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मध्य प्रदेश

Gwalior News : दो साल से बंद पड़ी सिम नए कस्टमर को हुई अलॉट, नेट बैंकिंग के जरिए रिटायर्ड टीचर के खाते से निकाले 6.21 लाख रुपए

Janjwar Desk
16 Nov 2021 11:58 AM GMT
Gwalior News : दो साल से बंद पड़ी सिम नए कस्टमर को हुई अलॉट, नेट बैंकिंग के जरिए रिटायर्ड टीचर के खाते से निकाले 6.21 लाख रुपए
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रिटायर्ड टीचर के साथ ठगी 

Gwalior News : जालसाज ने तोमर के खाते से ऑनलाइन बैंकिंग के जरिए अपने साथियों के अकाउंट्स में रुपए ट्रांसफर किए। ऑनलाइन ही एटीएम कार्ड बनवा लिया। इससे भी रुपए निकाले गए।

Gwalior News : मध्य प्रदेश के ग्वालियर के मुरैना से एक रिटायर्ड टीचर के साथ ठगी का मामला सामने आया है। मुरैना में स्थित इकहरा गांव के रहने वाले एक तहसीलदार सिंह तोमर के खाते से मोबाइल नंबर बंद होने के कारण छह लाख इक्कीस हजार रुपए ऑनलाइन बैंकिंग के जरिए निकाल लिया गया। तहसीलदार सिंह तोमर के रिटायरमेंट के बाद जिस बचत खाते में पेंशन की रकम आती थी। उस खाते से पैसे निकालकर अन्य चार व्यक्तियों के खाते में ट्रांसफर कर दिया गया।

यह है पूरा मामला

बता दें कि यह ठगी ऑनलाइन बैंकिंग के जरिए की गयी है। पीड़ित तहसीलदार सिंह तोमर श्योपुर के माध्यमिक विद्यालय में टीचर थे। इनकी उम्र 70 वर्ष बताई गई है। दरअसल तहसीलदार सिंह तोमर का दो साल पहले मोबाइल नंबर बंद हो गया था। जिसके बाद कंपनी इस नंबर की सिम किसी और को अलॉट कर दी। जिस व्यक्ति को यह सिम अलॉट की गयी थी उसके पास तोमर की बैंक डिटेल के मैसेज आते रहे। जालसाज ने तोमर के खाते से ऑनलाइन बैंकिंग के जरिए अपने साथियों के अकाउंट्स में रुपए ट्रांसफर किए। ऑनलाइन ही एटीएम कार्ड बनवा लिया। इससे भी रुपए निकाले गए। खाते से कुल 6 लाख 21 हजार रुपए निकाल लिए गए।

मोबाईल नंबर खाते से लिंक था

तहसीलदार सिंह तोमर का स्टेट बैंक की मुख्य शाखा मुरैना में सेविंग अकाउंट है। उनकी सैलरी इसी अकाउंट में आती थी और रिटायरमेंट के बाद पेंशन आने लगी। इस मोबाइल नंबर पर उनका यह अकाउंट लिंक था। तोमर ने इस मोबाइल नंबर को इस्तेमाल करना बंद कर दिया था। लंबे समय से नंबर का यूज नहीं होने पर कंपनी ने इसे दूसरे कस्टमर के नाम जारी कर दिया था। बता दें कि जो मोबाइल नंबर लंबे समय से यूज नहीं किया जाता है तो टेलिकॉम कंपनी ऐसे नंबर्स रेंडमली दूसरे कस्टमर्स को जारी कर देती हैं।

जिस नए कस्टमर के नाम तोमर की सिम जारी हुई थी उसने ऑनलाइन ही नेट बैंकिंग जारी करवा ली। बैंक इसके लिए ओटीपी (OTP) भेजता है। ओटीपी इसी नंबर पर आया और कस्टमर ने इसे कन्फर्म कर दिया। इसके बाद आरोपी ने चार लोगों के अकाउंट में रुपए ट्रांसफर किए। जालसाज ने ऑनलाइन एटीएम कार्ड भी बनवा लिया था। जिसके बाद व्यक्ति एटीएम कार्ड से भी दो बार में रुपऐ निकाल लिए। बताया गया कि इस बात की जानकारी बैंक को नहीं दी गई थी कि मोबाइल नंबर तोमर की जगह दूसरे कस्टमर को जारी हो चुका है। साथ ही यह बात रिटायर्ड टीचर को भी नहीं पता थी कि उनकी सिम बंद हो गई है।

