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Dhajwa Pahad Bachao Andolan: आन्दोलन ने रंग लाया, एनजीटी कोर्ट के हस्तक्षेप से धजवा पहाड़ अवैध खनन माफियाओं के चंंगुल से बच गया
Dhajwa Pahad Bachao Andolan: आन्दोलन ने रंग लाया, एनजीटी कोर्ट के हस्तक्षेप से धजवा पहाड़ अवैध खनन माफियाओं के चंंगुल से बच गया
विशद कुमार की रिपोर्ट
Dhajwa Pahad Bachao Andolan: पिछले साढ़े 4 महीने से झारखंड के पलामू जिले निरंतर धजवा पहाड़ बचाने के लिए पहाड़ की तलहटी में बैठे आंदोलनकारियों के आंदोलन ने अंततः रंग लाया। बता दें कि 5 अप्रैल को धजवा पहाड़ पर हुए अवैध पत्थर खनन मामले में एनजीटी कोर्ट (नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल अर्थात 'राष्ट्रीय हरित अधिकरण) में सुनवाई हुई। पलामू उपायुक्त द्वारा एनजीटी में सौंपे गए जांच रिपोर्ट और अधिवक्ता अनूप अग्रवाल द्वारा एनजीटी कोर्ट में रखे गए सबूतों के आधार पर एनजीटी कोर्ट ने धजवा पहाड़ पर हुए माईनिंग को अवैध करार दिया और झारखंड प्रदुषण नियंत्रण बोर्ड को ये आदेश दिया कि अवैध माईनिंग से पर्यावरण को कितना नुकशान पहुंचा है? इसका आंकलन कर, दो सप्ताह के अंदर रिपोर्ट जमा करे।
इससे पूर्व माईनिंग कंपनी के अधिवक्ता, संदीप प्रसाद साव ने कंपनी का पक्ष रखते हुए कहा कि जिस प्लॉट नं 1048 पर विवाद है, वो अप्रोच रोड़ है और वहां पहले से ही गड्ढा है। इस पर माननीय न्यायधीश आक्रोशित होते हुए कहें कि, मेरे बाल यूं ही सफेद नहीं हुए हैं। माईनिंग लीज जब प्लाट नं 1046 में दिया गया है, तो प्लाट नं 1048 पर 4 जगहों पर 6 से 10 फीट का गड्ढ़ा क्यों खोदा गया? ये पूरा मामला अवैध माईनिंग का है। पूरे मामले को देख कर स्पष्ट होता है कि, पलामू जिला प्रशासन माईनिंग कंपनी के पक्ष में काम कर रहा है। प्रखंड के अंचलाधिकारी और अमीन को सब पता है कि, प्लॉट नं 1048 पर अवैध माईनिंग हो रहा है, फिर भी माईनिंग कंपनी के ऊपर कोई कार्रवाई नहीं करना ये साबित करता है, कि ये सभी अधिकारी पैसा खा कर कंपनी के पक्ष में काम करते हुए कंपनी के अवैध कार्य को वैध करने की जुगत में लगे हुए हैं।
एनजीटी कोर्ट ने इस मामले में कंपनी को अवैध माईनिंग का दोषी करार दिया और झारखंड प्रदुषण नियंत्रण बोर्ड को आदेश दिया कि अवैध माईनिंग स्थल (धजवा पहाड़, पांडू प्रखंड) जा कर ये आंकलन करे कि, पर्यावरण को कितना नुकशान पहुंचाया गया है और कंपनी पर कितना जुर्माना लगाया जाए। प्रदुषण नियंत्रण बोर्ड आंकलन कर दो सप्ताह के अंदर रिपोर्ट सौंपे। मामले की अगली सुनवाई 19 अप्रैल को होगी।
बताते चलें कि धजवा पहाड़ बचाओ संघर्ष समिति द्वारा एनजीटी में दायर याचिका की दूसरी सुनवाई 11 मार्च को हुई थी। एनजीटी ने धजवा पहाड़ मामले की सुनवाई करते हुए जिला प्रशासन को जमकर फटकार लगाई एवं दो हफ्तों के अंदर रिपोर्ट मांगा थ। बता दें कि पहली सुनवाई मे उपायुक्त को स्वयं जाकर जांच करने को मिली नोटिस के बाद जिला प्रशासन ने एनजीटी को शपथ पत्र के माध्यम से बताया था कि प्रथम दृष्टया ऐसा प्रतीत हो रहा है कि पहाड़ का अवैध खनन हो रहा है एवं तत्काल खनन पर रोक