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राष्ट्रीय

मोदी सरकार की योजना : अगले 4 वर्षों में पीपीपी मॉडल के जरिये पूंजीपतियों को दिए जाएंगे 25 एयरपोर्ट

Janjwar Desk
28 Oct 2021 8:35 AM GMT
मोदी सरकार की योजना : अगले 4 वर्षों में पीपीपी मॉडल के जरिये पूंजीपतियों को दिए जाएंगे  25 एयरपोर्ट
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(13 एयरपोर्ट्स का निजीकरण करने की योजना बना रही मोदी सरकार) 

सरकार की योजना है कि अगले 4 में साल 25 एयरपोर्ट का निजीकरण होगा। सरकार की राष्ट्रीय मौद्रिकरण नीति के तहत अगले 4 साल में 25 एयरपोर्ट्स की नीलामी होगी।

Airports Privatization। केंद्र सरकार इस वित्तीय वर्ष के अंत तक एयरपोर्ट अथॉरिटी ऑफ इंडिया (Airport Authority Of India के द्वारा संचालित 13 एयरपोर्ट्स का निजीकरण करने की योजना बना रही है। एयरपोर्ट अथॉरिटी ऑफ इंडिया के चेयरमैन संजीव कुमार का कहना है कि हमने उन 13 एयरपोर्ट्स की लिस्ट एविएशन मिनिस्ट्री में भेज दी है जिसकी नीलामी पब्लिक प्राइवेट पाटनर्शिप के तहत होनी है। इन्हें प्रति पैसेंजर रिवेन्यू मॉडल का पालन करके बेचा जा सकता है। मतलब जिस एयरपोर्ट को यात्रियों से जितनी आमदनी होगी उसी हिसाब से नीलमी में उस एयरपोर्ट का रेट रखा जाएगा।

इस तरह एयरपोर्ट के निजीकरण (Privatization) के बाद यात्रियों की जेब पर सबसे ज्यादा मार पड़ेगी। इस मॉडल का पहले भी प्रयोग किया जा चुका है। ग्रेटर नोएडा (Greater Noida) में बन रहे देश के सबसे बड़े जेवर एयरपोर्ट की भी नीलामी इस मॉडल के तहत होगी। जेवर एयरपोर्ट (Jewar Airport) उत्तरप्रदेश और केंद्र सरकार दोनों की महत्वपूर्ण योजनाओं में से एक है। देश का ये पहला ऐसा एयरपोर्ट है जिसे बनने से पहले ही सरकार ने इसकी बेचने की योजना बना ली है। एयरपोर्ट अथॉरिटी इंडिया के एयरपोर्ट को पूँजीपतियों को 50 साल के लिए लीज़ पर दिया जाएगा।

छोटे एयरपोर्ट क्लबिंग में बेचा जाएगा

एयरपोर्ट अथॉरिटी का निर्णय है कि इन छोटे एयरपोर्ट को क्लबिंग में बेचा जाएगा। यानी छोटे एयरपोर्ट की नीलामी जोड़ों में होगी। जैसे 1. बनारसी, कुशीनगर, गया 2. अमृतसर और काँगड़ा 3 भुनेशवर और त्तिरुपति 4. रायपुर और औरंगबाद 5 इंदौर और जबलपुर 6 त्रिची और हुबली। सरकार निजीकरण के चार्टर्ड प्लेन पर सवार है सब कुछ जल्दी से जल्दी बेचना चाहती है। सरकार की योजना है कि अगले 4 में साल 25 एयरपोर्ट का निजीकरण होगा। सरकार की राष्ट्रीय मौद्रिकरण नीति के तहत अगले 4 साल में 25 एयरपोर्ट्स की नीलामी होगी। इसी नीति के तहत छः एयरपोर्ट्स को 2019 में अडानी ग्रुप को सौंपा गया। सरकार उन एयरपोर्ट का भी निजीकरण कर रही है जिससे एयरपोर्ट अथॉरिटी ऑफ इंडिया को फायदा होता था।

