अभी एक साल और नहीं होंगे जम्मू-कश्मीर में विधानसभा चुनाव, अगले साल नवंबर में होने के आसार
प्रतीकात्मक तस्वीर
नई दिल्ली। जम्मू-कश्मीर में विधानसभा चुनावों (legislative assembly elections) के लिए अभी एक साल और इंतजार करना पड़ सकता है। अगले साल नवंबर में जम्मू-कश्मीर में विधानसभा चुनाव हो सकते हैं। फिलहाल चुनाव केंद्र शासित प्रदेश के मातहत (Under governance of Centre) विधानसभा के लिए कराई जा सकती है।
जम्मू-कश्मीर में पूर्ण राज्य का दर्जा (Status of state) देने का फैसला उसके बाद स्थिति के आकलन के बाद लिया जाएगा। कहा जा रहा है कि विधानसभा चुनाव के पहले सरकार की प्राथमिकता राज्य में जिला परिषदों (District Councils) के चुनाव की है, जो कोरोना के कारण नहीं हो पाए हैं।
मीडिया रिपोर्ट्स में कहा गया है कि मामले से जुड़े उच्च पदस्थ सूत्रों के अनुसार सरकार ने नवंबर 2021 में राज्य विधानसभा चुनाव कराने का लक्ष्य रखा है। इसके पहले मार्च तक राज्य में सीटों के परिसीमन का काम पूरा हो जाएगा और उसके बाद सीटों के आधार पर मतदाता सूची(Electoral role) तैयार करने का काम शुरू होगा।
माना जा रहा है कि यह सारी प्रक्रिया अक्टूबर के पहले पूरी कर ली जाएगी, ताकि नवंबर के बाद शुरू होने वाली सर्दियों के पहले विधानसभा चुनाव संपन्न कराया जा सके।
ध्यान देने की बात है कि जम्मू-कश्मीर में अनुच्छेद 370 और 35ए निरस्त करने के संसद से पारित कानून में ही साफ कर दिया गया था कि सीटों के परिसीमन के बाद ही राज्य में विधानसभा के चुनाव होंगे। परिसीमन के लिए आयोग का गठन किया जा चुका है और अगले साल मार्च तक इसकी रिपोर्ट आने की उम्मीद है।
वहीं विधानसभा चुनाव के पहले सरकार राज्य में जिला परिषदों का चुनाव कराने की कोशिश में जुटी है। सूत्रों के अनुसार उपराज्यपाल मनोज सिन्हा इसी साल अक्टूबर-नंवबर में जिला परिषदों और उसके साथ सरपंचों के खाली सीटों का चुनाव कराने का फैसला कर सकते हैं।
दरअसल राज्य में पंचों और सरपंचों के 13 हजार से अधिक सीटें खाली हैं और इस साल मार्च में इसके लिए चुनाव कराने की तैयारी थी। लेकिन कोरोना के कारण इसे रद्द करना पड़ा।
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, विधानसभा चुनाव के पहले जिला परिषद चुनाव कराने को इतनी ज्यादा अहमियत देने के बारे में पूछे जाने पर एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि देश में जम्मू-कश्मीर एक मात्र ऐसा राज्य है, जहां आज तक जिला परिषद के चुनाव हुए ही नहीं हैं। उनके अनुसार जम्मू-कश्मीर में राजनीतिक विकल्प देने में जिला परिषदों के अध्यक्ष अहम भूमिका निभा सकते हैं।
उनके अनुसार पंच और सरपंच स्थानीय स्तर पर लोकतंत्र को मजबूत करने और आम लोगों तक विकास योजनाओं को पहुंचाने में तो अहम भूमिका सकते हैं, लेकिन उनसे राज्य स्तर पर राजनीतिक विकल्प देने की उम्मीद नहीं दी सकती है।
विधानसभा चुनाव के पहले सरकार की प्राथमिकता राज्य में जिला परिषदों के चुनाव की है। एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि एक बार राज्य के 20 जिला परिषद के चुनाव होने और जिला स्तर पर विकास योजनाओं में जनप्रतिनिधियों की भागीदारी सुनिश्चित होने के बाद राजनीतिक गतिविधियों को गति मिलेगी, जिसका असर अगले साल विधानसभा चुनाव में देखने को मिल सकते हैं।