेयक के पहले मसौदे का प्रस्ताव रखा. हालांकि कई संगठनों, कार्यकर्ताओं और राजनेताओं ने यह कहते हुए बिल का विरोध किया है कि यह सरकार के पक्ष में है.

क्या था पर्सनल डाटा प्रोटेक्शन बिल में?

11 दिसंबर, 2019 को पेश किए गए इस बिल में था कि व्यक्तिगत डाटा को कैसे संसाधित और संग्रहीत किया जाना चाहिए. साथ ही लोगों के अधिकारों को उनकी व्यक्तिगत जानकारी के संबंध में भी सूचीबद्ध करता है. इसने इस कानून को लागू करने के लिए डेटा संरक्षण प्राधिकरण नामक एक स्वतंत्र भारतीय नियामक प्राधिकरण बनाने का भी प्रस्ताव रखा.

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