Amar Jawan Jyoti: बुझ गई 50 साल से जल रही अमर जवान ज्योति, आखिर क्यों मोदी सरकार ने किया ऐसा
अमर जवान ज्योति का राष्ट्रीय समर स्मारक के साथ विलय
Amar Jawan Jyoti: नई दिल्ली में इंडिया गेट (India Gate) पर पिछले 50 साल से जल रही अमर जवान ज्योति (Amar Jawan Jyoti) का शुक्रवार को यहां राष्ट्रीय समर स्मारक (National War Memorial) के साथ विलय कर दिया गया। एक संक्षिप्त समारोह में अमर जवान ज्योति का एक हिस्सा लिया गया और उसे इंडिया गेट से 400 मीटर दूर स्थित एनडब्ल्यूएम में जल रही लौ के साथ मिला दिया गया। हालांकि, केंद्र सरकार द्वारा ऐसा करने पर तरह-तरह की चर्चाएं चल रही हैं। मोदी सरकार के इस कदम का कई लोगों ने विरोध भी किया है, जिसमें कांग्रेस नेता राहुल गांधी भी शामिल हैं। वहीं, सरकार ने इस मामले पर सफाई देते हुए कहा कि अमर जवान ज्योति (Amar Jawan Jyoti) की लौ बुझ नहीं रही है। इसे राष्ट्रीय युद्ध स्मारक की ज्वाला में विलीन किया जा रहा है।
50 साल से जल रही अमर जवान ज्योति
बता दें कि अमर जवान ज्योति का निर्माण 1971 के भारत-पाकिस्तान युद्ध (India-Pakistan War 1971) में जान गंवाने वाले भारतीय सैनिकों के लिए एक स्मारक के रूप में किया गया था। तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी (Indira Gandhi) ने 26 जनवरी, 1972 को इसका उद्घाटन किया था। अमर जवान ज्योति (Amar Jawan Jyoti) दिल्ली में इंडिया गेट पर बनी है जिसमें मार्बल की एक सतह पर राइफल बंदूक खड़ी है और उस पर सैनिक का एक हेलमेट भी टंगा है। 1971 में भारत-पाक युद्ध में भारत की विजय हुई थी और बांग्लादेश का गठन हुआ था। तब से लेकर अब तक यह ज्योति पिछले पांच दशकों से लगातार जल रही है। हर साल राष्ट्रीय उत्सवों पर शहीदों को नमन करने कृतज्ञ देशवासी जमा होते हैं। साल 2006 तक इसे एलपीजी सिलेंडर से जलाकर रखा जाता था। तभी प्राकृतिक गैस की सप्लाई के लिए एक पाइपलाइन डाली गई।
नेशनल वॉर मेमोरियल में हुआ विलय
मगर अब इसे राष्ट्रीय समर स्मारक (National War Memorial) पर जलने वाली ज्योति में मिला दिया गया है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) ने 25 फरवरी, 2019 को राष्ट्रीय समर स्मारक का उद्घाटन किया था, जहां ग्रेनाइट के पत्थरों पर 25,942 सैनिकों के नाम सुनहरे अक्षरों में अंकित हैं। दिल्ली स्थित नेशनल वार मेमेरियल (National War Memorial), इंडिया गेट के पास ही 40 एकड़ में बनाया गया है। यहां स्वतंत्र भारत के इतिहास में अलग-अलग युद्धों और घटनाओं में शहीद हुए 26000 हजार सैनिकों के नाम अंकित हैं। सरकार का तर्क है कि क्योंकि अबतक शहीदों को श्रद्धांजलि देने के लिए कोई जगह नहीं थी, इसलिए अमर जवान ज्योति को इंडिया गेट पर रखा गया था। अब जब नेशनल वार मेमोरियल बन चुका है तो इसे वहां ले जाने में कोई परेशानी नहीं है।
सरकार ने दिया फैसले का तर्क
केंद्र सरकार का कहना है कि यह काफी अजीब था कि अमर जवान ज्योति (Amar Jawan Jyoti) की लौ ने 1971 और अन्य युद्धों के शहीदों को श्रद्धांजलि है, लेकिन उनका कोई नाम वहां मौजूद नहीं है। सरकार ने यह भी कहा कि इंडिया गेट पर केवल कुछ शहीदों के नाम अंकित हैं, जिन्होंने प्रथम विश्व युद्ध और एंग्लो-अफगान युद्ध में अंग्रेजों के लिए लड़ाई लड़ी थी और इस प्रकार यह हमारे औपनिवेशिक अतीत का प्रतीक है। अपना इरादा स्पष्ट करते हुए सरकार ने कहा, ''1971 और उसके पहले और बाद के युद्धों सहित सभी युद्धों के सभी भारतीय शहीदों के नाम राष्ट्रीय युद्ध स्मारक पर अंकित हैं। इसलिए वहां शहीदों को श्रद्धांजलि अर्पित करना एक सच्ची श्रद्धांजलि है।'' सरकार ने कहा कि, "यह विडम्बना यह है कि जिन लोगों ने 7 दशकों तक राष्ट्रीय युद्ध स्मारक नहीं बनाया, वे अब हमारे शहीदों को स्थायी और उचित श्रद्धांजलि देने पर हंगामा कर रहे हैं।"
इससे पहले सेना के अधिकारियों ने गुरुवार 20 जनवरी को बताया था कि अमर जवान ज्योति का शुक्रवार 21 जनवरी दोपहर को राष्ट्रीय युद्ध स्मारक पर जल रही ज्योति में विलय किया जाएगा, जो कि इंडिया गेट के दूसरी तरफ केवल 400 मीटर की दूरी पर स्थित है।
लोगों ने सरकार को घेरा
वहीं, अमर जवान ज्योति का नेशनल वॉर मेमोरियल से विलय को लेकर सरकार को कड़ी आलोचना का भी सामना करना पड़ा। राहुल गांधी ने अमर जवान ज्योति को बुझाने के फैसले की निंदा करते हुए कहा कि, 'बहुत दुख की बात है कि हमारे वीर जवानों के लिए जो अमर ज्योति जलती थी, उसे आज बुझा दिया जाएगा। कुछ लोग देशप्रेम व बलिदान नहीं समझ सकते हैं। कोई बात नहीं, हम अपने सैनिकों के लिए अमर जवान ज्योति एक बार फिर जलाएंगे'
पूर्व आईएएस सूर्य प्रताप सिंह ने ट्विटर के जरिए मोदी सरकार पर तंज कसते हुए लिखा — "ज्योति से ज्योति जलाई जाती है, बुझाने वाला यह पहला मामला आया है।" एक अन्य ट्विटर यूजर ने लिखा कि 'महंगाई का आलम देखिए, सरकार को अमर जवान ज्योति बुझानी पड़ गई। नेताओं के पास खुद के लिए 10—10 गाड़ियों का ईंधन है, लेकिन शहीदों के लिए दो ज्योति जलाने का ईंधन नहीं। हाय महंगाई।"