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राष्ट्रीय

अंबानी की जेड प्लस सुरक्षा पर अदालत ने कहा - पैसे वाले अपनी सुरक्षा का खर्च खुद उठा सकते हैं, राज्य नागरिक का ध्यान रखें

Janjwar Desk
28 Oct 2020 7:50 AM GMT
Reliance AGM 2022 : रिलायंस की 45वीं एजीएम शुरू, 5जी रोल-आउट, उत्तराधिकारी समेत ये बड़ी घोषणाएं कर सकते हैं मुकेश अंबानी
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Reliance AGM 2022 : रिलायंस की 45वीं एजीएम शुरू, 5जी रोल-आउट, उत्तराधिकारी समेत ये बड़ी घोषणाएं कर सकते हैं मुकेश अंबानी

मुकेश अंबानी की सुरक्षा वापस लेने की मांग वाली याचिका को सुप्रीम कोर्ट ने हालांकि खारिज कर दिया लेकिन राज्य को कहा कि वह आम आदमी की सुरक्षा का ख्याल करे, अमीर अपना खर्च वहन कर सकते हैं...

जनज्वार। सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को एक उद्योगपति बंधुओं मुकेश अंबानी-अनिल अंबानी की जेड प्लस सुरक्षा वापस लेने की मांग वाली एक याचिका पर सुनवाई करते हुए कहा कि राज्य को पैसे वाले खुद की सुरक्षा का खर्च उठा सकते हैं और राज्य को आम नागरिकों की सुरक्षा का ख्याल रखना चाहिए। सुप्रीम कोर्ट ने हालांकि अंबानी बंधुओं की सुरक्षा वापस लेने की मांग की याचिका को खारिज कर दिया और इस संबंध में बांबे हाइकोर्ट की उस टिप्पणी का समर्थन भी किया जिसमें कहा गया है कि उच्च स्तरीय सुरक्षा उन्हें दी दी जानी चाहिए जिनकी जान को खतरा हो और जो सुरक्षा का खर्च चुकाने को तैयार हों।

अंबानी बंधुओं की तरफ से अदालत में पेश हुए वरिष्ठ वकील मुकुल रहतोगी ने कहा कि दोनों उद्योगपति भाइयों और उनके परिवार को खतरा है। उन्होंने कहा कि हम सरकार की ओर से मिली सुरक्षा का शुल्का अदा कर रहे हैं। इस पर अदालत ने सवाल किया कि क्या हर वो व्यक्ति जिसकी जान को खतरा महसूस हो रहा हो और सुरक्षा का खर्च उठाने को तैयार हो, उसे सरकार की आरे से सुरक्षा मुहैया करानी चाहिए?

शीर्ष अदालत ने कहा, हमारी राय है कि अगर निजी तौर पर व्यक्ति भुगतान करने में सक्षम है तो सरकार को उसे सुरक्षा मुहैया करा ही देनी चाहिए। अदालत ने कहा कि सरकार को किसी के खतरे और उसकी सुरक्षा व्यवस्था की समीक्षा करती रहनी चाहिए।

मालूम हो कि इससे इस मामले में बांबे हाइकोर्ट ने फैसला देते हुए कहा था, कानून का राज सुनिश्चित करना राज्य की जिम्मेवारी है। इसमें ऐसे नागरिकों को सुरक्षा प्रदान करना भी शामिल है जिनकी जान को खतरा हो। रिलायंस इंडस्ट्रीज लिमिटेड के राजस्व का भारत की जीडीपी पर बड़ा प्रभाव है। इन लोगों की जान के खतरे को हल्के में नहीं लिया जा सकता है।

मनमोहन सरकार ने दी थी सुरक्षा

मनमोहन सरकार के समय मुकेश अंबानी को जेड प्लस सुरक्षा मिली थी। 2013 में इस मामले ने तूल पकड़ा था। तबक सुप्रीम कोर्ट में यह मामला पहुंचा था और अदालत ने जवाब तलब किया था। सरकार से यह पूछा गया था कि आखिर अंबानी को जेड प्लस सुरक्षा क्यों प्रदान की गई?

तब सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि यदि उनकी सुरक्षा को खतरे का अंदेशा है तो उन्हें निजी सुरक्षा कर्मियों की सेवाएं लेनी चाहिए। पंजाब में निजी कारोबारियों को सुरक्षा प्रदान करने की परंपरा अब मुंबई तक पहुंच गई। अदालत ने कहा था कि हमें किसी व्यक्ति विशेष को सुरक्षा प्रदान करने से कोई सरोकार नहीं है लेकिन हम तो आम आदमी की सुरक्षा को लेकर चिंतित हैं। इस पर बाद में सरकार ने सफाई दी कि इसमेें जो भी खर्च आएगा वह अंबानी खुद वहन करेंगे।

उस वक्त सीआरपीएफ के डीजी रहे प्रणय सहाय ने कहा था कि इस मद में कुल 15 लाख खर्च आएंगे जिसका वहन खुद अंबानी करेंगे, क्योंकि गृह मंत्रालय के आदेश में इसका स्पष्ट उल्लेख है कि अंबानी को सुरक्षा भुगतान के आधार पर दी गई है।

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