Kaun Hai Santishree Dhulipudi : ट्विटर अकाउंट फ्रिज होने पर भी सुर्खियों में क्यों हैं JNU की वीसी शांतिश्री घुलिपड़ी?

ट्विटर अकाउट फ्रिज होने पर भी सुर्खियों में हैं जेएनयू की वीसी शांतिश्री घुलिपड़ी।
नई दिल्ली। जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय ( JNU ) की नवनियुक्त कुलपति शांतिश्री धुलिपुड़ी ( Shantishree Ghulipadi ) को लेक सोशल मीडिया पर जंग जारी है। खास बात यह है कि ट्विटर ने शांतिश्री अकाउंट को डिएक्टिव कर दिया है। इसके बावजूद वो सुर्खियों में हैं। अभी भी लोग एक ऐसे श्ख्त का वीसी नियुक्त करने का विरोध कर रहे है जो गोडसे का समर्थक व सीएए—एनआरसी विरोधी हैं। लोग सवाल यह उठा रहे हैं कि भला हिंदूवादी और पपेट बुद्धिजीवियों को वीसी जैसे संवैधानिक पदों पर कैसे बैठाया जा सकता है।
इस मुद्दे को लेकर मोहम्मद जुबैर नामक ट्विटर यूजर ने कई ट्विट एक साथ साझा किए हैं। ये वो ट्विट हैं जिसमें शांतिश्री ने गोडसे समर्थन, सीएए—एनआरसी का विरोध करने वाले ट्विट सहित कई अन्य ट्विट शामिल हैं। जुबैर ने शांतिश्री के नफरत फैलाने वाले ट्विट को सभी से साझा करते हुए कहा है कि ये हैं जेएनयू के नवनियुक्त वीसी। उनके इस ट्विट को हजारों की संख्या में रिस्पांस मिले हैं। रिस्पांस मिलने का सिलसिला अभी भी जारी है।
जुबैर के इस ट्विट पर ट्विटर यूजर वीर सांघवी ने ट्विट कर पूछा है कि क्या यह व्यक्ति एक शिक्षाविदा हो सकता है या यह सिर्फ दो रुपये का ट्रोल है? या सरकार मानती है कि दोनों के बीच कोई अंतर नहीं है?
सर अबू खान ने रिटिृवट करते हुए लिखा है कि इन बेवकूफों को ऐसे संवैधानिक पद कैसे मिल जाते हैं। क्या चाटूकारिता इसका आधार है या ये भी नेताओं के पीछे भागने वाले विद्वान हैं।
वहीं एमएसएम सैफुल्लाह नामक ट्विटर यूजन का कहना है कि मुझे यकीन नहीं है कि भारत के विभिन्न शैक्षिक संस्थानों में निदेशकों और कुलपतियों की नियुक्तियों में नियमों को पालन होता है। ऐसा इसलिए कि ये तथाकथित बुद्धिजवी अपनी विद्वता के बजाय राजनीतिक चाटूकारिता के लिए ज्यादा जाने जाते हैं।
जेएनयू की नवनियुक्त वीसी शांतिश्री धुलिपुड़ी अपने पुराने ट्विट को लेकर चर्चा में ज्यादा है। शांतिश्री धुलिपुड़ी के पुराने ट्वीट्स को लेकर सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो रहे हैं। इसकी खास वजह ये है कि उन्होंने राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के हत्यारे का महिमामंडन किया है और मुसलमानों के खिलाफ जमकर जहर उगला है। सीएए और एनआरसी विरोधी प्रदर्शनकारियों के लिए अमर्यादित भाषा का इस्तेमाल किया है। फिलहाल, शांतिश्री धुलिपुड़ी मई 2019 में गोडसे पर किए अपने एक ट्वीट को लेकर चर्चा में हैं। जिसमें वे कहती हैं कि मैं गोडसे और गांधी दोनों के विचारों से सहमत हूं, दोनों ने गीता पढ़ी थी, लेकिन दोनों ने गीता से भिन्न सीख ली। गोडसे का मानना था एक्शन जरूरी है। इसलिए, उसे भारत को एक रखने के लिए गांधी की हत्या के रूप में समाधान मिला। वहीं ट्विटर यूजर इसके अलावा अन्य ट्विट को भी इससे जोड़कर उनकी विद्वता का मजाक उड़ा रहे हैं।
कौन हैं Santishree Dhulipudi?
रूस के सेंट पीटर्सबर्ग में जन्म लेने वालीं Santishree Dhulipudi जेएनयू की नवनियुक्त कुलपति हैं। भारत के कई विश्वविद्यालयों में प्रोफेसर के तौर पर पढ़ा चुकीं धुलीपुड़ी का कुलपति के तौर पर पांच साल का कार्यकाल होगा। वे इससे पहले सावित्री बाई फुले, गोवा विश्वविद्यालय में प्रोफेसर रह चुकी हैं। Santisree Dhulipudi Pandit जेएनयू की 15वीं कुलपति बनने जा रही हैं। शांतिश्री खुद यूनिवर्सिटी की पूर्व छात्रा रही हैं। जेएनयू के स्कूल ऑफ इंटरनेशनल स्टडीज से 1986 में एमफिल और 1990 में पीएचडी की डिग्री हासिल की थी। इससे पहले उन्होंने मद्रास स्थित प्रेजिडेंसी कॉलेज से राजनीति विज्ञान में पोस्ट ग्रेजुएशन किया था। प्रो पंडित की अंग्रेजी और हिंदी के अलावा तमिल, तेलुगु, मराठी, संस्कृत पर भी बहुत अच्छी पकड़ है।