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राष्ट्रीय

राष्ट्रपति के पास याचिका दायर, दिल्ली के एक वकील ने की कश्मीरी पंडितों के नरसंहार की SIT जांच की मांग

Janjwar Desk
19 March 2022 8:05 AM GMT
कश्मीरी पंडितों के नरसंहार
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अधिवक्ता विनीत जिंदल ने राष्ट्रपति से इस मामले की एसआईटी से जांच कराने की मांग की। 

दिल्ली के अधिवक्ता विनीत जिंदल ने राष्ट्रपति से इस मामले की विशेष जांच दलसे जांच कराने की मांग की है।

नई दिल्ली। दिल्ली के एक अधिवक्ता ने 1990 दशक में कश्मीरी पंडितों के नरसंहार ( Kashmiri Pandits massacre ) के मामले को लेकर राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ( President Ramnath kovind ) के पास एक याचिका दायर ( Petition ) की है। अधिवक्ता विनीत जिंदल ( Advocate Vineet jindal ) ने राष्ट्रपति से इस मामले की विशेष जांच दल ( SIT ) से जांच कराने की मांग की है। सुप्रीम कोर्ट के वकील विनीत जिंदल ने अपने पत्र में कहा कि सुनियोजित आतंकी हत्याओं में हजारों लोगों ने अपनी जान गंवाई थी।

सुप्रीम कोर्ट में अधिवक्ता विनीत जिंदल ने अपने पत्र में लिखा है कि इस हत्याकांड के बाद केंद्र और राज्य सरकारों ने लगातार सरकारों ने कश्मीरी पंडितों को न्याय का भरोसा दिया। लेकिन इस मामले में आगे कुछ नहीं हुआ। इस नरसंहार को लेकर 215 प्राथमिकी दर्ज की गई थीं। इन मामलों की जांच जम्मू-कश्मीर पुलिस ने की थी लेकिन कोई फायदा नहीं हुआ। कश्मीर पुलिस की जांच से आतंकवादियों को दंडित करने के लिए कोई उपाय करने में पूरीर तरह से विफल रही।

कश्मीर पुलिस (Kashmir Police ) का यह रवैया एक संदेह पैदा करता है। इन प्राथमिकी के लिए किस तरह की जांच की गई थी। केंद्र सरकार अभी तक पीड़ितों के परिवारों को न्याय सुनिश्चित दिलाने और यासीन मलिक जैसे आतंकवादियों को दंडित करने के लिए कोई उपाय करने में विफल रही, जो नरसंहार के सक्रिय भागीदारों में उनमें से एक था। मलिक जैसे कई अन्य लोग भी हैं जो इस हत्याकांड में सक्रिय रूप से शामिल थे।

The kashmir Files : अधिवक्ता ने घटना की भयावहता का जिक्र करते हुए कहा है कि यह एक भयानक घटना थी जब कश्मीरी पंडितों को ऐतिहासिक, सामूहिक बलात्कार, ग्रेनेड विस्फोट, मुठभेड़, गिरफ्तारी, अपनों के गायब होने की घटनाओं को मास स्तर पर देखने को मिला। इस हत्याकांड ने कश्मीरी पंडितों को हमेशा के लिए सदमे में धकेल दिया। इस मामले में न्याय देने में 30 साल की देरी पर को लेकर याची ने कहा है कि इस मामले की जांच और दोषियों को दंडित करने की जिम्मेदारी जम्मू-कश्मीर के पुलिस अधिकारियों के साथ-साथ प्रशासन की है।

बता दें कि द कश्मीर फाइल्स फिल्म रिलीज होने के बाद दशकों पहले घटित कश्मीरी हत्याकांड को लेकर एक बार फिर से विवाद चरम पर है। विरोधी दलों के नेता कश्मीर फाइल्स को झूठ का पुलिंदा बता रहे हैं तो कई संगठनों ने इस मामले में नये सिरे से जांच की मांग की है। साथ ही कश्मीरी पंडितों की घर वापसी के साथ न्याय दिलाने की भी मांग जोर पकड़ने लगी हैं।

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