Indian Startup Jobs : क्या भारतीय स्टार्टअप्स की सफलता की कहानी पर ग्रहण लगने वाला है?

Indian Startup Jobs : क्या भारतीय स्टार्टअप्स की सफलता की कहानी पर ग्रहण लगने वाला है?
Indian Startup Jobs : जितेन्द्र शर्मा (बदला हुआ नाम) को बीते साल जब तेजी से उभरते हुए एक स्टार्टअप (Indian Startup Jobs) में चार गुनी सैलरी पर प्रोडक्ट इंजीनियर के रूप में जुड़ने का मौका मिला तो उनकी खुशी का ठिकाना नहीं रहा। हालांकि ज्वाइनिंग के महज आठ महीने के बाद स्टार्टअप ने फंड की कमी का हवाला देते हुए उनके साथ ही सैकड़ों कम्रियों की छंटनी कर दी। इससे पहले कंपनी ने 10 करोड़ डॉलर की वॅल्यूएशन पर भी पैसा जुटाया था।
शर्मा उन हजारों लोगों में शामिल हैं, जिन्हें 2022 की शुरुआत से अभी तक अच्छी फंडिंग हासिल कर चुके स्टार्टअप (Indian Startup Jobs) निकाल चुके हैं। मनी कंट्रोल की ओर से जुटा गए आंकड़ों के मुताबिक भारतीय स्टार्टअप इससाल अभी तक 5000 से अधिक कर्मियों की छंटनी कर चुके हैं।
वेंचर कैपिटल फर्म इंडिया कोशेंट के आनंद लूनिया इस साल और छंटनी की उम्मीद कर रहे हैं, क्योंकि स्टार्टअप्स कॉस्ट घटना की योजना पर काम कर रहे हैं। हालांकि, उन्होंने कहा है कि छंटनी के शिकार लोगों को नौकरी भी जल्दी ही मिल जाएगी, क्योंकि भारत में हमेशा ही प्रतिभा की कमी बनी रहती है।
लूनिया ने कहा है कि कर्मचारियों को यह अहसास होना चाहिए कि स्टार्टअप्स (Indian Startup Jobs) तेजी से फंड जुटा रहे हैं तो वे आक्रामक रूप से फंड खर्च भी कर रहे हैं। इसलिए वेतन में भारी बढ़ोतरी का लुत्फ उठाने वालों को कॉस्ट में कटौती का शिकार भी होना पड़ सकता हैं
स्टार्टअप्स के फंडिंग का संकट
महंगाई में उछाल और ब्याज दरों में बढ़ोतरी का असर स्टार्टअप फंडिंग (Indian Startup Jobs) पर पड़ रहा है, क्योंकि इनवेस्टर्स अब निवेश में कमी कर रहे हैं। रूस-यूक्रेन युद्ध के चलते तेल महंगा हुआ है और ट्रांसपोर्टेशन कॉस्ट बढ़ी है। चारो तरह सेंटीमेंअ कमजोर हुआ है।
मार्केट इंटेलिजेंस फर्म सीसी इनसाइट्स के मिले आंकड़ों के मुताबिक, 2022 की दूसरी तिमाही में भारत के स्टार्टअप्स (Indian Startups Struggle) की वेंचर्स की फंडिंग घटकर 3.6 अरब डॉलर रह गयी है, जबकि जनवरी मार्च में 8 अरब डॉलर की फंडिंग मिली थी औश्र एक साल पहले समान तिमाही में 10 अबर डॉलर से ज्यादा की फंडिंग मिली थी। डाटा से यह भी पता चलता है कि 2020 में अक्टूबर-दिसंबर तिमाही के बाद इस साल जनवरी-मार्च तिमाही में पहली बार तिमाही अधार पर वेंचर फंडिंग में सुस्ती आयी है।





