ED Raid Jharkhand : कार्रवाई की आड़ में CM Soren पर लटकी तलवार, इस मामले में गिर सकती है 'सरकार'
ED Raid Jharkhand : झारखंड की राजधानी रांची में शुक्रवार 6 मई को बड़े पैमान पर प्रवर्तन निदेशालय (Enforcement Directorate ) की कार्रवाई से सियासी भूचाल की स्थिति है। ईडी ( ED) ने रेड तो IAS अधिकारी पूजा सिंघल ( IAS Pooja Singhal ) के आवास समेत अन्य ठिकानों पर की है, लेकिन इसके तार हेमंत सोरेन सरकार से जुड़े बताए जा रहे हैं। पूजा सिंघल की आड़ में भ्रष्टाचार ( Corruption ) का बड़ा खुलासा होने की संभावना है। अगर ऐसा हुआ तो हेमंत सोरेन की सरकार ( Soren Government ) विधानसभा का कार्यकाल पूरा होने से पहले भी गिर सकती है।
मधु कोडा को पीछे छोड़ने के करीब हैं सीएम सोरेन
रांची के सियासी गलियारों में कहा जा रहा है कि पूजा सिंघल ( IAS Pooja Singhal ) तो बहाना है, निशाना तो हेमंत सोरेन ( CM Hemant Soren ) की सरकार है। इस बात को लेकर जेएमएम ( JMM ) और भाजपा ( BJP ) के बीच आरोप-प्रत्यारोप का सिलसिला भी तेज हो गया है। साथ ही ये भी कहा जा रहा है कि सोरेन सरकार झारखंड ( Jharkhand News ) में कुछ ही दिनों की मेहमान है। ऐसा इसलिए कि लाभ का पद मामले में सीएम हेमंत सोरेन की विधानसभा सदस्यता खतरे में है। इस बाबत चुनाव आयोग ने उनसे जवाब तलब भी किया है। साथ ही भ्रष्टाचार के कई मामले में सामने आने वाले हैं। विरोधियों का कहना है कि हेमंत सोरेन की सरकार इस मामले में मधु कोडा को भी पीछे छोड़ सकती है।
भाजपा की स्थिति बच्चों जैसी
शुक्रवार को IAS पूजा सिंघल के आवास समेत अन्य ठिकानों पर प्रवर्तन निदेशालय ( Enforcement Department ) की टीम द्वारा छापेमारी करने पर सीएम हेमंत सोरेन ने इसे गीदड़ भभकी करार दिया था। सीएम ने भाजपा पर निशाना साधते हुए आरोप लगाया था कि केंद्र सरकार झारखंड में गलत राजनीतिक परिभाषा गढ़ने का प्रयास कर रही है। सीएम सोरेन ने प्रोजेक्ट भवन में पत्रकारों से बात करते हुए ईडी की कार्रवाई को गीदड़ भभकी करार दिया था। उन्होंने कहा कि भाजपा की स्थिति उस बच्चे की तरह हो गई है, जो मैच हारने के बाद बैट-बॉल लेकर चला जाता है। राजनीतिक मैदान में जब भाजपा नहीं टिक रही तो संवैधानिक संस्थाओं का दुरुपयोग करने पर उतारू है। ईडी की कार्रवाई से साफ है कि इसके पीछे भाजपा का मकसद क्या है? सीएम के बयान से साफ है कि पर्दे के पीछे झारखंड में सियासी उलटफेड़ की खिचड़ी जरूर पक रही है।
सोरेन जी के नाक की बाल हैं पूजा सिंघल - निशिकांत दुबे
वहीं आईएएस पूजा सिंघल के कई ठिकानों पर ईडी की कार्रवाई के बाद भाजपा सांसद डॉ. निशिकांत दुबे संकेत में ही सबकुछ बता दिया है। उन्होंने कहा कि केवल 19 करोड़ रुपए नकद IAS पूजा सिंघल जी व उनके करीबी लोगों के यहां ED द्वारा चल रहे छापे में बरामद नहीं हुए। इसके अलावा मकान, ज़मीन, जगह, अस्पताल, ठेका, पट्टा का हिसाब के गैर कानूनी दस्तावेज भी सामने आये हैं। दुबे एक अन्य ट्विट में कहते हैं कि झारखंड सरकार यानि मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन जी के नाक की बाल पूजा सिंघल जी, जिन्होंने मुख्यमंत्री, उनके भाई, गुर्गों व दलालों को कौड़ी के भाव खान आवंटित किया, आख़िर उनके यहां ED का छापा 20 जगह पर चल रहा है। यह छापा रांची, दिल्ली, राजस्थान, मुम्बई में जारी है। भाजपा सांसद दुबे का ट्विट भ्रष्टाचार और लाभ के पद वाले में सोरेन के फंसने की ओर इशारा कर रहा है। साफ है सोरेन सरकार बुरी तरह फंस चुकी है और बहुत कम दिनों की मेहमान है।
EC ने पूछा - आपकी सदस्यता रद्द क्यों न कर दी जाए?
