Gwalior News : मैरिटल रेप की पीड़िता ने सुनाई दर्दभरी कहानी, शराब पिलाकर पति ने चलाए कई वाइब्रेटर
मैरिटल रेप की पीड़िता ने सुनाई दर्दभरी कहानी
Gwalior News : मैरिटल रेप से जुड़ी याचिका पर दिल्ली हाइ कोर्ट में सुनवाई चल रही है। इस विषय पर केंद्र सरकार ने कहा है कि उसे जवाब देने के लिए और अधिक समय चाहिए। बता दें कि मैरिटल रेप एक ऐसा विषय है जो सीधे तौर पर शादी की व्यवस्था और परिवारों के रिश्तों के प्रभावित कर सकता है। इस मुद्दे पर एक तरफ पीड़ित महिलाएं हैं जो इंसाफ मांग रही हैं और दूसरी तरफ भारत की कानून व्यवस्था है, जिसे इस नाजुक विषय के हर पहलू को गंभीरता से समझने के बाद फैसला देना है।
मेरिटल रेप की एक पीड़िता ने अपनी दर्द भरी कहानी खुद सुनाई है| पीड़िता की कहानी सुनकर किसी के भी रोंगटे खड़े हो सकते है, सभी विचलित हो सकते है|
पीड़िता की कहानी
पीड़िता ने कहा कि मैं एक खुशहाल परिवार की इकलौती बेटी हूं। मैंने अच्छी एजुकेशन हासिल की है और सामाजिक कार्यों से जुड़ी रही हूं। मेरे पिता एक सरकारी अधिकारी थे। मेरी शादी दिसंबर 2018 में हुई। ये एक अरैंज मैरिज थी। हम दोनों के परिवार कई बार एक दूसरे से मिले और पूरी सहमति के बाद रिश्ता तय हुआ। मेरी शादी AIIMS से पढ़े एक डॉक्टर से हो रही थी। मेरे पिता ने अपनी जिंदगी की पूरी कमाई इसमें लगा दी।
एक लड़की सारी जिंदगी शादी के सपने देखती है। एक अच्छे जीवन की कल्पना करती है। मैं भी इसे लेकर उत्साहित थी। लेकिन मेरी शादी मेरे जीवन का सबसे खराब अनुभव साबित हुई। मैं सिर्फ नौ दिन ससुराल में रही। मुझे शारीरिक और मानसिक तौर पर इतना प्रताड़ित किया गया कि मैं पूरी तरह हताश हो गई थी। मैं घायल थी और मुझे अस्पताल में भर्ती होना पड़ा था। मुझे लगता है कि अगर मैं उन नौ दिनों से ज्यादा ससुराल में रुकती तो मैं ज़िंदा नहीं लौट पाती।
पीड़िता के साथ घटी घटना
पीड़िता ने बताया कि मेरे साथ जो घटना हुई थी वो मेरी शादी के तीसरे दिन हुई थी जहां मेरे हस्बैंड ने पहले मुझे जबरदस्ती शराब पिलाई और फिर जब मैं नशे की हालत में थी तो मेरे शरीर पर अलग-अलग तरह के वाइब्रेटर और डिल्डो इस्तेमाल किए। सिर्फ इतना ही नहीं, उन्होंने मेरे शरीर में डियोड्रेंट की बॉटल इंसर्ट की। इसका स्प्रेयर मुझे अगले दिन मिला था, जब मेरा खून बहुत ज्यादा बह रहा था। वो एक ऐसी घटना थी, जिसके बारे में कोई भी लड़की सोच भी नहीं सकती है। कि उसे शादी के बाद इस तरह के हालात का सामना करना पड़ सकता है। उसका अपना पति उसके साथ इतना बर्बर हो सकता है। हम अधिकतम ये ही सोच पाते हैं कि अधिक से अधिक होगा तो वो आपके साथ जबरदस्ती सेक्स करना चाहेगा, और अगर वो आपका पति है तो आप उसे स्वीकार भी कर लेंगी, क्योंकि वो उसका हक है।
ये घटना मेरे साथ सिर्फ एक बार नहीं हुई। उन नौ दिनों में कई बार हुई। पहली बार जब उन्होंने मेरे साथ इंटरकोर्स की कोशिश की थी तो वो कर नहीं पाए थे, मुझे लगा कि शायद उनका ईगो हर्ट हुआ होगा और उसने ऐसा किया होगा। लेकिन जब मैंने देखा कि उनके पास अलग-अलग तरह के वाइब्रेटर और डिल्डो थे, तब मुझे लगा कि ये अचानक नहीं हुआ है। ये चीजें आसानी से नहीं मिलती हैं, इन्हें कोई अपने घर में भी नहीं रखता है। उसने इन्हें इस्तेमाल करने का प्लान बनाया होगा। ये जानकर मेरे पैरों से जमीन खिसक गई।
मां ने कहा सबके साथ होता है...