एयरपोर्ट अथॉरिटी ऑफ इंडिया पर कोविड की मार

एयरपोर्ट अथॉरिटी इंडिया को कोविड में काफी बुरी मार पड़ी है। 2021 के वित्तीय वर्ष में एयरपोर्ट अथॉरिटी इंडिया को 1962 करोड़ का भारी नुकसान हुआ है। अथॉरिटी ने दैनिक खर्चे सैलरी भत्ता देने के लिए स्टेट बैंक ऑफ इंडिया से 1500 का कर्ज लिया है। हालांकि स्थिति ठीक होने के बाद इन दैनिक खर्चों के लिए पैसे लेने की जरूरत नहीं पड़ेगी। पिछले साल एयरपोर्ट अथॉरिटी इंडिया को 2100 करोड़ का नुकसान हुआ था। इस साल 1000 करोड़ का कर्ज लिया है।

अडाणी एयरपोर्ट के नए खलीफा

एयरपोर्ट अथॉरिटी ऑफ इंडिया के 25 एयरपोर्ट्स में 7 एयरपोर्ट अडानी समूह के पास हैं, बाकी नीलामी की कतार में हैं। अहमदाबाद, लखनऊ, जयपुर, गुवाहटी, त्रिरुवनंतपुरम और मैंगलोर, मुंबई शिवाजी एयरपोर्ट के 70% संपत्ति अडाणी समूह के पास है। इनमें से 6 एयरपोर्ट अडाणी समूह के लिए गोल्डमाइंस की तरह हैं। इन 6 एयरपोर्ट्स पर 30 मिलियन यात्री सालाना यात्रा करते हैं। इनमें 23.6 मिलियन यात्री घरेलू यात्रा और 6.4 मिलियन यात्री इंटरनेशनल यात्रा के लिए इन एयरपोर्ट्स का प्रयोग करते हैं। अभी 25 एयरपोर्ट में से बहुत से एयरपोर्ट की नीलामी होनी बाकी है।

2 अक्टूबर को एयरपोर्ट अथॉरिटी ऑफ इंडिया एम्पलॉयीज यूनियन ने प्रधानमंत्री को पत्र लिखकर एयरपोर्ट से जुड़े सम्पति के मुद्दे को उठाया था। कर्मचारी संघ ने पत्र के जरिए बताया था कि जिस समय नागरिक उड्डयन मंत्रालय ने सरकार के सार्वजनिक निजी भागीदारी मूल्यांकन समिति (पीपीपीएसी) से अनुमति मांगी थी तो उस वक्त एयरपोर्ट की सम्पति 1300 करोड़ थी। उसे हवाईअड्डा प्राधिकरण ने नीलामी के जरिए अडाणी इंटरप्राइजेज को 500 करोड़ में मैंगलुरु, लखनऊ, अहमदाबाद 3 एयरपोर्ट बेच दिया। मेंगलुरु 74.5 करोड़, लखनऊ 147 करोड़, अहमदाबाद 277 करोड़ में एयरोनॉटिकल और नॉन एयरोनॉटिकल एसेट अडाणी समूह को सौप दिया। जबकि ये 1300 करोड़ की सावर्जनिक सम्पति थी। आखिर 700 करोड़ कम पर हवाईअड्डा प्राधिकरण क्यों नीलाम किया ? ऐसे ही मध्यप्रदेश में अडाणी समूह को सबसे कम दर पर पावर ट्रांसमिशन दे दिया गया है। किस आधार पर हर क्षेत्र में अडाणी समूह को कम पैसे में सरकारी सम्पति मिल रही है? इस सवाल का जवाब केंद्र सरकार देगी?

मोदी सरकार में उद्घाटन के साथ ही निजीकरण

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 20 अक्टूबर को कुशीनगर एयरपोर्ट का उद्घाटन किया था, हालांकि संभवत देश का पहला ऐसा एयरपोर्ट होगा जिसे उद्घाटन के साथ ही पीपीपी मॉडल के तहत उद्योगपतियों को सौंपने की तैयारी हो चुकी है। हवाईअड्डा प्राधिकरण ने जिन 7 छोटे एयरपोर्ट्स की नीलामी के लिए क्लबिंग की है उसमे से बनारस-कुशीनगर, गया भी है। कुशीनगर एयरपोर्ट की लागत 264 करोड़ रुपए है। पहले की सरकार बनाई हुई पुरानी सावर्जनिक संपत्तियां निजी समूह के हाथो सौपती थी, अब तो सरकार उद्घाटन करके निजी समूह को सौपने की तैयारी शुरू कर देती है।

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