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राष्ट्रीय

किसानों से वार्ता में सरकार ने कहा था बिजली और पराली पर नहीं बनाएंगे कानून, फिर आज बजट सत्र की लिस्ट में कैसे?

Janjwar Desk
1 Feb 2021 8:17 AM GMT
किसानों से वार्ता में सरकार ने कहा था बिजली और पराली पर नहीं बनाएंगे कानून, फिर आज बजट सत्र की लिस्ट में कैसे?
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किसान नेताओं के साथ छठे दौर की वार्ता के बाद केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने कहा था कि पर्यावरण अध्यादेश पर रजामंदी हो गई है। ऐसे में अब पराली जलाना जुर्म नहीं है।

नई दिल्ली। बीते ढाई महीने से तीन नए कृषि कानूनों के खिलाफ चल रहे आंदोलन में उस वक्त नया मोड़ आ गया जब गणतंत्र दिवस के बाद किसान नेता राकेश टिकैत मीडिया के सामने रो पड़े। लिहाजा किसानों का आंदोलन और तेज हो गया है। किसान तीन नए कृषि कानून कृषि उपज ट्रेड और कॉमर्स कानून 2020, कृषक कीमत आश्वासन और कृषि सेवा पर करार कानून 2020 और आवश्यक वस्तु (संशोधन) कानून 2020 को निरस्त करने की मांग कर रहे हैं। किसानों ने सरकार के साथ वार्ता के लिए चार शर्तें रखी थीं जिसमें इन तीन कानूनों को वापस लेने, एमएसपी की कानूनी गारंटी, बिजली संशोधन विधेयक में बदलाव और पराली जलाने पर जुर्माना खत्म करने की बातें शामिल थीं।

किसान नेताओं के साथ छठे दौर की वार्ता के बाद केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने कहा था कि पर्यावरण अध्यादेश पर रजामंदी हो गई है। ऐसे में अब पराली जलाना जुर्म नहीं है। एमएसपी पर कानून को लेकर चर्चा जारी है। एमएसपी जारी रहेगी। हम एमएसपी पर लिखित आश्वासन देने के लिए तैयार हैं। किसानों के लिए सम्मान और संवेदना है। सरकार द्वारा बिजली बिल सुधार कानून भी वापस लिए जाने की घोषणा की गई थी।

तब बैठक के बाद किसान नेता राकेश टिकैत ने कहा था कि सरकार ने हमारी दो मांगों को मान लिया है। आज बातचीत अच्छी रही, अब चार जनवरी को अगली वार्ता होगी। शांतिपूर्ण ढंग से किसानों का प्रदर्शन जारी रहेगा लेकिन आज जब बजट सत्र शुरू हो गया है तो संसदीय कार्य सूची में इन विषयों को बिंदु संख्या 1,12 और 29 नंबर पर रखा गया है।


वहीं करीब ढाई महीने गुजर जाने के बाद भी सरकार और किसानों के बीच गतिरोध अब भी जारी है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रविवार 31 जनवरी की रात 'मन की बात कार्यक्रम में कहा कि गणतंत्र दिवस पर तिरंगे के अपमान से पूरा देश दुखी है। इससे एक दिन पहले सर्वदलीय बैठक में उन्होंने कहा कि उनकी सरकार किसानों से बस एक फोन कॉल दूर है और इस मसले का हल बातचीत के जरिए निकाला जा सकता है। प्रधानमंत्री के बयान पर प्रतिक्रिया देते हुए नरेश टिकैत और राकेश टिकैते ने कहा कि किसान प्रधानमंत्री की गरिमा का सम्मान करेंगे लेकिन वे आत्मसम्मान की रक्षा के लिए भी प्रतिबद्ध हैं।


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