Begin typing your search above and press return to search.
राष्ट्रीय

कानपुर हादसा : लाल्हेपुर के कई घरों में 2 दिन से नहीं जले चूल्हे, सन्नाटे के बीच अब भी आती हैं सिसकने की आवाजें

Janjwar Desk
11 Jun 2021 1:33 PM IST
कानपुर हादसा : लाल्हेपुर के कई घरों में 2 दिन से नहीं जले चूल्हे, सन्नाटे के बीच अब भी आती हैं सिसकने की आवाजें
x

सचेंडी से 12 किलोमीटर दूर गांव लाल्हेपुर में अब भी गम का सन्नाटा पसरा हुआ है.यहां हादसे में 15 की जान गई थी. photo-janjwar

गांव में यादव, पासवान और कुछ घर ठाकुर बिरादरी के हैं। हादसे में जिन लोगों की मौत हुई उनमें 7 लोग पासवान परिवार के, 5 यादव परिवार के और 2 ठाकुर परिवार के थे। तकरीबन 1700 की आबादी वाले इस गांव के अधिकांश घरों में चूल्हे तक नहीं जले...

जनज्वार, कानपुर। यूपी के कानपुर में सचेंडी किसान नगर की गंगनहर से बाएं हाथ लगभग 12 किलोमीटर दूर गांव है, लाल्हेपुर। सचेंडी हादसे में इसी गांव के 15 लोगों ने जान गंवाई है। पूरे गांव में मातम का माहौल है। लाल्हेपुर के कई घरों में दो दिन से चूल्हे तक नहीं जले हैं। एक अजीब सी शांति फैली है पूरे गांव में।

यहां के कई घरों ने अपने भाई, पिता, बेटे, चाचा, ताऊ आदि को खोया है। अधिकतर किसी न किसी अपने की मौत से बिलखते नजर आ रहे हैं। तो कुछ अपने दोस्त, अपने पड़ोसी को हमेशा के लिए खो देने के गम में गमजदा हैं। जब-तब गांव में पसरे सन्नाटे के बीच रोने, सिसकने और चीख पुकार की आवाजें सुनाई दे जा रही है।

इस गांव में यादव, पासवान और कुछ घर ठाकुर बिरादरी के हैं। हादसे में जिन लोगों की मौत हुई उनमें 7 लोग पासवान परिवार के, 5 यादव परिवार के और 2 ठाकुर परिवार के थे। तकरीबन 1700 की आबादी वाले इस गांव के अधिकांश घरों में चूल्हे तक नहीं जले। सुबह से लेकर शाम तक घरों के पुरुष भूखे प्यासे अपने अपनो को याद कर रहे हैं। और तो घरों में बंधे जानवरों को चारा पानी तक देना भी याद नहीं है।

लाल्हेपुर से करीब 3 किलोमीटर पहले ईश्वरीगंज गांव है। हादसे में यहां के भी 4 लोगों की मौत हुई है। यहां भी कई परिवार गमजदा हैं, तो पड़ोसी भी दुखी हैं। दुखी परिवारों में महिलाओं का आना जना लगा हुआ है। गांव में शहर की अपेक्षा आज भी एक दूसरे की फिक्र लोग लेते हैं।

हालांकि यह हादसा टेंपो के गलत दिशा में आने के चलते हुआ, लेकिन लोग इसमें कमी एनएचएआई की भी निकाल रहे हैं। एनएचएआई ने दुर्घटनास्थल पर एक साइड में तो बैरिकेडिंग कराई है, जिससे किनारे बसे गांवों के वाहन हाईवे पर नहीं चढ़ पाते हैं और आगे एक अंडरपास से होते हुए गुजरते हैं। लेकिन दूसरी साइड में बैरिकेडिंग नहीं है। अगर रायपुर ओवरब्रिज तक बैरिकेडिंग होती तो टेंपो हाईवे पर चढ़ ही नहीं पाता और हादसा न होता। आगे जो अंडरपास हाईवे पार करने के लिए बना है, उससे ही आवागमन होता।

गौरतलब है कि कानपुर के सचेंडी में हुए इस दर्दनाक हादसे में 19 लोगों ने अपनी जान गंवाई है। हादसे में जान गंवाने वालों में अकेले गांव लाल्हेपुर के 15 लोग थे। 4 लोग गांव इश्वरीगंज के थे। हादसे के बाद 2 लाख रूपये पीएम तो 2 लाख रूपये सीएम योगी ने दिए हैं।

Next Story