हमारे समाज में मैरिटल रेप को रेप नहीं माना जाता है। मैरिटल रेप एक ऐसा विषय है जिसे हमारा समाज स्वीकार ही नहीं करता है। आप किसी से भी कहो कि आप मैरिटल रेप के विक्टिम हो तो पहला रिस्पांस यही होता है कि अगर आपकी शादी हुई है और अगर आपके पति ने आपके साथ जबरदस्ती सेक्सुअल इंटरकोर्स कर भी लिया तो ये उसका अधिकार है। इसमें रेप जैसा कुछ भी नहीं है। जब मेरे साथ ये पहली बार हुआ और मैंने अपनी मां को बताया तो उनकी प्रतिक्रिया वही थी जो सबकी होती है कि वो तुम्हारा पति है। तुम्हारी शादी हुई है। वो जो कुछ भी कर रहा है वो उसका लीगल राइट है, इसमें रेप जैसा कुछ नहीं है।
शायद मेरी गलती ये थी कि मैंने अपनी मां को खुलकर नहीं बताया है कि मेरे साथ क्या हुआ। मैंने सिर्फ इतना कहा था कि मेरा रेप हुआ है। वो शायद समझ नहीं पाई। क्योंकि अगर एक जेनरेशन पहले की बात करें तो उन्होंने डिल्डो या वाइब्रेटर देखे भी नहीं होंगे। पहली घटना में उन्होंने मुझे शराब पीने के लिए फोर्स किया था। लेकिन इसके बाद जो घटनाएं हुईं थीं, शायद मैं उनके दौरान बहुत होश में नहीं थी। जब मैं घर लौटी और याद करने की कोशिश की तो मुझे कुछ भी साफ याद नहीं आ रहा था।
पीड़िता को जिस्म पर मिले घाव
मुझे ये तो याद आ रहा था कि मेरे साथ बहुत बुरा हुआ था और मैं बहुत दर्द में थी, लेकिन तस्वीरें स्पष्ट नहीं थीं। जो चीजों वहां मिलीं, जिन पर मेरे ब्लड के स्पॉट थे। मेरे जिस्म के घाव और मेरे फटे हुए कपड़ों से मुझे पता चला कि मेरे साथ हुआ था। मैं उनकी पत्नी थी। मैंने उन्हें पूरी तरह से इनकार नहीं किया था। बावजूद इसके मैंने हर रात जो कपड़े पहने, वो मुझे अगले दिन फटे हुए मिले। ये घटनाएं 9 दिनों तक मेरे साथ लगातार होती रही। मेरे घरवालों ने मुझे समझाया कि मैं कंप्रोमाइज करूं, क्योंकि ये मेरे पति का लीगल राइट है। उसने मुझसे शादी की है। लेकिन 9 दिनों के भीतर मैं उस स्टेज पर पहुंच गई थी कि अगर मैं और वहां रहती तो जिंदा नहीं बच पाती।
पीड़िता पहुंची अस्पताल
मेरा खून लगातार बह रहा था। मैं इतनी कमजोर हो गई थी कि मैं बेहोश हो गई। जब होश आया तो पता चला कि मैं दो दिनों से अस्पताल में हूं। मुझें टांके लगे थे। खून इतना बह गया था कि मुझे खून चढ़ाया जा रहा था। डॉक्टरों ने मुझे बताया कि अगर मैं अस्पताल नहीं पहुंचती तो शायद मैं जिंदा नहीं रहती। पीड़िता ने आगे कहा कि जब आप ऐसी स्थिति में होते हैं तो आपको लगता है कि अगर कोई और नहीं तो आपका अपना परिवार आपके साथ होगा। बेटियां पिता के बहुत करीब होती हैं। मुझे लगा था कि मेरे पापा मेरा साथ देंगे। लेकिन मुझे मेरे परिवार से जो पहली प्रतिक्रिया मिली तो मुझे लगा कि अच्छा होता अगर मैं अस्पताल से अपने घर ही ना आई होती। अच्छा होता कि मैं वहां मर गई होती, कम से कम मुझे ये नहीं देखना होता कि मुझे अपनी जान से ज्यादा प्यार करने वाले मेरे पापा भी मेरे साथ नहीं हैं। मेरे अपने घरवाले भी उस आदमी के साथ खड़े थे, जिसने मेरी ये हालत की थी।
पति साइकोलॉजिकल डिसऑर्डर से है पीड़ित