दूसरी तरफ चुनाव आयोग ने हाल ही में झारखंड के सीएम हेमंत सोरेन को नोटिस भेजा है। चुनाव आयोग ने नोटिस भेजकर उनसे जवाब मांगा है कि उनके पक्ष में खनन पट्टा जारी करने के लिए उनके खिलाफ कार्रवाई क्यों नहीं की जानी चाहिए। जो आरपी अधिनियम की धारा 9ए का उल्लंघन करती है। धारा 9ए सरकारी अनुबंधों के लिए किसी सदन से अयोग्यता से संबंधित है। एक पदाधिकारी ने कहा कि आयोग उन्हें इन गंभीर आरोपों पर अपना रुख पेश करने के लिए एक न्यायोचित मौका देना चाहता है। उन्हें नोटिस का जवाब देने के लिए 10 मई तक का समय दिया जाता है। इससे पहले भारत निर्वाचन आयोग ने राज्य के मुख्य सचिव सुखदेव सिंह को तलब करते हुए उनसे पूछताछ की थी। आयोग ने मुख्य सचिव सुखदेव सिंह से लीज आवंटन से संबंधित दस्तावेज का प्रमाणीकरण करने को कहा था कि उक्त दस्तावेज सही हैं या नहीं।
इसके जवाब में सीएम सोरेन ने कहा है कि चिंता न करें। सरकार पूरी मजबूती के साथ अपना काम करेगी। चुनाव आयोग द्वारा आनन-फानन में नोटिस देने पर कहा कि उन्हीं से पूछिये, क्या जल्दीबाजी है। देश में कानून और संविधान है। इसके विरुद्ध जो जाता है, तो परिणाम भी वही भुगतता है।
क्या है पूरा मामला?
दरअसल, झारखंड में खदान और उद्योग विभाग दोनों सीएम सोरेन के पास है। वे पहले से ही रांची में उनके नाम पर पत्थर की खदान के कथित आवंटन के कारण कानूनी उलझन में हैं। 2019 में बरहेट निर्वाचन क्षेत्र से सदन के लिए चुने गए सोरेन ने 13 साल पहले रांची जिले के अंगारा ब्लॉक के प्लाट संख्या 482 पर 0.88 एकड़ के पत्थर के खनन पट्टे के लिए आवेदन किया था। चुनाव आयोग पहले से मामले की जांच कर रहा है कि क्या मुख्यमंत्री ने अपने पद का इस्तेमाल लाभ के लिए किया है? बताया जा रहा है कि मामले में दोषी पाए जाने पर विधानसभा सदस्यता से अयोग्यता की नौबत भी आ सकती है।
खनन पट्टा आवंटन मामले में हाईकोर्ट में जारी है सुनवाई
झारखंड में मुख्य विपक्षी पार्टी भाजपा की शिकायत के बाद राज्यपाल बैस ने शिकायत को चुनाव आयोग के पास राय के लिए भेजा था। पूर्व मुख्यमंत्री और भाजपा नेता रघुवर दास द्वारा दर्ज कराए गए शिकायत के मुताबिक 13 साल बाद 10 जुलाई 2021 को जिला खनन कार्यालय रांची ने सीएम सोरेन के पक्ष में पट्टे को मंजूरी दी, जो उस समय के मुख्यमंत्री-सह-खान मंत्री थे। भाजपा ने आरोप लगाया है कि यह मुख्यमंत्री द्वारा लाभ का पद धारण करने का मामला था, क्योंकि उन्होंने एक खनन पट्टा प्राप्त किया और जनप्रतिनिधित्व अधिनियम 1951 की धारा 9ए का उल्लंघन किया। इसी मामले पर एक जनहित याचिका पर झारखंड उच्च न्यायालय द्वारा भी सुनवाई की जा रही है, जिसमें केंद्रीय एजेंसियों से जांच की मांग की गई है।
राजयपाल ने EC को भेजा प्रतिवेदन
इस मामले में झारखंड के राज्यपाल बैस की ओर से निर्वाचन आयोग को एक प्रतिवेदन मिला है। इस पर आयोग खुद का विचार राज्यपाल को भेजेगा। जन प्रतिनिधित्व अधिनियम की धारा 9ए किसी सरकारी अनुबंध के लिए किसी सांसद या विधायक को अयोग्य करार देने से संबद्ध है। आयोग ने कहा कि नोटिस इस धारा को ध्यान में रखते हुए जारी किया गया हैं। आयोग ने धारा 9ए के प्रावधानों का प्रथम दृष्टया उल्लंघन पाया है। आयोग ने हाल में राज्य सरकार को पत्र लिख कर खनन पट्टे से संबद्ध दस्तावेज साझा करने को भी कहा था।
IAS पूजा सिंघल के पास से 19.31 करोड़ बरामद
ED Red Jharkhand : बता दें कि प्रवर्तन निदेशालय ( Enforcement Directorate ) की ओर से शुक्रवार को झारखंड की राजधानी रांची में IAS अधिकारी पूजा सिंघल के आवास समेत अन्य ठिकानों पर छापेमारी की गई थी। इस छापेमारी में ईडी की टीम ने 19.31 करोड़ रुपए नकद बरामद की है। साथ ही कई आवश्यक दस्तावेज भी बरामद की है। बताया जा रहा है कि पूजा सिंघल के ताड़ सोरेन सरकार से जुड़े हैं।
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