West Singhbhum Jharkhand: पश्चिमी सिंहभूम जिला में राज्य गठन के 21 वर्ष बाद भी बच्चे और महिलाए कुपोषण का शिकार
West Singhbhum Jharkhand: पश्चिमी सिंहभूम जिला में राज्य गठन के 21 वर्ष बाद भी बच्चे और महिलाए कुपोषण का शिकार
विशद कुमार की रिपोर्ट
West Singhbhum Jharkhand: बताते चलें कि झारखंड के पश्चिमी सिंहभूम ज़िला में राज्य गठन के 21 वर्ष बाद, आज भी बच्चे और महिलाए व्यापक कुपोषण का शिकार हैं। वहीं विगत 6 महीने से 3 वर्ष व 3 से 6 वर्ष के बच्चों एवं गर्भवती महिलाओं को सरकारी योजनानुसार निर्धारित हर महीने नियमित रूप से मिलने वाला उचित मात्रा में पका भोजन / पोषाहार नहीं मिल रहा है। नियमानुसार तो बच्चों को सप्ताह में तीन अंडा भी मिलना है, लेकिन पिछले दो सालों में शायद ही कभी इन्हें अंडा मिला हो। यूनिवर्सल पेंशन योजना में आवेदन प्रक्रियाओं में जटिलता एवं योजनाओं के लिए पर्याप्त बजट आवंटित न होने के कारण अभी भी ज़िला के हजारों बुज़ुर्ग, विधवा व विकलांग व्यक्ति पेंशन से वंचित हैं।
उल्लेखनीय है कि सरकार ने सामाजिक सुरक्षा योजना के तहत संचालित पेंशन योजनाओं में एपीएल और बीपीएल कार्ड की बाध्यता समाप्त कर दी है। इसे यूनिवर्सल पेंशन योजना का नाम दिया गया है। 60 वर्ष से अधिक उम्र वाले हर वर्ग के बुजुर्ग और निराश्रित इस इस पेंशन स्कीम के दायरे में आते हैं। लाभ लेने के लिए सिर्फ एक सीमा ये है कि वो आयकर दाता की श्रेणी में ना आते हों। महिला, बाल विकास एवं सामाजिक सुरक्षा विभाग की तरफ से आधिकारिक तौर पर ये जानकारी दी गई है। बताया गया है कि लाभार्थियों को एक हजार रुपये की पेंशन महीने की 5 तारीख को प्रतिमाह उनके बैंक खाते में प्राप्त होगी। बता दें कि सरकार ने यूनिवर्सल पेंशन योजना के तहत 100 करोड़ रुपये का प्रावधान किया है। यह योजना 15 नवंबर 2021 से लागू की गई है।
रिपोर्ट है कि ऐसी अनेक विधवा महिलाएं हैं, जिनके पति की मृत्यु कई वर्षों पहले हुई थी और पति का मृत्यु प्रमाण पत्र बनवाने के लिए उनसे कोर्ट के एफिडेविट की मांग की जाती है। यह सुदूर क्षेत्र की वंचित महिलाओं के लिए बहुत बड़ी बाधा है। ऐसे में ग्रामीणों की मांग है कि मृत्यु प्रमाण पत्र के लिए एफिडेविट की आवश्यकता समाप्त होना चाहिए एवं केवल मुंडा / मानकी के सत्यापन के आधार पर प्रमाण पत्र निर्गत किया जाए।
इन तमाम मामलों पर 23 फरवरी को खाद्य सुरक्षा जन अधिकार मंच, पश्चिमी सिंहभूम के प्रतिनिधिमंडल ने सामाजिक सुरक्षा मंत्री जोबा माझी से मिलकर आंगनवाड़ी सेवाओं और यूनिवर्सल पेंशन योजना के कार्यान्वयन में समस्याओं पर चर्चा की और इनके लिए पर्याप्त बजट आवंटन की मांग की। मंच ने पिछले एक सप्ताह में जिला के विधायकों से मिलकर भी इन मांगो को रखा था और मांग किया था कि समस्याओं पर बजट सत्र में चर्चा हो।
मंच ने मंत्री से यह भी मांग की कि मृत्यु प्रमाण पत्र के लिए एफिडेविट की आवश्यकता समाप्त होना चाहिए एवं केवल मुंडा / मानकी के सत्यापन के आधार पर प्रमाण पत्र निर्गत किया जाए। इसपर मंत्री ने यह आश्वासन दिया कि विधवा पेंशन के लिए मृत्यु प्रमाण पत्र के लिए एफिडेविट के बजाय मुंडा के सत्यापन से ही हो जाएगा। सरकार इस पर जल्द आदेश जारी करेगी।
मंच ने मांग रखी कि तुरंत आंगनवाड़ी सेवाओं को पूर्ण रूप से बहाल किया जाए। यह सुनिश्चित किया जाए कि बच्चों एवं गर्भवती व धात्री महिलाओं को हर महीने नियमानुसार पूर्ण मात्रा में पोषाहार / पका भोजन मिले। वर्तमान मेनू में स्थानीय व पारंपरिक साग, दलहन, कंद आदि को जोड़ने के लिए विशेष प्रावधान हो। आंगनवाड़ी केन्द्रों में गर्भवती व धात्री महिलाओं एवं बच्चो को 6 अंडे प्रति सप्ताह दिए जाए। ज़िले के सुदूर टोलों में मिनी आंगनवाड़ी केंद्र शुरू की जाए ताकि वहाँ के बच्चे आंगनवाड़ी सेवाओं से जुड़ सके।
मंत्री जोबा मांझी ने कहा कि सरकार ने आंगनवाड़ी में 6 अंडे प्रति सप्ताह देने का निर्णय लिया है एवं इसके लिए बजट आवंटन किया जाएगा। उन्होंने यह भी कहा कि आंगनवाड़ी में फिर से पैकेट THR शुरू किया जायेगा एवं THR व अंडे के सप्लाई के लिए केंद्रीकृत टेंडर किया जा रहा है। मंच ने कहा कि यह सर्वोच्च न्यायालय के निदेश का उल्लंघन है और विकेन्द्रीकृत व बिना ठेकेदार की व्यवस्था शुरू होनी चाहिए।
मंच ने यूनिवर्सल पेंशन के विषय में कहा कि पिछले कुछ महीनों में हजारों बुज़ुर्ग, विधवा व विकलांग व्यक्तियों द्वारा किया गया पेंशन आवेदन की वर्तमान स्थिति स्पष्ट नहीं है। ज़िले के लंबित पेंशन आवेदनों की सूचि को ज़िला के वेबसाइट एवं प्रखंड व पंचायतों भवनों में तुरंत सार्वजानिक की जाए। मंत्री ने कहा कि इस योजना पर पर्यापत बजट आवंटन किया जाएगा।