पीड़िता ने बताया कि मेरे पति एक डॉक्टर हैं और लखनऊ के एक बड़े अस्पताल में काम करते हैं। मेरे साथ जब ये सब हो रहा था तो मैं पूरी तरह होश नहीं था। वो कोई ड्रग मुझे दे रहे थे। उन पलों में शायद मुझे पता नहीं चल पा रहा था कि मेरे शरीर के साथ क्या किया जा रहा है। मैं ये सोच रही थी कि यदि AIIMS से पढ़ा हुआ, इतनी अच्छी एजुकेशन हासिल करना वाला एक डॉक्टर ऐसा कर सकता है तो निश्चित तौर पर वो किसी साइकोलॉजिकल डिसऑर्डर से पीड़ित है। मुझे अपने साथ हुए व्यवहार की इसके अलावा कोई और वजह समझ नहीं आती है।
मेरे पति सेक्सुअल बिहेवियर के अलावा भी बहुत एग्रेसिव नेचर के हैं। वो जबरदस्ती करते हैं। हालांकि ये बात समझने के लिए मैं बहुत लंबे समय अपने ससुराल में नहीं रहीं। लेकिन मेरे मायके पहुंचकर जो व्यवहार उन्होंने किया उससे यही जाहिर होता है। उन्होंने मेरे परिजनों के सामने मुझ पर हाथ उठाया, बालों से खींचकर मुझे पीटा। मेरे पिता के साथ बदतमीजी की। मेरी मां पर हाथ उठाने की कोशिश की। इस व्यवहार से उनके नेचर और अपब्रिंगिंग को समझा जा सकता है।
महिला आयोग में दर्ज कराई शिकायत
पीड़िता ने आपबीती सुनाते हुए कहा कि इस पूरे घटनाक्रम के बाद मुझे एक सप्ताह तक अस्पताल जाना पड़ा था। मेरा शरीर ठीक नहीं हो पा रहा था। मानसिक तौर पर भी मैं बहुत टूट चुकी थी। मुझे समझ नहीं आ रहा था कि मैं क्या करूं। कुछ संभलने के बाद मैंने पहला कदम ये उठाया कि महिला आयोग मैं अपनी शिकायत दर्ज कराई। उसके बाद महिला आयोग के जरिए मेरे मामले की एफआईआर दर्ज हुई थी। मुकदमा फिलहाल अदालत में हैं, लेकिन कोविड की वजह से अदालतें बंद रही हैं और इस कारण मेरा मुकदमा कहीं पहुंचा नहीं है।
भारत के कानून में अभी मैरिटल रेप अपराध नहीं है। सिर्फ पंद्रह साल से कम उम्र की पत्नी के साथ जबरदस्ती सेक्स ही रेप माना जाता है। लेकिन जो मेरे साथ हुआ, वो तो रेप से कहीं बढ़कर है। मेरे मन में सवाल कौंधता हैं कि क्या भारत का कानून मौजूदा स्थिति में मेरे साथ इंसाफ कर पाएगा|
पुलिस ने की है धांधली
पीड़िता ने अपने मामले के बारे में बताते हुए कहा कि मैं जानती हूं कि कानूनी लड़ाई अभी काफी लंबी चलेगी। लड़ाई तब और लंबी हो जाती है, जब आप देखते हैं कि आपको किन-किन जरियों से कमजोर किया जा सकता है। उदाहरण के तौर पर जब मेरे साथ ये घटना हुई थी तब डॉक्टरों ने फॉरेंसिक टेस्ट के लिए मेरे शरीर से कई सैंपल लिए थे। जिसमें वो वाब्रेटर और डियोड्रेंट बॉटल का स्प्रेयर भी था। वो सैंपल डॉक्टरों की टीम ने पुलिस को दिए थे। उसकी रिसीविंग भी ली थी, लेकिन जब पुलिस की जांच के बाद मेरे मामले की चार्जशीट अदालत पहुंची, तब तक बहुत कुछ बदल चुका था।
डॉक्टरों ने सैंपलों के 11 लिफाफे पुलिस को दिए थे। लेकिन चार्जशीट में फोरेंसिक टीम ने सिर्फ 9 का जिक्र किया है। इससे साफ है कि पुलिस ने धांधली की है। इसी के आधार पर मेरे मुकदमे की मुख्य धाराओं को हटा दिया गया है और चार्जशीट में केस को कमजोर कर दिया गया है। भले ही हालात और व्यवस्था मेरे खिलाफ हों, लेकिन मैं लड़ूंगी।
लड़कियों को पीड़िता बनने से बचाना है मकसद
मैरिटल रेप की पीड़िता ने कहा कि मेरे पास इस लड़ाई के लिए काफी समय और पेशेंस है। मेरा मकसद यहां सिर्फ अपनी लाइफ के बारे में सोचना और एक बुरे आदमी से पीछा छुड़ाना नहीं है। मेरा मकसद ये है कि किसी और लड़की के साथ ऐसा ना हो। कम से कम किसी और के साथ इस इंसान की वजह से तो ना हो। ये लड़ाई अब मेरी अपनी जिंदगी से ज्यादा उन लड़कियों के बारे में है जो इस तरह की हिंसा का शिकार होती हैं या भविष्य में हो सकती हैं।