Chhawla Rape Case: मौत की सजा पाए तीन को सुप्रीम कोर्ट ने किया बरी, निर्भया गैंगरेप से पहले इस कांड ने देश हिला दिया था
Chhawla Rape Case: मौत की सजा पाए तीन को सुप्रीम कोर्ट ने किया बरी, निर्भया से पहले इस कांड ने देश हिला दिया था
Chhawla Rape Case: छावला गैंगरेप केस 2012 को दिल्ली का दूसरा जघन्य कांड कहा गया था। गैंगरेप के बाद हत्या की इस वारदात में मौत की सजा पाए तीन लोगों को आज सुप्रीम कोर्ट ने बरी कर दिया। आज सोमवार 7 नवंबर 2022 को शीर्ष अदालत ने निचली अदालत के फैसले को पलट दिया। कथित रूप से तीनों आरोपियों ने फरवरी 2012 में एक 19 साल की महिला का अपहरण के बाद गैंगरेप कर बेरहमी से मार डाला था।
इस मामले में पुलिस ने बताया कि किडनैप होने के तीन दिन बाद महिला का क्षत-विक्षत शव बरामद किया गया था। साल 2014 में दिल्ली की एक अदालत ने मामले को 'दुर्लभ से दुर्लभतम' मानते हुए तीन लोगों, जिनमें- रवि, राहुल और विनोद को मौत की सजा सुनाई थी। वहीं, आज सोमवार सुप्रीम कोर्ट ने तीनों को बरी करने का आदेश दे दिया।
सुप्रीम कोर्ट से आए फैसले के बाद एक वीडियो वायरल हो रहा है। इस वीडियो में महिला की मां रोते हुए कह रही है, 11 साल के बाद यह फैसला है। हम हार गये। मैं फैसले का इंतजार कर रही थी, अब मुझे जीने की कोई वजह नहीं दिखती। मुझे लगा था कि मेरी बेटी को न्याय मिलेगा।
क्या है छावला गैंगरेप केस?
पूरे देश को हिलाकर रख देने वाली यह वारदात साल 2012 में निर्भया केस से लगभग 10 महीने पहले की है। 9-10 फरवरी 2012 का वक्त था। मूल रूप से उत्तराखंड की रहने वाली अमृता (बदला हुआ नाम) गुरूग्राम के साइबर सिटी में काम करती थी। उस रात काम के बाद वह कुतुब विहार अपने घर लौट रही थी। घर के पास कार सवार लोगों ने उसे अगवा कर लिया। बेटी घर नहीं लौटी तो मां-बाप ने गुमशुदगी की रिपोर्ट दर्ज कराई। तीन दिन बाद हरियाणा के रेवाड़ी में महिला की लाश मिली थी। लाश सड़ने लगी थी और बदन पर गहरी यातनाओं के निशान थे।
निर्भया जैसी हुई थी दरिंदगी
पुलिस को अमृता (Chhawla Rape Case) के शरीर पर चोट के कई निशान मिले थे। महिला की अटॉप्सी में पता लगा कि उसपर कार के पार्ट्स से हमला किया गया था। बदन में कांच की बोतले घुसाई गई थीं। धातु से बनी चीजों और अन्य वस्तुओं से उसे प्रताड़ित किया गया था। यहां तक की जांच में सामने आया था कि लड़की को सिगरेट से जलाया गया था। उसकी आंखों और चेहरे पर तेजाब उड़ेला गया था। उसके साथ सामूहिक बलात्कार किया गया था। उस समय पुलिस ने तीन लोगों..रवि (23), राहुल (27) और विनोद (23) को गिरफ्तार किया था। पुलिस का कहना था कि रवि ने महिला को प्रपोज किया था, जो ठुकराए जाने पर बदले की भावना से अपराध किया गया।
क्या था दिल्ली की निचली अदालत का फैसला?
दिल्ली की ट्रॉयल कोर्ट ने साल 2014 में केस को 'रेयर ऑफ रेयरेस्ट' मानते हुए तीनों आरोपियों को किडनैपिंग, रेप और हत्या का दोषी करार दिया था। फैसला देते हुए अदालत का कहना था कि आरोपी रहम के हकदार नहीं हैं। अदालत ने जिस वक्त फैसला सुनाया था, पीड़ित परिवार अदालत के अंदर ही मौजूद था, उन सभी ने फैसले का स्वागत करते हुए तालियां बजाई थीं। अदालत ने कहा था कि दोषियों के लिए उम्रकैद की सजा काफी नहीं। इसके अलावा तत्कालीन ऐडिशनल जज विरेंदर भट ने हर एक आरोपी पर 1.6 लाख का जुर्माना भी लगाया था।
लोअर कोर्ट ने DNA Report के आधार पर फैसला सुनाया था। अदालत ने दोषियों की दया याचिका खारिज करते हुए कहा था कि, ऐसा करने से बलात्कारियों को पकड़े जाने या पहचाने जाने से बचने के लिए पीड़िताओं को मार देने का बढ़ावा मिलेगा। यह केस सुप्रीम कोर्ट में गया। फिर यह केस, जस्टिस यूयू ललित, जस्टिस रवींद्र भट्ट और जस्टिस बेला त्रिवेदी की बेंच ने मामला सुना। 6 अप्रैल 2022 को फैसला सुरक्षित रखा गया। इस बीच जस्टिस यूयू ललित भारत के चीफ जस्टिस बन गये। आज उनके आखिरी दिन सुप्रीम कोर्ट ने Chhawla Rape Case मे फैसला सुनाते हुए तीनों को बरी कर दिया।