कोरोना संकट के बीच झारखंड सरकार ने 1329 श्रमिकों को BRO प्रोजेक्ट के लिए लेह लद्दाख भेजा
दुमका, जनज्वार। झारखंड सरकार ने शनिवार को एक करार के तहत अपने सूबे के 1329 श्रमिकों को बाॅर्डर रोड आर्गेनाइजेशन (BRO) के प्रोजेट में काम करने के लिए लेह लद्दाख भेजा. झारखंड सरकार ने शनिवार को एक करार के तहत अपने सूबे के 1329 श्रमिकों को बाॅर्डर रोड आर्गेनाइजेशन (BRO) के प्रोजेट में काम करने के लिए लेह लद्दाख भेजा.
इसके लिए दुमका में एक संक्षिप्त कार्यक्रम का आयोजन किया गया जहां दुमका सहित संताल परगना के अन्य जिलों के 1329 श्रमिकों को विशेष ट्रेन से लेह लद्दाख के लिए रवाना किया गया. ये श्रमिक बाॅर्डर रोड आर्गेनाइजेशन के प्रोजेक्ट के तहत सीमा पर सामरिक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण सड़क निर्माण कार्य में अपना योगदान देंगे.
झारखंड के सरकारी ऑनलाइन टेलीविजन JharGov TV के अनुसार, 1600 लोगों का इसके लिए रजिस्ट्रेशन हुआ था, लेकिन भेजे जाने वक्त 1329 श्रमिक उपस्थित हुए और उन्हें रवाना किया गया.
श्रमिकों को भेजने के लिए झारखंड सरकार का बकायदा बाॅर्डर रोज आर्गेनाजेशन से पत्राचार हुआ था और इसके लिए एमओयू (MOU) किया गया. आज दुमका में मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन व बाॅर्डर रोड आर्गेनाजेशन के वरीय अधिकारियों की मौजूदगी में दस्तावेज पर हस्ताक्षर किए गए. इस मौके पर राज्य के श्रम मंत्री सत्यानंद भोक्ता भी मौजूद थे.
मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन (Hemant Soren) ने इस दौरान कहा कि बीआरओ के द्वारा जो वादे व शर्तें तय की गयी हैं वो पूरी नहीं हुईं तो किसी भी वक्त कड़ा फैसला ले सकते हैं. उन्होंने यह भी कहा कि देश सेवा के लिए हमारे श्रमिकों का पहला जत्था रवाना हो रहा है, उन्हें शुभकमानाएं. हेमंत ने कहा कि प्रवासी श्रमिकों को लाने के लिए सबसे पहली ट्रेन उनके आग्रह पर झारखंड के लिए ही चली और आज राष्ट्र सेवा के लिए सीमा पर दुर्गम जगह काम करने के लिए सबसे पहले हमारे ही श्रमिक जा रहे हैं. हेमंत ने कहा कि हमारे लिए देश की सुरक्षा एवं संप्रभुता सर्वाेच्च है. झारखंड सरकार हर सुख दुख में अपने श्रमिकों के साथ खड़ी है.
श्रमिकों को बार्डर रोड आर्गेनाइजेशन की ओर से एक मानक मजदूरी देने की बात कही गयी है. इसके साथ ही दुर्घटना में मौत होने पर पांच लाख रुपये का बीमा कवर दिया जाएगा और गंभीर रूप से घायल होने पर चार लाख रुपये दिए जाएंगे. श्रमिकों को भोजन व केरोसिन के लिए तीन हजार का भत्ता दिया जाएगा. वहां के मौसम के हिसाब से कपड़े दिए जाएंगे. आठ घंटे से अधिक काम नहीं लिया जाएगा. उन्हें शेल्टर भी उपलब्ध कराया जाएगा और कार्यस्थल पर वाहन से पहुंचाया व लाया जाएगा.