निर्मला सीतारमण के दूसरे बजट का भाषण वायरल, सुनते-सुनते सोने लगे थे सांसद
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने संसद में पेश किया बजट किया।
नई दिल्ली। केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण आज चौथी बार बजट पेश करने के बाद ऐसा करने वाली देश की पहली महिला बन जाएंगी, लेकिन वह सबसे ज्यादा सुर्खियों में तब आईं थी जब वो दूसरा बजट पेश करते हुए सोने लगी थीं। इसके अलावा कुछ पल ऐसे भी हैं जब उन्होंने हंगामों के बीच कविताओं और शायरी के जरिए अपनी बात कही और विरोधियों को उनके सवालों का जवाब देती नजर आईं, तो कभी माफी मांगी या आक्रामक भी नजर आईं।
सदन के पटल पर बजट 2021 में भाषण देते हुए वह माथे पर हाथ रखे नजर भी आ चुकी हैं। ये बात अलग है कि उस समय पीएम मोदी मेज थपथपाते नजर आए। दरअसल, कोरोना महामारी के बीच 2021 का आम बजट उनके लिए आसान नहीं रहा था। कोरोना महामारी का दबाव और कृषि कानूनों के विरोध ने सदन में उनके लिए मुश्किलें खड़ी कर दी थींं वह जैसी ही भाषण के लिए उठीं विपक्ष ने हंगामा और नारेबाजी शुरू कर दी। विपक्षी सांसद लगभग 20 मिनट तक नारे लगाते नजर आये थे।
इस बीच उन्होंने स्पीच जारी रखी और 1 घंटे 51 मिनट और 30 सेकेंड तक बजट की एक-एक जानकारी पेश करती रहीं। साथ ही बजट भाषण को बोझिल होने से बचाने के लिए वित्त मंत्री ने रवींद्रनाथ टैगोर की पंक्तियों से नई उम्मीदें देने की कोशिश की। उन्होंने कहा - 'उम्मीद एक ऐसा पक्षी है जो प्रकाश को महसूस करता है और अंधेरे में भी चहचहाता है।' टैगोर की इस लाइन पर सदन के सदस्यों ने टेबल थपथपाई।
बजट 2020 का निर्मला सीमारमण का दूसरा बजट भाषण सबसे लंबा रहा था। उन्होंने 2 घंटे 41 मिनट लंबा भाषण दिया। इससे पहले जसवंत सिंह ने 2003 में 2 घंटे 13 मिनट तक बजट भाषण दिया था। वित्त मंत्री ने पंडित दीनानाथ कौल की कश्मीरी कविता 'वतन' पढ़ी थी। ढाई घंटे लगातार बजट भाषण पढ़ने के बाद एक पल ऐसा भी आया जब अचानक वित्त मंत्री की तबीयत बिगड़ गई। वे असहज महसूस करने लगीं और सदन में कुछ वक्त के लिए सन्नाटा छा गया। हरसिमरत कौर बादल तो अपनी जगह से उठकर उनके पास मदद करने पहुंच गईं। राजनाथ सिंह उन्हें बजट पढ़ने से मना करने लगे, लेकिन वे नहीं मानीं और अपनी बात रखी। इसके बावजूद वो बजट के दो पन्ने नहीं पढ़ पाईं। इसका वीडियो भी वायरल हुआ था और उसे सुनकर सांसदों को भी झपकिंया आने लगी थीं।
वहीं वित्त मंत्री के रूप में उनका पहला बजट दस्तावेज ब्रीफकेस में लाने की परंपरा को तोड़ने वाला रहा। जैसे ही वित्त मंत्रालय से लाल कपड़े में बही खाता बजट लेकर निकलीं, टीवी पर उनके इस फैसले की चर्चा होने लगी। सोशल मीडिया पर फोटो और वीडियो शेयर किए जाने लगे। ऐसा इसलिए कि इससे पहले ब्रीफकेस में बजट लाने की परंपरा थी, जो ब्रिटेन में शुरू हुई जिसे अंग्रेज भारत लेकर आये थे। आजादी के बाद पहले वित्त मंत्री आरके शनमुखम चेट्टी ने 26 जनवरी 1947 को लेदर बैग में बजट पेश किया था।
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण का पहला बजट भाषण काफी प्रभावी रहा था। उन्होंने आचार्य चाणक्य का सूत्र - कार्य पुरुषा करे, ना लक्ष्यम संपा दयाते' के जरिए अपनी सरकार के काम और नीतियों को पूरा करने की बात जोरदार तरीके से रखी। उन्होंने उर्दू शेर पढ़े और तमिल कविता का इस्तेमाल भी किया।हालांकि, शेर के लफ्जों का सही उच्चारण न कर पाने के लिए उन्होंने संसद से माफी भी मांगी। हिंदी में एक घोषणा की तो सदन में 2 मिनट तक तालियां बजती रहीं। उर्दू के मशहूर शायर मंजूर हाशमी की एक शायरी- यकीन हो तो कोई रास्ता निकलता है, हवा की ओट लेकर भी चिराग जलता है, भी पढ़ी।