Gyanvapi Masjid Shivling : भगवान शिव के खिलाफ अभद्र टिप्पणी AIMIM के बड़े नेता को पड़ी भारी, गिरफ्तार
Gyanvapi Masjid Shivling : ज्ञानवापी मस्जिद में शिवलिंग की मौजूदगी को लेकर अभद्र भाषा का प्रयोग करना एआईएमआईएम नेता दानिश कुरैशी ( Danish Qureshi ) ने भारी पड़ी। दानिश कुरैशी ने अहमदाबाद ( Ahmedabad News ) में ज्ञानवापी मस्जिद में मिले भगवान शिव ( Lord Shiva ) के लिंग को लेकर सोशल मीडिया पर अश्लील और अभद्र टिप्पणी की थी। इस मामले में दानिश कुरैशी ( Danish Qureshi arrested ) को गिरफ्तार कर लिया गया है। दानिश कुरैशी को अहमदाबाद साइबर क्राइम ( Cyber Crime ) की टीम ने गिरफ्तार किया है।
दानिश कुरैशी का विवादित बयान सामने आने के बाद विश्व हिंदू परिषद ने सख्त आपत्ति जताते हुए दानिश कुरैशी के खिलाफ कार्रवाई की मांग की थी। इसके अलावा अहमदाबाद के वासना इलाके के रहने वाले जयदीप सिंह वाघेला ने भी दानिश के खिलाफ वासना थाने में शिकायत दर्ज कराई है। जयदीप सिंह वाघेला ने अपराध दर्ज कर कार्रवाई करने की मांग की थी।
हिंदू संगठनों ने भी जताई घोर आपत्ति
दरअसल, एआईएमआईएम दानिश कुरैशी द्वारा शिव का अपमान करने वाले पोस्ट से हिंदुओं में आक्रोश चरम पर है। कुरैशी का बयान आने के बाद से ओवैसी की पार्टी के नेता दानिश कुरैशी की गिरफ्तारी की मांग तेज हो गई थी। दानिश के गिरफ्तारी के लिए महामंडलेश्वर अखिलेश दास जी ने भी पुलिस के सामने शिकायत दर्ज कराई थी। उन्होंने कहा कि कानूनी सलाह लेकर मामले को उठाया जाएगा। साथ ही हिंदू युवा वाहिनी के प्रभारी योगी देवनाथ ने भी पुलिस से दानिश कुरैशी की गिरफ्तारी की मांग की थी।
एआईएमआईएम नेता दानिश कुरैशी ने अपने सोशल मीडिया हैंडल पर ज्ञानवापी मस्जिद के अंदर शिवलिंग का मामला सामने आने पर एक विवादित पोस्ट किया था। दानिश ने पवित्र शिवलिंग को लेकर इतनी ख़राब भाषा का इस्तेमाल किया कि हम उसका यहां पर उल्लेख नहीं कर सकते। इस पोस्ट में उन्होंने हिंदुओं की धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाई है। इस समय अभद्र पोस्ट को लेकर हिंदू समुदाय में खासा गुस्सा है। बता दें कि ज्ञानवापी मस्जिद को लेकर विवाद उतना ही पुराना है जितना कि बाबरी मस्जिद। पूजा की अनुमति के लिए पहली बार 1991 में अदालत में एक अपील दायर की गई थी। 1993 में इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने यथास्थिति को बरकरार रखा। 2018 में, सुप्रीम कोर्ट ने स्टे ऑर्डर के लिए छह महीने की समय सीमा निर्धारित की। मामले को 2019 में वाराणसी की एक अदालत में फिर से खोला गया। 2021 में मस्जिद की वीडियोग्राफी और फोटोग्राफी का ऑर्डर दिया गया था। यद्यपि वीडियोग्राफी का मुस्लिम पक्ष द्वारा विरोध किया गया था, अदालत ने फिर से वीडियोग्राफी का आदेश दिया और इसका संचालन पूरा हो गया है।
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