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क्या भारत बनता जा रहा है पुलिस स्टेट, बेवजह की गिरफ्तारियों और बेल टालने पर SC ने दी केंद्र को हिदायत

Janjwar Desk
12 July 2022 3:39 PM IST
क्या भारत बनता जा रहा है पुलिस स्टेट, बेवजह की गिरफ्तारियों और बेल टालने पर SC ने दी केंद्र को हिदायत
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क्या भारत बनता जा रहा है पुलिस स्टेट, बेवजह की गिरफ्तारियों और बेल टालने पर SC ने दी केंद्र को हिदायत

Indiscriminate arrests : सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस संजय किशन कौल एवं जस्टिस सुंद्रेश की पीठ ने सरकार से जमानत देने की प्रक्रिया को और बेहतर बनाने के लिए एक नए कानून बनाने की भी अपील की है।

Indiscriminate arrests : अमूमन उपनिवेशवादी, राजशाही और तानाशाही व्यवस्थाएं मूलत: पुलिस-राज्य ( Police state ) होती हैं लेकिन लोकतांत्रिक व्यवस्थाओं में भी समय-समय पर पुलिस-राज्य की प्रवृत्तियों का उभार देखने को मिलता रहता है। क्या इस बात के संकेत भारत ( India ) जैसे लोकतांत्रिक राष्ट्र में भी मिलने लगे हैं। इस बात को सुप्रीम कोर्ट ( Supreme court ) की केंद्र सरकार ( Central Government ) को नसीहत से समझा जा सकता है।

दरअसल, सुप्रीम कोर्ट ( Supreme court ) के जस्टिस संजय किशन कौल एवं जस्टिस सुंद्रेश की पीठ ने सरकार से जमानत देने की प्रक्रिया को और बेहतर बनाने के लिए एक नए कानून बनाने की भी अपील की है। दो जजों की पीठ ने कहा कि गिरफ्तारी पर नया कानून वक्त की मांग है।

ये बात सुप्रीम कोर्ट ( Supreme court ) की पीछ ने देश में मनमाने तरीके से होने वाली गिरफ्तारियों के संदर्भ में कही है। शीर्ष अदालत ने चिंता जताई कि कि बिना सोचे समझे होने वाली गिरफ्तारियां ठीक नहीं हैं।अदालत ने गिरफ्तारियों पर नया कानून बनाने की सरकार से अपील की है। ऐसे में यह सवाल उठना लाजिमी है कि क्या भारत पुलिस स्टेट ( Police State) बनने की राह पर है।

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि मनमाने तरीके से एवं बिना सोचे समझे होने वाली गिरफ्तारियां औपनिवेशिक मानसिकता को प्रदर्शित करती हैं। इससे लगता है कि हम 'पुलिस स्टेट' में रहते हैं।

गिरफ्तारियों और जमानत पर नया कानून बनाए सरकार

जस्टिस संजय किशन कौल एवं जस्टिस सुंद्रेश की पीठ ने सरकार ( central government ) से जमानत देने की प्रक्रिया को और बेहतर बनाने के लिए एक नए कानून बनाने की भी अपील की है। पीठ ने कहा कि गिरफ्तारी पर नया कानून समय की जरूरत है। शीर्ष अदालत ने कहा कि आरोपी की नियमित जमानत अर्जी पर सामान्य रूप सप्ताह के भीतर फैसला करना है। कोर्ट ने राज्यों एवं केंद्र शासित प्रदेशों को निर्देश दिया कि वे लोगों को गिरफ्तार करने से पहले सीआरपीसी की धारा 41 एवं 41ए का पालन कराना सुनिश्चित करें।

जेल विचाराधीन कैदियों से भरे हैं

सुप्रीम कोर्ट ( Supreme court ) की पीठ ने कहा कि भारती जेल विचाराधीन कैदियों से भरे पड़े हैं। जो डाटा हमारे सामने आया है उसे देखने पर यही लगता है कि जेल में विचाराधीन कैदियों की संख्या काफी है। ऐसे कैदियों में गरीब एवं अनपढ़ और महिलाएं हैं। कोर्ट इन गिरफ्तारियों में जांच एजेंसियों में औपनिवेशिक मानसिकता की संस्कृति पाता है।

जांच एजेंसियां नहीं कर रही आदेशों का पालन

सर्वोच्च अदालत ने आगे कहा कि जमानत के नियम और जेल अपवाद हैं। अनुच्छेद 21 यानि जीवन के अधिकार का आधार है। कोर्ट ने कहा कि पुलिस अधिकारी का कर्तव्य है कि वह गिरफ्तारी की वजहों को लिखें। कोर्ट ने अफसोस जताया कि जांच एजेंसियां उसके पहले के आदेशों का पालन नहीं कर रही हैं।

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