एंट्री करवाने पहुंचे तो ठगी का पता चला

तहसीलदार सिंह तोमर ने पिछले एक साल से खाते से रुपए नहीं निकाले थे। उन्होंने बताया कि 12 नवंबर को वह पासबुक की एंट्री करवाने बैंक पहुंचे। तब उनके अकाउंट में सिर्फ 200 रुपए का बैलेंस था। इसके बाद ही उन्हें ठगी का पता लगा। इसकी शिकायत पर बैंक मैनेजर ने जांच करने का भरोसा दिया। पीड़ित ने साइबर सेल में भी शिकायत की है। साइबर सेल की जांच में पता चला कि 4 लोगों के खाते में पैसे गए हैं। उनके नाम तहरीन, शाहरुख खान, मौफिज और रुखसाना हैं। जांच में सामने आया कि पहले यह सिम गुना के किसी व्यक्ति के पास थी। वर्तमान में यह सिम फरीदाबाद के किसी व्यक्ति के पास है।

एफआईआर दर्ज करवाने का दबाव

इस मामले में अभी तक किसी भी पक्ष से एफआईआर दर्ज नहीं की गई है। बैंक मैनेजमेंट का कहना है कि केस तोमर को ही कराना चाहिए क्योंकि सिम बंद होने के कारण उनके खाते से पैसे निकले है और सिम बंद होने की जानकारी बैंक को नहीं दी गई थी। वहीं, तहसीलदार सिंह तोमर का कहना है कि रुपए हमने बैंक में जमा कराए थे इसीलिए बैंक ही FIR कराए। तोमर ने यह भी कहा कि पासबुक एंट्री में जिनके खाते में पैसा ट्रांसफर हुआ है, उसका जिक्र है लेकिन स्टेटमेंट कॉपी में इसका उल्लेख नहीं किया गया है।

तोमर ने बताया कि 'यह मेरी जीवनभर की कमाई थी। रिटायरमेंट के समय से मैंने वृद्धावस्था के लिए पैसे जमा किए थे। जब बैंक में ही रुपए सुरक्षित नहीं रहेंगे, तो फिर रखने से क्या फायदा। यह पैसा वह भागवत कथा करवाने के लिए रखे थे। जो कि मेरे जीवन की अंतिम इच्छा थी।'

बैंक द्वारा मामले की जांच जारी

तोमर के आरोपों के बाद इस मामले में बैंक मैनेजर अमित भगत ने कहा है कि मामले की जांच कराई जा रही है। उन्होंने कहा कि 'अगर तोमर ने किसी मोबाइल लिंक पर क्लिक किया होगा या ऑनलाइन ठगी हुई होगी तो इसमें बैंक कुछ नहीं कर सकता। अगर बैंक की गलती से पैसा निकला है तो बैंक वापस करेगी।'

साइबर सेल की जांच

इस पुरे मामले को लेकर मुरैना के साइबर सेल प्रभारी सचिन पटेल का कहना है कि 'हमने इस मामले की जानकारी लेकर जांच शुरु कर दी है। जल्द ही हम जांच पूरी कर लेंगे। जिन लोगों के खाते में पैसा गया है। उनकी जानकारी निकाली जाएगी। आमतौर पर ऐसे केस में जिन लोगों के खातों में पैसा ट्रांसफर किया जाता है। वे किराए पर खाते देने वाले होते हैं या फिर वे होते हैं। जिन्हें उस रैकेट के बारे में अधिक जानकारी नहीं होती है। यह लोग गरीब तबके के होते हैं। जिन्हें मोहरा बनाया जाता है।

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