Karnataka Inspirational Story : किसी जमाने में थे इंग्लिश के लेक्चरर, अब बेंगलुरु में ऑटो चलाकर खुद और अपनी 'गर्लफ्रैंड' का करते हैं जीवनयापन
Karnataka Inspirational Story : किसी जमाने में थे इंग्लिश के लेक्चरर, अब बेंगलुरु में ऑटो चलाकर खुद और अपनी 'गर्लफ्रैंड' का करते हैं जीवनयापन
Karnataka Inspirational Story : इसे दुनिया में तमाम परेशानियों और आर्थिक दिक्कतों के बीच भी जज्बे के साथ जीने वाले लोग हार नहीं मानते हैं। खुश रहने का कोई फार्मूला नहीं नहीं होता है खुश रहना अपने आप में ही एक फार्मूला है। आज बात करते हैं 74 साल के एक ऐसे शख्स की जो कभी मुंबई (Mumbai) के एक संस्थान में अंग्रेजी के लेक्चरर (English Literature) हुआ करते थे, पर आज वो बेंगलुरु की सड़कों पर ऑटोरिक्शा चलाकर अपनी गर्लफ्रैंड (अपनी पत्नी को वो प्यार से गर्लफ्रेंड कहकर पुकारते हैं) के साथ खुशी-खुशी अपना गुजर-बसर करते हैं। सबसे बड़ी बात यह है कि उन्हें अपनी इस दिनचर्या से कोई तकलीफ भी नहीं है।
सोशल मीडिया (Social Media) पर निकिता अय्यर (Nikita Aiyar) नाम की महिला ने इस बाबा से मुलाकात के बाद उनकी इस खूबसूरत कहानी को शेयर किया है। उनकी कहनी देर के युवाओं और हताश लोगों के लिए एक मिसाल के जैसी है। निकिता अय्यर ने लिखा है कि वो बेंगलुरु में काम करती हैं। एक दिन वो उबर पर अपना ऑटो कैब बुक करके उसका इंतजार कर रही थी। उन्हें ऑफिस के लिए देर हो रही थी। तभी उनके पास एक बुर्जुग आॅटोवाले पहुंचते हैं। महिला उन्हें बताती हैं कि उन्हें शहर के दूसरी ओर जाना है, तभी वो बुजुर्ग बोलते हैं Please come in Ma'am, you can pay what you want (प्लीज आइए मैम, आप अपनी इच्छानुसार भुगतान कर देना)।
निकिता ने 74 साल के इस बुजुर्ग शख्स की कहानी को अपने लिंकडिन प्रोफाइल (LinkedIn Profile) पर शेयर किया है। इस बुजुर्ग ऑटो ड्राइवर का नाम पताबी रमन है। आज वो भले ही ऑटो चलाते हैं लेकिन कभी वो मुंबई में इंग्लिश के लेक्चरर हुआ करते थे। वो मुंबई के पवई में एक निजी संस्थान में पढ़ाते थे। निजी संस्थान होने के कारण उनकी सैलरी कम थी। पर वहां भी वे अपना गुजर-बसर कर ले रहे थे। निजी संस्थान होने के कारण उन्हें नौकरी छोड़ने के बाद कोई पेंशन या राशि नहीं मिली। तब उन्होंने बेंगलुरु लौटने का फैसला किया और यहां आॅटो चलाने लगे।
बुजुर्ग आॅटो चालक ने बताया कि उन्होंने एमए और एमएड की डिग्री ली हुई है। कर्नाटक में काम नहीं मिलने के कारण वो मुंबई चले गए थे। वहां उनको नौकरी मिल गयी। वहां उन्होंने कई सालों तक नौकरी की पर जब नौकरी छूटी तो वापस बेंगलुरु आ गए और आॅटो चलाना शुरू कर दिया। अब पिछले 14 सालों से वो यही काम कर रहे हैं।
रमन ने महिला को बताया कि शिक्षकों को ज्यादा पैसा नहीं मिलता। निजी संस्थानों में तो उन्हें सिर्फ दस से 15 हजार रुपए ही मिल पाते हैं। रिटायरमेंट के बाद और कोई फायदा भी नहीं मिलता है। अभी ऑटोरिक्शा चलाते हुए वे रोजाना पांच से सात सौ रुपए कमा लेते हैं। वे बताते हैं कि वे अपनी पत्नी को गर्लफ्रेंड बुलाते हैं क्योंकि इससे समानता का बोध होता है। वाइफ कहने पर एक गुलाम जैसी फीलिंग आती है। उनकी पत्नी 72 साल की हैं और उनका ध्यान रखती हैं। रमन बताते हैं कि वे एक कमरे के अपार्टमेंट में पत्नी के साथ रहते हैं जिसका किराया 12 हजार हजार। इसे चुकाने में उनका बेटा उनकी मदद करता है पर वे साथ नहीं रहते हैं।