लगाने का आदेश जारी कर दिया गया है। साथ ही उपायुक्त की तरफ से यह भी बताया गया था कि मामले में हाई लेवल कमिटी की गठन की गई है जो पूरे मामले का जांच कर अपना रिपोर्ट देगी। इस पर संज्ञान लेते हुए एनजीटी ने कहा था कि जब अवैध खनन की बात स्वीकारी जा रही है तो कमेटी बनाकर किसका इंतजार किया जा रहा है। बल्कि सीधे तौर पर कार्रवाई क्यों नहीं की जा रही एवं एनजीटी ने कमेटी को 2 सप्ताह के अंदर रिपोर्ट सौंपने को कहा था। इसके अलावे एनजीटी ने राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड को भी इस मामले में एक पार्टी बनाते हुए बोर्ड को यह निर्देश दिया था कि कमेटी के रिपोर्ट के आधार पर बोर्ड यह आंकलन करे जिसमें पर्यावरण को होने वाला नुकसान, नुकसान की भरपाई में लगने वाला खर्च, जिस व्यक्ति ने यह नुकसान किया उससे कितनी राशि जुर्माना के तौर पर वसूली जाए समेत अन्य बातों का आंकलन किया जाए। एनजीटी के आदेश के बाद पलामू उपायुक्त ने एक हाई लेबल जांच कमेटी का गठन किया था। कमेटी ने जांचोपरांत जांच में पाया कि प्लॉट नः 1048 में 4 जगहों पर अवैध माईनिंग किया गया है। यहां 4 जगहों पर 6 से 10 फीट का गड्ढा पाया गया है।
बीते वर्ष 2021 के नवंबर माह से स्थानीय ग्रामीण और जन संगठन के लोगों धजवा पहाड़ बचाओ संघर्ष समिति का गठन करके एक बड़ा आंदोलन पत्थर माफिया के खिलाफ शुरु किया गया। संघर्ष समिति का साथ जन संग्राम मोर्चा, सीपीआई माले-रेड स्टार के साथ अन्य कई संगठनों ने दिया और पांडू प्रखंड के कुटमू पंचायत से शुरु हुआ ये आंदोलन देखते ही देखते एक बड़े आंदोलन का रुप ले लिया। 18 नवंबर 2021 से यहां धजवा पहाड़ की तलहटी पर स्थानीय ग्रामीण और जनसंगठन के लोगों द्वारा धरना-प्रदर्शन शुरु किया, फिर धरना प्रदर्शऩ को क्रमिक अनशन में बदलते हुए आंदोलन अब तक जारी है।
इस बीच धजवा पहाड़ बचाओं संघर्ष समिति के आंदोलन को कुचलने के लिए स्थानीय पुलिस ने भी कोई कोर- कसर नहीं छोडी। कंपनी के पक्ष में काम करते हुए पांडू थाना के थाना प्रभारी ने अवैध माईनिंग कर रहे कंपनी के लोगों के साथ मिलकर धरने पर बैठे लोगों, यहां तक की बुजूर्ग आंदोलनकारियों को भी नहीं छोड़ा। आंदोलनकारियों को अपशब्द कहा और धक्का-मुक्की की। जिस टेंट के नीचे ये लोग आंदोलन कर रहे थें, उस टेंट को भी उखाड़ फेंका था। कंपनी के ईशारे पर थाना प्रभारी ने संघर्ष समिति से जुड़े दर्जनों लोगों पर माईनिंग कंपनी में जा कर तोड़-फोड़ और लूटपाट करने का झुठा मुकदमा दर्ज किया। आंदोलनकारी इस पुलिसिया बर्बरता से नही डरें और आंदोलन अब भी जारी रखे हुए हैं।
एनजीटी के इस आदेश के बाद धजवा पहाड़ बचाओ संघर्ष समिति एवं धजवा पहाड़ के आंदोलन से जुड़े सभी लोगों में काफी खुशी देखी जा रही है। आन्दोलनकारियों ने उन तमाम मिडिया का जिन्होंने उनके आन्दोलन को कवरेज दिया एवं आन्दोलन में नैतिक समर्थन देने वालों का आभार व्यक्त किया है।
आन्दोलनकारियों के कहा है कि इन तमाम लोगों की वजह से ही धजवा पहाड़ का अस्तित्व अब मिटने से बच गया। कहा है कि बिना इनके सहयोग के धजवा पहाड़ बचाओ संघर्ष समिति के लिए यह जीत एक कल्पना मात्र थी।