NHAI News : मंत्री जी भारत में अमेरिका जैसी सड़कें तो बनाएंगे, पर सड़कों पर टोल की वसूली कैसे होगी? जानिए टोल के बारे में सब कुछ?
NHAI News : एनएचएआई की वेबसाइट के अनुसार फिलहाल देश में 700 से ज्यादा टोल प्लाजा हैं
NHAI News : केंद्रीय सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी (Nitin Gadkari) ने देश में 2024 अमेरिका (America) जैसी सड़कें बनाने का दावा किया है। तकरीबन दो साल पूर्व उन्होंने भारत को टोल प्लाजा (Toll Plaza) मुक्त करने का वादा भी किया था। केन्द्रीय मंत्री ने बताया था कि उनका सपना है कि जीपीएस (GPS) आधारित टोल कलेक्शन हो और गाड़ियों के मूवमेंट के हिसाब से बैंक अकाउंट से सीधे टोल टैक्स की वसूली कर ली जाए। साल 2019 में सरकार ने फास्टेग (Fastag) को अनिवार्य कर दिया था। इससे टोल प्लाजा पर गाड़ियों के रुकने का समय तो घटा मगर गडकरी का जीपीएस आधारित टोल कलेक्शन का सपना पूरा फिर भी नहीं हो पाया था। गाड़ियों को कुछ सेकेंड्स के लिए ही सही टोल प्लाजा पर अब भी रुकनी पड़ती हैं। इस हालात से निपटने के लिए मंत्रालय की ओर से जीपीएस आधारित टोल सिस्टम लाने का प्लान बनाया गया।
आइए जानते हैं कि सरकार के 2024 तक अमेरिका जैसी सड़कें देश में बनाने की प्रक्रिया के दौरान देश में टोल की वसूली किस तरह से करने की कवायद चल रही है। एनएचएआई की वेबसाइट के अनुसार फिलहाल देश में 700 से ज्यादा टोल प्लाजा हैं। अब अनुमान ये है कि अगले तीन महीनों के भीतर इनकी संख्या कम हो जाएगी क्योंकि केन्द्रीय मंत्री गडकरी का कहना है कि60 किलोमीटर की दूरी के अंदर सिर्फ एक ही टोल नाका होगा। गडकरी बताया है कि टोल तो खत्म नहीं होगा मगर ज्यादातर वसूली जीपीएस के जरिए करने की व्यवस्था बनायी जाएगी।
We will come out with a new policy to replace toll plazas in the country with a GPS-based tracking toll system. It means that toll collection will happen via GPS. The money will be collected based on GPS imaging (on vehicles).: Union Minister Shri @nitin_gadkari ji pic.twitter.com/iHEfOqSlMc
— Office Of Nitin Gadkari (@OfficeOfNG) March 23, 2022
सबसे पहले यह जानते हैं कि टोल है क्या ?
टोल टैक्स या सिर्फ टोल वह चार्ज है जो वाहन चालकों को तय सड़कों, पुलों, सुरंगों से गुजरने पर भुगतान करना होता है। ऐसी सड़कों को टोल रोड की संज्ञा दी गयी है। यह एक तरह का इनडायरेक्ट टैक्स है। टोल उस टैक्स से इतर है जो आरटीओ वाहन मालिकों से वसूला करते हैं। टोल टैक्स की वसूलने करने के लिए सड़कों पर टोल बूथ या टोल प्लाजा बनाए जाते हैं। आदर्श स्थिति में दो टोल बूथ के बीच सामान्य तौर पर 60 किलोमीटर की दूरी होती है। भारत में फिलहाल चार पहिया या उससे बड़े वाहनों से ही टोल टैक्स की वसूली का प्रावधान है।
सरकार हमसे टोल टैक्स क्यों वसूलती है?
