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मध्य प्रदेश

मध्य प्रदेश में लव जिहाद के खिलाफ 'धार्मिक स्वतंत्रता विधेयक' को कैबिनेट की मंजूरी

Janjwar Desk
26 Dec 2020 1:44 PM GMT
मध्य प्रदेश में लव जिहाद के खिलाफ धार्मिक स्वतंत्रता विधेयक को कैबिनेट की मंजूरी
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राज्य के गृहमंत्री डॉ. नरोत्तम मिश्रा ने बताया है कि कोई भी व्यक्ति दूसरे का प्रलोभन,धमकी,बल,दुष्प्रभाव, विवाह के नाम पर अथवा अन्य कपटपूर्ण तरीके से धर्म परिवर्तन का प्रयास नहीं कर सकेगा, कोई भी व्यक्ति धर्म परिवर्तन किए जाने का दुष्प्रेरण अथवा षड़यंत्र नहीं कर सकेगा....

भोपाल। मध्य प्रदेश में लव जिहाद को रोकने के लिए मप्र धार्मिक स्वतंत्रता विधेयक-2020 को कैबिनेट की मंजूरी मिल गई है। इस विधेयक को आगामी विधानसभा के सत्र में पेश किया जाएगा। इस कानून के तहत जोर-जबरदस्ती से धर्म परिवर्तन कर शादी करने वालों को अधिकतम 10 साल की सजा और एक लाख रुपये के अर्थदंड का प्रावधान किया गया है।

आधिकारिक तौर पर मिली जानकारी के अनुसार, शनिवार को मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चैहान की अध्यक्षता में हुई कैबिनेट की बैठक में 'मप्र धार्मिक स्वतंत्रता विधेयक-2020' को ध्वनिमत से पारित कर दिया गया। इस कानून में धर्म परिवर्तन को रोकने के लिए सख्त प्रावधान किए गए है। इस कानून के मुताबिक किसी भी व्यक्ति द्वारा प्रलोभन देकर, धमकाकर, धर्म परितर्वन कराने को गैर कानूनी माना गया है।

राज्य के गृहमंत्री डा नरोत्तम मिश्रा ने बताया है कि कोई भी व्यक्ति दूसरे का प्रलोभन,धमकी,बल,दुष्प्रभाव, विवाह के नाम पर अथवा अन्य कपटपूर्ण तरीके से धर्म परिवर्तन का प्रयास नहीं कर सकेगा। कोई भी व्यक्ति धर्म परिवर्तन किए जाने का दुष्प्रेरण अथवा षड़यंत्र नहीं कर सकेगा।

इस अधिनियम में प्रावधान किया गया है कि तय प्रावधानों का उल्लंघन कर धर्म परिवर्तन करनो पर एक साल से पांच साल की सजा और 25 हजार रुपए का अर्थदंड दिया जाएगा। वहीं महिला, नाबालिग, अनुसूचित जाति व जनजाति के धर्म परिवर्तन किए जाने पर दो साल से 10 साल तक की सजा और 50 हजार रुपए का अर्थदंड हेागा। इसके साथ ही धर्म छिपाकर धर्म परिवर्तन कराने पर 50 हजार रुपये का अर्थदंड और तीन से 10 साल तक की सजा होगी।

कैबिनेट में पारित किए गए विधेयक में तय किया गया है कि दो या उससे अधिक लोगों का सामूहिक धर्म परितर्वन कराने पर पांच से 10 साल तक की सजा और एक लाख रुपये का अर्थदंडहोगा। वहीं धर्म परितर्वन केा लेकर दर्ज होने वाला अपराध संजेय और गैर जमानती होगा, इस मामले की सुनवाई सत्र न्यायालय में ही हो सकेगी।

विधेयक में तय किया गया है कि धर्म परिवर्तन के बाद दंपति का संतान पिता की संपत्ति का उत्तराधिकारी होगा और महिला व बच्चे को भरण पोषण का अधिकार हेागा। इसके साथ ही धर्म परितर्वन कराने वाली संस्था और संगठन से जुड़े लोगों के विरुद्ध कार्रवाई होगी और उसके खिलाफ व्यक्ति के समान ही कारावास और अर्थदंड का प्रावधान है।

इस विधेयक में लव जिहाद जैसे शब्द का उल्लेख नहीं है। फिर भी तय किया गया है कि स्वेच्छा से धर्म परिवर्तन करने वाले को 60 दिन पहले जिला दंडाधिकारी को सूचना आवश्यक तौर पर देना होगी। सूचना न देने पर तीन से पांच साल की सजा और 50 हजार रुपए का जुमार्ना हेागा।

बताया गया है कि कैबिनेट में पारित किए गए इस विधेयक को 28 दिसंबर से शुरू हो रहे विधानसभा के सत्र में पेश किया जाएगा। इस अधिनियम के अस्तित्व में आते ही मप्र धर्म स्वातंत्रय अधिनियम 1968 निरासित हो जाएगा।

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