देश में हाईवे के निर्माण पर मोटी धनराशि खर्च होती है। नैशनल हाइवे और एक्सप्रेसवे के निर्माण में तो अरबों रुपये लग जाते हैं। इस खर्च की भरपाई टोल के जरिए की जाती है। इस पैसै का एक बड़ा हिस्सा रख—रखाव पर भी खर्च किया जाता है। एक बार सड़क बनने की लागत वसूल हो जाने पर टोल टैक्स को घटाकर 40 प्रतिशत कर दिया जाता है। इस राशि का इस्तेमाल उसके रख—रखाव किया जाता है।
भारत में टोल टैक्स से इन लोगों को छूट मिलती है
भारत के राष्ट्रपति
भारत के उपराष्ट्रपति
प्रधानमंत्री
राज्यों के राज्यपाल
भारत के प्रधान न्यायाधीश
लोकसभा स्पीकर
केंद्रीय मंत्री
राज्यों के मुख्यमंत्री
सुप्रीम कोर्ट के जज
केंद्र में राज्य मंत्री
केंद्रशासित प्रदेश के उपराज्यपाल
जनरल रैंक वाले चीफ ऑफ स्टाफ
राज्य की विधानपरिषद के चेयरमैन
राज्य की विधानसभा के स्पीकर
हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस
हाई कोर्ट के जज
सांसद
वाइस चीफ ऑफ आर्मी स्टाफ
राज्यों के मुख्य सचिव (राज्य के भीतर)
भारत सरकार के सचिव
राज्य सभा के सचिव
लोकसभा के सचिव
राजकीय दौरे पर आए विदेशी राजनयिक
विधायक, विधानपरिषद सदस्य (पहचान पत्र दिखाने पर)
परमवीर चक्र, अशोक चक्र, महावीर चक्र, कीर्ति चक्र, वीर चक्र और शौर्य चक्र से अलंकृत व्यक्ति (पहचान पत्र दिखाने पर)
इन वाहनों से भी नहीं वसूला जाता है टोल टैक्स?
रक्षा मंत्रालय
वर्दी में केंद्र एवं राज्य सुरक्षा बल, पैरामिलिट्री फोर्सेज और पुलिस भी शामिल
कार्यकारी मजिस्ट्रेट
दमकल विभाग
NHAI या कोई अन्य सरकारी संस्था।
एम्बुलेंस
शव वाहन
दिव्यांगों के लिए बनाए गए मेकेनिकल वाहन
अभी देश में टोल कलेक्शन की क्या प्रक्रिया है?
अधिकतर टोल कलेक्शन फास्टैग स्कैनिंग या काउंटर पर पैसे लेकर किया जाता है। फास्टैग में रेडियो फ्रीक्वेंसी आइडेंटिफिकेशन के जरिए टोल का भुगतान होता है। यह डिवाइस गाड़ी की विंडशील्ड पर लगी होती है और आप टोल प्लाजा पर कैश देने के लिए रुकने के बजाय जा सकते हैं। फास्टैग की वैलिडिटी 5 साल होती है। आप उसे आप जब जाहे रीचार्ज कर सकते हैं।
जीपीएस से टोल कैसे वसूली जाएगी
2019 के बाद देश या विदेश में बनी सभी गाड़ियों में इन-बिल्ड वीइकल ट्रैकिंग सिस्टम लगा होता है। इनसे टोल वसूली के लिए गाड़ी के जीपीएस कोऑर्डिनेट्स को ट्रैक कर इसी आधार पर टोल वसूला जाएगा। परिवहन मंत्री गडकरी का कहना है कि जीपीएस से यह पता चल सकेगा कि किसी वाहन लेकर हाईवे पर किस जगह से एंट्री लिया है और किस जगह से बाहर निकले हैं। उसी आधार पर पैसा आपके बैंक खाते से टोल की राशि काट ली जाएगी। इस सिस्टम के तहत वाहनों को टोल प्लाजा पर रुकना नहीं पड़ेगा। यह व्यवस्था लागू होने पर भी टोल प्लाजा खत्म नहीं होंगे। फास्टैग जैसा फॉर्म्युला यहां चलता ही रेगा। अभी टोल बूथ के 5 किलोमीटर के दायरे में रहने वालों को आमतौर पर टोल नहीं देना होता है। 20 किलोमीटर की दूरी वाले भी एचएचएआई को आवेदन देकर इससे राहत पा सकते हैं। अब जीपीएस सिस्टम में इसे कैसे लागू किया जाएगा। यह देखने वाली बात होगी।
कुछ पुराने हाईवे पर भी टोल क्यों वसूला जाता है?
राष्ट्रीय राजमार्ग एक्ट 1956 के अनुसार सड़क के निर्माण की लागत राशि वसूल हो जाने के बाद सिर्फ 40 प्रतिशत टोल टैक्स ही वसूला जा सकता है। 2001 में बने देश के पहले 8 लेन वाले एक्सप्रेसवे, दिल्ली नोएडा डायरेक्ट (DND) फ्लाईवे से 2016 तक तक टोल टैक्स की वसूली की गयी। 26 अक्टूबर 2016 को इलाहाबाद हाई कोर्ट के फैसले के बाद इसे बंद किया गया। बाद में सुप्रीम कोर्ट ने भी यही व्यवस्था बरकरार रखी। अदालत का कहना था कि नोएडा टोल ब्रिज कंपनी लिमिटेड अपनी लागत राशि वसूल कर चुकी है ऐसे में वह टोल वसूलना जारी नहीं रख सकती।